रेलवे की आय और नौकरी कितनी घटी : मल्लिकार्जुन खरगे ने राज्यसभा में बताया

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सुभाष चौधरी 

नई दिल्ली : राज्यसभा में रेल मंत्रालय की वर्किंग पर हो रही चर्चा में विपक्ष के नेता मलिकार्जुन खरगे ने सरकार पर जमकर हमला बोला.  उन्होंने कहा कि रेलवे में एक तरफ नौकरियां घटती जा रही हैं तो दूसरी तरफ इसका ऑपरेशनल कॉस्ट पिछले वर्षो की अपेक्षा लगातार बेतहाशा बढ़ रहा है. रेलवे की आमदनी और खर्च के बीच  ₹31800 करोड़ का बड़ा अंतर है. यह चिंता पैदा करने वाली हालत है. श्री खरगे ने रेल मंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि वर्तमान सरकार के जमाने में रेलवे की 7 लाख  57 हजार  करोड़ की  योजनाएं लंबित है.  सरकार को यह बताना चाहिए कि इसके लिए पैसे कहां से आएंगे और यह कब तक पूरा होगा ? 

 

रेल मंत्रालय पर चल रही चर्चा में उच्च सदन में विपक्ष के नेता ने यह कहते हुए  सरकार की तीव्र आलोचना की कि वर्तमान सरकार केबल रेलवे स्टेशनों के नाम बदलने में व्यस्त है जबकि इसे पीपल फ्रेंडली बनाने पर न्यूनतम फोकस है.  उन्होंने आगाह किया कि रेलवे  का निजी करण करने के बजाए इसे एफिशिएंट बनाने की जरूरत है. उन्होंने  सदन में आंकड़े प्रस्तुत करते हुए बताया कि 80 के दशक में रेलवे में 18 लाख  लोग काम करते थे.  रेलवे कर्मियों की संख्या लगातार घटती चली गई और यह 16 लाख फिर 15 लाख, 13 लाख और अब  वर्तमान सरकार में 12 लाख हो गई है.  उन्होंने बताया कि रेलवे में 2 लाख 65 हजार पद खाली पड़े हैं. 

 

 कॉन्ग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व रेल मंत्री मलिकार्जुन खरगे ने कहा कि तीन लाख 18 हजार व्यक्ति रेलवे में ठेके पर काम कर रहे हैं जबकि 9 लाख 67 हजार नियमित रेलवे कर्मी हैं. उन्होंने कहा कि नौकरियां लगातार घटने से एससी,  एसटी,  और सामान्य वर्ग के ईडब्ल्यूएस कोटे से लोगों को नौकरियां नहीं मिल रही है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि नौकरियां घटाते जा रहे हैं जबकि खाली पड़े पदों पर यह सरकार भर्ती नहीं कर रही है.  उनका कहना था कि जो लोग स्वाभिमान से जीना चाहते हैं उन्हें अब रेलवे में मौका नहीं मिल रहा है.

 

 श्री खरगे ने  रेल मंत्री से  रेलवे में खाली पड़े पदों पर भर्ती शुरू करने की मांग की.  उन्होंने कहा की वर्तमान सरकार यह तर्क देती है कि नियमित भर्ती होने के बाद उनकी एफिशिएंसी नहीं रहती है.  लेकिन यह बड़ा सवाल है कि क्या ठेके पर काम करने वालों की एफिशिएंसी रहती है ? उनका कहना था कि गरीबों के पेट पर लात मारकर अमीरों को मदद करने की नीति इस सरकार को छोड़नी चाहिए. 

 

 उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार केवल चुनाव की दृष्टि से काम करती है और चुनावी मुद्दे बनाने के लिए प्रचार पर जमकर खर्च करती है.  उन्होंने कहा कि 2019 में घोषणा की गई थी कि वंदे भारत ट्रेन चलाई जाएगी.  लेकिन पिछले 3 वर्षों में केवल दो वंदे भारत ट्रेन जलाई गई. उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि फिर नरेंद्र मोदी सरकार ने देश में 400 वंदे भारत ट्रेन चलाने की घोषणा की है.  उन्होंने सवाल किया कि इतनी बड़ी संख्या में वंदे भारत ट्रेन कितने वर्षों में यह सरकार चलाएगी यह स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.  उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की नियत में खोट है इसीलिए सत्य से परे घोषणा की जाती है. 

 

रेलवे टेक्नोलॉजी एडवांसमेंट और आधुनिकीकरण की चर्चा करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा कि सरकार ने नेशनल रेलवे प्लेन 2050 की घोषणा की है.  उनका कहना था कि यह घोषणा भी अव्यवहारिक है क्योंकि 30 साल बाद सत्ता में या विपक्ष में कौन रहेगा एवं किस तरह से इसे लागू किया जाएगा यह बड़ा सवाल है.  उन्होंने कहा नीति आयोग द्वारा अगर 5 साल तो उसे अमल में लाने की दृष्टि से व्यावहारिक माना जा सकता था लेकिन यह घोषणा भी चुनावी योजना जैसी है.

 

 उनका कहना था कि बजट में पीएम गति शक्ति पर ज्यादा फोकस किया गया जबकि रेलवे से संबंधित बहुत कम बातें की गई.  नरेंद्र मोदी सरकार की ड्रीम बजट बुलेट ट्रेन चलाने की चर्चा करते हुए विपक्ष के नेता ने कहा कि वर्ष 2014 15 मई घोषणा की गई थी कि 2022 में बुलेट ट्रेन चलने लगी.  लेकिन अब तक के हालात को देखकर ऐसा लगता है कि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट  पर बैलगाड़ी की तरह  काम हो रहा है.  उनका कहना था कि इस प्रोजेक्ट पर ₹1 लाख 8000  करोड़ खर्च किए जा रहे हैं उसका मैं शुरू से विरोध करता रहा हूं.  उन्होंने कहा कि जापान से इसके लिए टेक्नोलॉजी और ऋण लिए जा रहे हैं  जिसका फायदा जापान को होगा लेकिन हमारे आम आदमी इससे वंचित रहेंगे. 

 इसके प्रति किलोमीटर निर्माण पर होने वाले खर्च का आंकड़ा रखते हुए उन्होंने कहा 1 किलोमीटर बुलेट ट्रेन के निर्माण पर ₹140 करोड़ खर्च हो रहे हैं जबकि सामान्य रेलवे ट्रैक के निर्माण में 1 किलोमीटर के लिए केवल ₹10 करोड़ खर्च होते हैं.  उनका कहना था कि  इतनी बड़ी राशि से आम आदमी के लिए ट्रेन चलाने की दृष्टि से देश में 11000 किलोमीटर का निर्माण किया जाना संभव था.  उन्होंने कहा कि जब वे रेल मंत्री थे तब भी तत्कालीन कैबिनेट में उन्होंने इस प्रोजेक्ट का विरोध किया था आज भी उनका मत वही है.

 

चर्चा के दौरान रेलवे की आय पर भी विपक्ष के नेता ने केंद्र सरकार की खिंचाई की.  उन्होंने कहा कि रेलवे की आय लगातार घटती जा रही है.  पहले 1 लाख 90 हजार करोड़ फिर 1लाख  75 हजार करोड़  और उसके बाद कोविड-19 के दौरान इसमें और गिरावट आई जबकि 2021 में आय और कम हुई.  उन्होंने कहा कि रेलवे का खर्च लगातार बढ़ता जा रहा है.  उनके अनुसार पहले रेलवे ₹100 कमाने के लिए ₹95 खर्च करती थी जिसका बढ़ता गया और यह ₹97 से भी बढ़कर वर्तमान सरकार के कार्यकाल में ₹114 हो गया है.  यानी वर्तमान में रेलवे ₹100 कमाने के लिए ₹114 खर्च करती है जो चिंता पैदा करने वाली बात है.  उन्होंने कहा कि सरकार एक तरफ लोगों को भ्रमित करने के लिए कई प्रकार की उपलब्धियों का ढिंढोरा पीटती है जबकि हकीकत कुछ और ही है.

 

 कांग्रेस नेता ने कहा कि रेलवे का खर्च बढ़ने और आय कम होने की स्थिति इसकी बदहाली के बारे में बताती है.  उनका कहना था कि आज  खर्च और आमदनी के बीच ₹31800 करोड़ का बड़ा अंतर हो गया है.  उन्होंने ध्यान दिलाया कि देश में चलने वाली 13523 यात्री रेल  और 9146 माल  ट्रेन को और सुविधाजनक बनाने की जरूरत है.  रेलवे  का निजीकरण करने से समस्याएं और बढ़ेगी जिसका खामियाजा आम आदमी को भुगतना पड़ेगा.

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