सुभाष चौधरी
नई दिल्ली : केंद्रीय कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मंत्री पीयूष गोयल ने आज लोकसभा में गुरुवार को संबंधित मंत्रालय की अनुपूरक मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए नरेंद्र मोदी सरकार के कामकाज के तौर तरीके को विस्तार से रखा. उन्होंने एक तरफ पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की कार्यशैली और नीतियों को देश की अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक बताया जबकि दूसरी तरफ पूर्व की सरकारों द्वारा लिए गए निर्णयों को देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने वाला बताया . उन्होंने कहा की आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व एवं निर्देशन में भारत मजबूती के साथ दुनिया में खड़ा है. उन्होंने कहा कि भारत ने निर्धारित समय सीमा के तहत 31 मार्च से पहले ही 400 मिलियन डॉलर के निर्यात का लक्ष्य पूरा कर लिया। इनमें से 50 बिलियन डॉलर का निर्यात केबल कृषकों द्वारा किया गया है जो उत्साहित करने वाला विषय है।
उन्होंने कहा कि कि पिछले वर्ष में निर्यात में हुई वृद्धि में बहुत सारे उत्पादों के निर्यात की मात्रा में काफी वृद्धि हुई है। चावल निर्यात में 40% की वृद्धि जबकि हैंडमेड कारपेट में 25% और प्रोसेसड फूड एंड जूस के निर्यात में 25% की वृद्धि हुई. इसी तरह कृषि उत्पादों के निर्यात में भी बड़े पैमाने पर वृद्धि हुई. उन्होंने कहा कि इसके कारण देश में नए रोजगार की संभावना बनी, आत्मनिर्भरता को बल मिला और और किसान एवं एमएसएमई कंपनियों के क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि हुई. साथ ही स्टार्टअप में तेज गति से काम किया गया जबकि गृह उद्योग इकाइयों के काम में भी तेजी आई.
केंद्रीय कॉमर्स एंड इंडस्ट्री मंत्री पीयूष गोयल ने लोक सभा में क्या कहा ?
भारत से होने वाले निर्यात में वैल्यू और वॉल्यूम की दृष्टि से काफी वृद्धि हुई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन में सरकारी खरीद को पारदर्शी बनाने पर बल दिया गया. पहले सरकारी खरीद में भारी गड़बड़ियां होती थी. खरीद में घपला होता था. अब केंद्र सरकार ने की मार्केट पोर्टल जैम की व्यवस्था देख कर इसे दुरुस्त करने की कोशिश की. आज जेम पोर्टल से लगभग सभी राज्य, केंद्र सरकार और सभी सरकारी कंपनियां भी जुड़ चुकी है. इसके माध्यम से सरकारी खरीद पर आज आम जनता भी नजर रख सकती है जबकि मीडिया भी इसे आसानी से देख सकती है.
बुधवार दोपहर तक जेम पोर्टल के माध्यम से एक लाख करोड़ की खरीद हुई.
आर्थिक दृष्टि से भारत अब विश्व के दूसरे देशों को टक्कर देने की स्थिति में है.
प्रधानमंत्री ने 16 जनवरी 2016 को स्टार्ट अप इंडिया की शुरुआत की थी आज इंडियन स्टार्टअप इकोसिस्टम विश्व में तीसरे नंबर पर है. भारत में 65000 स्टार्टअप रजिस्टर्ड है. इनमें 90 यूनिकॉर्न है जिन का टर्नओवर 7500 करोड़ से अधिक है. 40 स्टार्टअप कोविड महामारी के दौरान यूनिकॉर्न बने.
टेक्सटाइल का वॉल्यूम बढ़ाने की चुनौती हमारे सामने है. बांग्लादेश हमें इस मामले में पीछे छोड़ रहा है.
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट हर मामले में प्रतिकूल नहीं है. हम अपने देश में जो सामान बना सकते हैं उसमें पूरी ताकत से जुड़े हुए हैं. लेकिन अगर कोई सामान विदेश से लाना ही लाभदायक है तो उसमें भी कोई हानि नहीं. यह बात सही है कि कई क्षेत्रों में हम अभी पीछे हैं.
स्टील के क्षेत्र में भारत दुनिया के देशों की अपेक्षा बेहद मजबूत स्थिति में है.
इलेक्ट्रॉनिक्स के क्षेत्र में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग की दृष्टि से पूर्व की सरकारों के जमाने में चिंता नहीं की गई. लाखों करो के सेमीकंडक्टर विदेश से मंगाए जाते रहे. लेकिन अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर इस में काफी बदलाव आया है.
एप्पल कंपनी 10,000 करोड का सामान भारत से इंपोर्ट कर रही है. वर्तमान सरकार ने सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए 76 हजार करोड़ की पीएलआई स्कीम लांच की जिसका नतीजा अब देखने को मिलने लगा है.
देश में 14 क्षेत्रों में लाखों रोजगार उत्पन्न हुए हैं. इनमें फूड प्रोसेसिंग एंड जूस मैन्युफैक्चरिंग बैटरी मैन्युफैक्चरिंग. ऑटो मैन्युफैक्चरिंग, टैक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग, हैंड मेड फाइबर सहित कई क्षेत्र शामिल है.
इलेक्ट्रिकल की मैन्युफैक्चरिंग की दृष्टि से भी काफी काम हुआ है जिसके कारण इस वर्ष 400000 से अधिक इलेक्ट्रिक वाहन बिकने की संभावना बनी है. 14 क्षेत्रों के लिए केंद्र सरकार ने दो लाख करो प्रोडक्ट इंसेंटिव स्कीम लांच की जिसका फायदा अब दिखने लगा है. भारत का कब्जा होने लगा है.
कुछ लोगों ने या गलतफहमी फैलाने की कोशिश की कि एम एस सैनी को इसमें रिजल्ट क्यों नहीं किया गया. खासकर बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिए अगर सीमित स्तर पर मैन्युफैक्चरिंग को प्रोत्साहन दिया जाता तो इसका अधिक फायदा नहीं होता इसलिए लार्ज स्केल इंडस्ट्रीज को बैटरी मैन्युफैक्चरिंग के लिए प्रोत्साहित करने की दिशा में कदम उठाए गए जिसका सीधा फायदा उसके आसपास स्थापित होने वाली एमएसएमई कंपनियों को मिलेगा. छोटी कंपनियां दुनिया के देशों की कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा मैं आगे नहीं बढ़ पाती. इसलिए इसके आयाम को बड़ा करने की कोशिश की जा रही है.
देश में इज ऑफ डूइंग बिजनेस पर कई कदम उठाए गए. कई नियमों में बदलाव लाए गए. इसके कारण ही भारत की रैंकिंग में जबरदस्त सुधार आया. कभी भारत की रैंकिंग 100 से अधिक थी जो आप साथ के पास आ चुकी है. एक पड़ोसी देश ने कुछ गड़बड़ियां की अन्यथा यह रैंकिंग और अच्छी होती.
इंडस्ट्री को इंस्पेक्टर राज से बाहर करने की दिशा में कदम उठाया गया. उद्यमियों में सरकार के प्रति विश्वास पैदा हुआ और उनमें आत्मविश्वास भी जगह क्योंकि सरकार ने अपने उद्यमियों पर विश्वास करते हुए self-certification को बढ़ावा दिया. अनावश्यक के कंप्लायंस से छुटकारा दिलाया.
नेशनल सिंगल विंडो लांच की गई जिससे राज्यों को भी जोड़ा गया. इस व्यवस्था के माध्यम से सभी प्रकार की अनुमति तेज गति से देने की व्यवस्था की गई. इस व्यवस्था से देश के सभी राज्य जुड़ जाएं तो इसमें और अधिक गति मिलेगी.
इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के मामले में भी जबरदस्त बदलाव किया गया. एमएसएमई सेक्टर एजुकेशन सेक्टर और खासकर महिलाओं को पैटर्न रजिस्टर कराने में भारी छूट दी गई. अब 95% पेटेंट एप्लीकेशन ऑनलाइन आ रहे हैं.
1940 से 2015 तक 1100000 ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड हुए थे जबकि गत 5 वर्षों में ही 1400000 से अधिक ट्रेडमार्क रजिस्टर्ड किए गए जो इस बात का परिचायक है कि व्यवस्था में सुधार करने से व्यवसाय को कितना बल मिलता है.
500000 से स्टूडेंट्स को भी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स के बारे में ट्रेनिंग दी गई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अधिकतम बल इंस्पेक्टर प्लानिंग पर है इसलिए पीएम गति शक्ति के तहत इसको पूरे देश में लागू करने पर बल दिया जा रहा है. इससे समय की बचत होगी जबकि देश की भौगोलिक परिस्थितियों के अनुरूप कम समय में कम खर्च पर अधिक सुविधाजनक आधारभूत संरचनाओं को विकसित किया जा सकेगा.
इसके लिए जियो स्पेसिफिक टेक्नोलॉजी की कल्पना की गई जिस का अधिकतम उपयोग किया जा रहा है. इसके माध्यम से आवश्यक लेयर ऑफ़ डाटा तैयार किया गया. देश के विभिन्न क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए 400 से अधिक तैयार किए गए. बीएमजी शक्ति के माध्यम से इंफ्रा डेवलपमेंट में जबरदस्त मदद मिलती है जबकि इसमें किसी भी प्रकार की गड़बड़ियों की आशंका लगभग नगण्य रहती है. इसके माध्यम से इन्फ्राट्रक्चर डेवलपमेंट की निगरानी और जाने पर कार्रवाई भी हो सके. इस सुविधा का उपयोग कर निर्धारित राशि में ही संबंधित प्रोजेक्ट को पूरा करना संभव हो रहा है. इससे अब देश में इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी पूरी की जाएगी.
प्रधानमंत्री ने वर्तमान बजट में 100 लाख करो नेशनल इन्फ्राट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की आवंटित करवाया है.
हाल ही में पूर्वोत्तर राज्यों के सांसदों के साथ बैठक की गई. क्षेत्र के उद्यमियों के साथ भी विचार विमर्श किया गया जिसमें रबर मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए सभी उद्योगपति स्वयं आगे बढ़ रहे हैं.
उद्योग जगत ने 11 100 करोड़ रुपए खर्च कर दो लाख हेक्टेयर जमीन पर रबर प्लांटेशन कराने में मदद देने का ऐलान किया है. साथ ही 7 साल तक यह मदद जारी रखने की सहमति दी है जिसका सीधा फायदा वर्षों तक किसानों को होगा.
देश में n.r.i. की संख्या बढ़ने को गलत तरीके से कुछ लोगों ने प्रस्तुत करने की कोशिश की. कई ऐसे लोग हैं जो यहां गड़बड़ियां कर बाहर भागना चाहते हैं. लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में बेहद स्पष्ट और सख्त हैं कि जो भी गलत काम करेगा उसे सजा भुगतनी ही पड़ेगी. भारत को आर्थिक नुकसान पहुंचा कर दूसरे देश की ओर भागने वाले को अब वापस लाने की व्यवस्था भी की गई है.
कुछ लोगों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ने से परेशानी होती है लेकिन यह सरकार बड़े से बड़े व्यक्ति के खिलाफ भी कार्रवाई करने से नहीं सकती है किसी भी प्रकार की बेईमानी के साथ समझौता नहीं करने की हमारी नीति रही है.
भारत में निवेश कमाने की बात बेमानी है. हकीकत यह है कि पूरी दुनिया के व्यवसाई आज भारत में निवेश करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं. भारत से बेहतर माहौल निवेश की दुनिया में कहीं नहीं है. दुनिया के निवेशक आज भारत की ओर बड़ी संख्या में आकर्षित हो रहे हैं. पिछले 7 वर्षों में लगातार विदेशी निवेश के मामले में रिकॉर्ड टूटा है.
यहां तक कि कोविड-19 के दौरान ही हमें विदेशी मुद्रा की कोई कमी नहीं रही. भारत आज दुनिया में सबसे तेज अर्थव्यवस्था वाला देश है. नरेंद्र मोदी सरकार की यह कोशिश है कि एलईडी से लेकर एयर कंडीशन तक सभी सामान भारत में मैन्युफैक्चर हो. यही कारण है कि भारत के युवा आज नौकरी मांगने वाले नहीं बल्कि नौकरी पैदा करने वाले बन रहे हैं.
देश में नए अवसर लगातार पैदा हो रहे हैं.
दिल्ली में व्यावसायिक केंद्र प्रगति मैदान को आधुनिक एवं नई तकनीक से लैस करते हुए बनाया जा रहा है.
कुछ सांसदों ने नेचुरल रबर इंपोर्ट ड्यूटी कम करने की मांग उठाई. लेकिन इस संबंध में 1995 में कांग्रेस शासनकाल के दौरान ही डब्ल्यूटीओ में भारत ने जिस तरह हस्ताक्षर किया उससे भारत के हाथ बांध दिए गए. इसके तहत नेचुरल रबर की दृष्टि से निर्धारित बाध्यकारी हैं जिससे भारत सरकार के हाथ बंधे हुए हैं. यह गलती यूपीए शासनकाल में की गई जिसका खामियाजा आज देश के किसानों को भुगतना पर रहा है.
हमारा फोकस क्वालिटी और क्वांटिटी दोनों पर है जिससे दुनिया के देशों में हमारे प्रोडक्ट प्रीमियर प्रोडक्ट के रूप में स्थापित हो जिसका फायदा हमारे किसानों को मिले.