दुबई में जीआईसी के नए चैप्टर का विधिवत आरम्भ
मई में ब्रिटेन, जून में अमरीका और जुलाई में सिंगापुर जीआईसी का चैप्टर होगा शुरू : संतोष मंगल
जीआईसी भारत के अध्यक्ष, अशोक बुवानीवाला ने संगठन का 9 सूत्री एजेंडा पेश किया
दुबई, संयुक्त अरब अमीरात, 27 मार्च : प्रसिद्ध पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक और स्वतंत्र स्तंभकार डॉ वेद प्रताप वैदिक ने आज दुबई में ग्लोबल इंडिया कोलैबोरेटिव (जीआईसी) चैप्टर के विधिवत आरम्भ की घोषणा की. इसके साथ ही भारत के बाद इस औद्योगिक संस्था के दूसरे चैप्टर “ दुबई चैप्टर ” का भी रविवार को आरम्भ हुआ . कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर डॉ वैदिक ने अपने संबोधन में जीआईसी को मौजूदा समय की ज़रूरत बताया. उन्होंने भारतीय उद्योगपतियों की तारीफ़ करते हुए कहा कि इस तरह के प्रयासों से ना सिर्फ़ देश की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होगी बल्कि वंचित लोगों को उनका हक़ मिल सकेगा. उन्होंने 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए भारत को एक बड़े दृष्टिकोण की आवश्यकता है और भारत के आर्थिक महाशक्ति बनने से पड़ोसी देश भी लाभान्वित होंगे और समृद्ध होंगे।
उन्होंने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही आर्थिक महाशक्ति रहा है और विश्व व्यापार का केंद्र भी रहा है। दुनिया भर के व्यापारी व्यापार और वाणिज्य के अवसरों की तलाश में भारत आएंगे। उन्होंने कह कि “जीआईसी भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में एक लंबा सफर तय करेगा, जिसका मैं पिछले 50 वर्षों से सपना देख रहा हूं। हम फार्मास्युटिकल और अन्य क्षेत्रों सहित कई उद्योगों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकते हैं। हालांकि, इनके लिए हमें भविष्य के व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है।डॉ वैदिक ने बल देते हुए कहा कि शिक्षा क्षेत्र में एक बड़े बदलाव की जरूरत है जैसा कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूएसए द्वारा किया गया था जब उसने शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत निवेश किया था।
इस अवसर पर भारत के जीआईसी प्रतिनिधिमंडल के प्रतिनिधियों के अलावा, दुबई से विख्यात व्यापार और उद्योग जगत की हस्तियां भी उपस्थित थीं। जीआईसी वर्तमान में एमएसएमई क्षेत्र को पुनर्जीवित करने और अन्य पहल करने के लिए 25-28 मार्च को दुबई में एक उच्च-शक्ति प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहा है।
संस्था के अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने देशभर से आएं प्रतिनिधियों को आने वाले समय में संस्था द्वारा आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस शुरूआत में व्यक्ति हित से देशहित को जोड़ने का काम किया जा रहा है.
इस अवसर पर संस्था के ग्लोबल अध्यक्ष संतोष मंगल ने बताया कि भारत और दुबई के बाद जीआईसी शीघ्र ही दुनिया के दूसरे देशों में अपने चैप्टर खोलने जा रहा है.
संतोष मंगल ने बताया कि मई में ब्रिटेन, जून में अमरीका और जुलाई में सिंगापुर में जीआईसी के चैप्टर शुरू कर दिए जाएँगे. श्री मंगल के अनुसार संस्था ने अपने लक्ष्यों में आर्थिक विकास और वंचितों को उनका हक़ दिलाने के काम को अपनी प्राथमिकता में शामिल किया है.
देश में नीति निर्धारोकं ने वर्षों से कई ऐसी नीतियाँ बनाई लेकिन सत्यता यह है कि तमाम कोशिशों के बावजूद हम अपने समाज के उस वंचित तबके को न्याय नहीं दिला पाए हैं. उन्होंने कहा कि ख़ासकर शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में हमें बहुत काम करने की ज़रूरत हैं. इसीलिए इन क्षेत्रों को जीआईसी ने अपनी प्राथमिकता में रखा है.
कार्यक्रम में पहुंचे अन्य प्रतिभागियों ने इस बात पर चिंता ज़ाहिर की कि हमारे देश का रसूख़ दुनिया भर में बढ़ा हैं लेकिन देश में अभी भी उन लोगों के लिए काम करने की ज़रूरत हैं जिनके लिए सरकारी योजनायें तो हैं लेकिन उनको उनका लाभ नहीं मिल पा रहा है. अधिकतर प्रतिभागियों ने कहा कि अब समय आ गया है जब हमें अपने देश और देशवासियों के लिए कुछ ठोस प्रयास करना चाहिए .
जीआईसी भारत के अध्यक्ष, अशोक बुवानीवाला ने संगठन के संगठनात्मक दर्शन के रूप में 9 सूत्री एजेंडा पेश किया। जीआईसी अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिए भारतीय व्यापार की मौलिक भावना को अनलॉक करने के लिए 9 क्षेत्रों में केंद्रित कार्यक्रम, साझेदारी और प्रचार शुरू करेगा। इनमें उद्योग, शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक न्याय, पूंजी, पर्यावरण, मीडिया, नैतिकता और लैंगिक मुद्दे शामिल हैं।
राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व विधायक बृजेश मिश्रा ने कहा कि जीआईसी लंबे समय से प्रतीक्षित $ 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने में एक लंबा सफर तय करेगा. उन्होंने कहा कि इस सपने को साकार करने के लिए सभी आवश्यक तत्वों को पूरा करना होगा .
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ASSOCHEM की पूर्व उपाध्यक्ष वंदना सिंह ने कहा, “MSME क्षेत्र देश को विनिर्माण क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकता है. उन्होंने कहा की यह संगठन बेरोजगारी के जिन्न से निपट सकता है, और एक गतिशील और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी औद्योगिक नवाचार इको-सिस्टम तैयार कर सकता है। उनका कहना था कि इसमें भारत की विकास गाथा में बड़े पैमाने पर इक्विटी की पेशकश करके महिलाओं को सशक्त बनाने की जबरदस्त क्षमता है।