जयपुर में जेजेएम और एसबीएम पर क्षेत्रीय सम्मेलन : केन्‍द्रीय जल मंत्री ने की अध्यक्षता की

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केन्‍द्रीय जल मंत्री ने 11 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के साथ जयपुर में जेजेएम और एसबीएम (जी) पर क्षेत्रीय सम्मेलन की अध्यक्षता की

वास्तविक कार्य लंबे समय तक जल आपूर्ति सेवा वितरण की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सामुदायिक स्वामित्व स्‍थापित करना है: श्री शेखावत

जेजेएम के अंतर्गत 2022-23 में 8 प्रतिभागी राज्यों और 3 संघ शासित प्रदेशों को केन्‍द्रीय अनुदान के रूप में 32,608 करोड़ रुपये और एसबीएम-जी के अंतर्गत 2,167 करोड़ रुपये आवंटित

वर्ष 2022-23 में इन 8 राज्यों में पेयजल और स्वच्छता के लिए 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत सशर्त अनुदान के रूप में 7,632 करोड़ रूपये आवंटित

जयपुर :  केन्‍द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्‍द्र सिंह शेखावत ने आज जयपुर में जल जीवन मिशन (जेजेएम) और स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) पर राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के क्षेत्रीय सम्मेलन की कार्यान्वयन करने वाले 11 राज्यों/ संघ शासित प्रदेशों गोवा, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड, दमन और दीव, दादरा और नगर हवेली, जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख के साथ अध्यक्षता की।

केन्‍द्रीय मंत्री ने राजस्थान के पानी की कमी वाले जोधपुर जिले के मूल निवासी के रूप में अपने व्यक्तिगत अनुभवों से एक प्रेरणाप्रद और प्रोत्‍साहित करने वाला उद्घाटन भाषण दिया, जहां उन्‍हें अनेक महिलाओं का कठोर परिश्रम देखने को मिला, जो अपने परिवारों के लिए भारी वजन उठाकर रोजाना पानी लाती हैं। उन्होंने प्रतिनिधियों से इस चिंता को दूर करने के लिए जेजेएम को एक बार के अवसर के रूप में देखने का आग्रह किया और कहा कि कार्यान्वयन की गति सामना की जा रही चुनौती से मेल खानी चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हालांकि बुनियादी ढांचे की अपनी चुनौतियां हैं, वास्तविक कार्य पर्याप्त मात्रा, निर्धारित गुणवत्ता और नियमितता के संदर्भ में जल आपूर्ति सेवा वितरण की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए समुदायिक स्‍वामित्‍व का निर्माण करना है और स्वामित्व की भावना पैदा करने के लिए, स्थानीय समुदाय को जीपी/वीडब्ल्यूएससी/पानी समिति के माध्यम से नियोजन चरण से ही शामिल किया जाना है, न कि योजनाओं के पूरा होने के बाद।

 

उन्होंने याद दिलाया कि, “जब 15 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री द्वारा जल जीवन मिशन शुरू किया गया था, तो केवल 16.75 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों के पास नल के पानी के कनेक्शन थे। पिछले ढाई वर्षों में महामारी के कारण हुए व्यवधानों के बावजूद, हम 6.16 करोड़ से अधिक नल के पानी के कनेक्शन प्रदान करने में कामयाब रहे हैं और गांवों में लगभग 9.40 करोड़ (49 प्रतिशत) घर स्वच्छ पेयजल से लाभान्वित हो रहे हैं।”

उन्होंने आगे कहा, “देश को यह कहते हुए गर्व होता है कि भारत के सभी जिलों ने 2 अक्टूबर 2019 को खुद को खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) घोषित किया, जो निरन्‍तर विकास के लक्ष्य (एसडीजी- 6) के अंतर्गत निर्धारित समय सीमा से बहुत पहले है। सुजलाम 2.0 अभियान लोगों की भागीदारी के माध्यम से ग्रेवाटर का प्रबंधन करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। अभियान के अंतर्गत, हम  समुदायों, पंचायतों, स्कूलों, आंगनवाड़ी जैसे संस्थानों को ग्रेवाटर प्रबंधन के लिए एकजुट करने की योजना बना रहे हैं। ग्रेवाटर का वहां सबसे अच्छा प्रबंधन किया जा सकता है जहां यह उत्पन्न होता है और अगर इसे जमा और स्थिर होने दिया जाता है तो यह एक प्रमुख प्रबंधन और बुनियादी ढांचे की चुनौती में बदल जाता है। हम पीआरआई लोगों के साथ मिलकर काम करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सोखने वाले घरेलू और सामुदायिक गड्ढों के निर्माण से ग्रेवाटर का स्थानीय स्तर पर सबसे उपयुक्त प्रबंधन किया जा सके।”

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सम्‍मेलन में भाग लेने वाले राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मेजबान राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए राजस्थान सरकार के भूजल मंत्री डॉ. महेश जोशी, ग्रामीण विकास मंत्री अर्जुन सिंह चौहान और गुजरात के ग्रामीण विकास राज्य मंत्री  बृजेश कुमार मेरजा उपस्थित थे। हरियाणा से सहकारिता और एससीबीसी कल्याण मंत्री डॉ. बनवारी लाल,  महाराष्ट्र के विकास और पंचायत मंत्री देवेन्‍द्र सिंह बबली; जल आपूर्ति और स्वच्छता मंत्री गुलाबराव पाटिल, पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन, जल आपूर्ति और स्वच्छता, लोक निर्माण, रोजगार गारंटी, संसदीय कार्य राज्य मंत्री संजय बंसोडे; और पंजाब के राजस्व और जल संसाधन मंत्री ब्रह्म शंकर शर्मा भी सम्‍मेलन में शामिल हुए। सभी राज्यों के मंत्रियों ने विचार-विमर्श में सक्रिय रूप से भाग लिया और हर घर जल  की अपनी योजना के साथ-साथ जल आपूर्ति योजनाओं की दीर्घकालिक स्थिरता के उपायों के बारे में विस्तार से बताया।

डीडीडब्ल्यूएस सचिव विनी महाजन ने अपने उद्घाटन भाषण में दोहराया कि सेवा प्राप्त करने से ‘कोई भी छूट न जाए’ सुनिश्चित करने के लिए निर्धारित समय पर काम पूरा करने का महत्‍व है। उन्होंने विभिन्न हितधारकों यानी स्थानीय समुदाय, आईएसए, एसएचजी, एनजीओ/वीओ/सीएसओ, राज्य/राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय संगठन के बीच सहयोग के तरीकों का उल्लेख करते हुए जेजेएम के आदर्श वाक्य ‘भागीदारी का निर्माण, मिलकर काम करना’ पर जोर दिया। काम की गति के बारे में, उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे निविदा प्रक्रिया में तेजी लाएं, पर्याप्त कर्मचारियों की व्‍यवस्‍था करने के लिए लोगों को नियुक्‍त करें और सामग्री और काम की गुणवत्ता की जांच करने के लिए एसपीएमयू/डीपीएमयू, थर्ड पार्टी इंस्पेक्शन एजेंसियों (टीपीआईए)  जैसे सहायक संस्थानों को शामिल करें ताकि योजना/समीक्षा समय अधिक कार्यक्षम हो। यह देखते हुए कि अधिकांश भाग लेने वाले राज्य पानी की कमी वाले हैं, उन्होंने जल स्रोत स्थिरता को मजबूत करने की दिशा में सामूहिक कार्य को बढ़ावा देने के लिए विभागों के बीच तालमेल की वकालत की और अंत में, राज्यों से पानी की कीमत आंकने की दिशा में एक कदम के रूप में घरों के जल उपयोगकर्ता शुल्क को बढ़ावा देने पर विचार करने का अनुरोध किया।

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विचार-विमर्श की शुरुआत करते हुए डीडीडब्ल्यूएस में अपर सचिव और मिशन निदेशक श्री अरुण बरोका ने जेजेएम की समग्र स्थिति, और राज्य-वार स्थिति, कार्यों के लिए योजना बनाने के मुद्दों और चुनौतियों, ‘हर घर जल’ प्रमाणीकरण, नल कनेक्शन के प्रावधान की गति, टीपीआईए/डीपीएमयू, वीडब्ल्यूएससी को काम पर लगाने, दूषित नमूनों से निपटने के लिए की गई उपचारात्मक कार्रवाई, एफटीके परीक्षण, स्कूलों / आंगनवाड़ी केन्‍द्रों को शामिल करने और बहु-अनुशासनात्मक एनजेजेएम टीमों द्वारा विभिन्न क्षेत्र के दौरों से प्राप्‍त टिप्पणियों के सारांश के बारे में एक विस्तृत प्रस्तुति दी। संबंधित राज्य मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने जवाब में अपडेट और चुनौतियों को साझा किया और आगे के रास्ते पर चर्चा की। एसबीएम (जी) चरण- II के कार्यान्वयन पर बाद के हिस्‍से में इसी तरह की चर्चा देखने को मिली।

सार्वजनिक स्वास्थ्य और ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की भलाई के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए, केन्‍द्रीय बजट 2022 में, जेजेएम के लिए निधि आवंटन 2021-22 में 45,000 करोड़ रुपये था जिसे बढ़ाकर 2022-23 में 60,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है। एसबीएम (जी) के लिए वर्ष 2022-23 के बजट में 7,192 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

केन्‍द्र ने 2022-23 में जेजेएम के अंतर्गत इन 8 राज्यों और 2 संघ शासित प्रदेशों (गोवा- 48 करोड़ रुपये, गुजरात- 3,452 करोड़ रुपये, हरियाणा- 1,099 करोड़ रुपये, हिमाचल प्रदेश- 1,280 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र- 7,415 करोड़ रुपये, पंजाब- 1,693 करोड़ रुपये, राजस्थान- 11,752 करोड़ रुपये, उत्तराखंड- 1,502 करोड़ रुपये, जम्मू और कश्मीर- 2,875 करोड़ रुपये और लद्दाख- 1,493 करोड़ रुपये) को वर्ष 2022-23 के लिए 32,609 करोड़ रुपये अस्थायी रूप से आवंटित किए गए हैं। एसबीएम (जी) के अंतर्गत कथित राज्यों (गोवा- 29 करोड़ रुपये, गुजरात – 206 करोड़ रुपये, हरियाणा- 224 करोड़ रुपये, हिमाचल प्रदेश- 152 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र- 786 करोड़ रुपये, पंजाब- 82 करोड़ रुपये, राजस्थान- 365 करोड़ रुपये, उत्तराखंड- 65 करोड़ रुपये, दादरा और नगर हवेली- 5 करोड़ रुपये, जम्मू और कश्मीर- 243 करोड़ रुपये और लद्दाख- 11 करोड़ रुपये) के लिए 2167 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। ।

इसके अलावा, 15वें वित्त आयोग के अंतर्गत वर्ष 2022-23 के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों/पंचायती राज संस्थाओं (आरएलबी/पीआरआई) के लिए कुल 27,908 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। अगले पांच वर्षों यानी 2025-26 तक 1.42 लाख करोड़ रुपये का सुनिश्चित आवंटन है। भाग लेने वाले राज्यों को वर्ष 2022-23 के लिए जल और स्वच्छता संबंधी गतिविधियों को पूरा करने के लिए सशर्त अनुदान के रूप में 7,632 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

 

 

वित्‍तीय स्थिति

राज्‍य/संघ शासित प्रदेश 2022-23
2021-22 में आवंटन राज्य/संघ राज्य क्षेत्र द्वारा प्राप्‍त  निधि संभावित आवंटन
गोवा 46 23 48
गुजरात 3,411 2,558 3,452
हरियाणा 1,120 560 1,099
हिमाचल प्रदेश 1,263 2,013 1,280
जम्‍मू और कश्‍मीर 2,747 604 2,875
लद्दाख 1,430 341 1,493
महाराष्‍ट्र 7,064 1,667 7,415
पंजाब 1,656 402 1,693
राजस्‍थान 10,181 2,345 11,752
उत्‍तराखंड 1,444 1,083 1,502
कुल 30,361 11,595 32,608

 

ओडीएफ स्थिति और ठोस और तरल कचरा प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) की निरन्‍तरता पर ध्यान केन्‍द्रित करने के लिए एसबीएम (जी) चरण- II को 1,40,881 करोड़ रुपये के कुल परिव्यय के साथ फरवरी, 2020 में मंजूरी दी गई थी। यह केन्‍द्र और विभिन्न राज्य सरकारों के अंतर्गत  वित्त पोषण के विभिन्न कार्य क्षेत्रों के बीच तालमेल का एक नया मॉडल है। पेयजल और स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) द्वारा बजटीय आवंटन और संबंधित राज्य के हिस्से के अलावा, शेष राशि को विशेष रूप से ठोस और तरल कचरा प्रबंधन (एसएलडब्ल्यूएम) के लिए ग्रामीण स्थानीय निकायों, मनरेगा, सीएसआर फंड और राजस्व सृजन मॉडल आदि के लिए 15वें वित्त आयोग से जुड़े अनुदान से जोड़ा जा रहा है।

एसबीएम (जी) के दूसरे चरण की ठोस शुरुआत हुई है, जिसमें लगभग 69 लाख परिवार व्यक्तिगत घरेलू शौचालय (आईएचएचएल) से लाभान्वित हुए हैं। देश में 1.28 लाख से अधिक सामुदायिक शौचालय बनाए गए और 56,000 से अधिक गांवों ने खुद को ओडीएफ प्लस घोषित किया। 63,000 से अधिक गांवों को पहले ही ठोस कचरा प्रबंधन (एसडब्ल्यूएम) व्यवस्था में शामिल किया जा चुका है और 39,000 से अधिक गांवों ने तरल कचरा प्रबंधन (एलडब्ल्यूएम) व्यवस्था की है। भाग लेने वाले राज्यों में, एसबीएम-जी चरण II के दौरान निर्मित आईएचएचएल और सामुदायिक स्वच्छता परिसरों (सीएससी) की संख्या क्रमशः 14 लाख और 22,000 से अधिक है और 12,000 से अधिक गांवों को ओडीएफ प्लस घोषित किया जा चुका है।

दोपहर के भोजन के बाद, विषय वस्तु विशेषज्ञों और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कार्यों की गुणवत्ता, कार्यान्वयन की गति, सॉफ्टवेयर गतिविधियों जैसे प्रशिक्षण/कौशल/क्षमता निर्माण कार्यक्रम, जल गुणवत्ता निगरानी और निगरानी, प्रौद्योगिकी का उपयोग, स्रोत स्थिरता और ग्रेवाटर प्रबंधन पर तकनीकी सत्र आयोजित किए। विकास क्षेत्र के विशेषज्ञों ने उपस्थित अधिकारियों के साथ अपनी जानकारी साझा की। इसके बाद, राज्य विशिष्ट मुद्दों और चुनौतियों पर चर्चा करने के लिए राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के साथ परिचर्चा सत्र आयोजित किए गए।

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