5 वी व 8 वी के छात्रों की बोर्ड परीक्षाएं नही,तो छात्रों को बोर्ड परीक्षा शुल्क वापिस किया जाए : दीपांशु बंसल

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— छात्र नेता दीपांशु बंसल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भेजा पत्र

– कहा छात्रों के अभिभावकों को बिना किसी विलंब के परीक्षा शुल्क वापिस हो
— प्रत्येक छात्र से लगभग 550 रुपए लिया गया है परीक्षा शुल्क

– 28 फरवरी से पहले ही परीक्षा शुल्क वापिस करने की मांग 

board examination in haryanaचंडीगढ़  (board examination in haryana) :  गत दिवस मुख्यमंत्री मनोहर लाल द्वारा प्रदेश में पांचवी तथा आठवी कक्षा के छात्रों की बोर्ड परीक्षा न लेने का निर्णय लिया गया है परंतु इसी बीच अग्रवाल वैश्य समाज छात्र इकाई के प्रदेश अध्यक्ष दीपांशु बंसल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को पत्र भेजकर छात्रों से स्कूल संचालकों द्वारा लिए गए बोर्ड परीक्षा शुल्क को अभिभावकों को बिना किसी विलंब के वापिस करवाने की मांग की है।

दीपांशु बंसल का कहना है की प्रदेश में लगभग 15 हजार सरकारी स्कूल है तो वही लगभग 8 हजार प्राइवेट स्कूल ऐसे है जो हरियाणा शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त है,इसी के साथ साथ 1800 प्राइवेट स्कूल सीबीएसई से मान्यता प्राप्त और 200 स्कूल आईसीएसई से मान्यता प्राप्त है।प्राप्त जानकारी के अनुसार दीपांशु बंसल ने बताया है कि लगभग इन सभी स्कूलों द्वारा बच्चो से बोर्ड परीक्षाओं के मद्देनजर परीक्षा शुल्क लिया जा चुका है।प्रत्येक छात्र से कुल 550 रुपए स्कूलों द्वारा बोर्ड परीक्षाओं के लिए शुल्क के रूप में लिए गए है।

मानव संसाधन मंत्रालय द्वारा परीक्षा लेने का अधिकार राज्यों को दिया गया है,ऐसे में हरियाणा सरकार द्वारा इन परीक्षाओं के आयोजन के लिए स्कूल शिक्षा बोर्ड को नोडल एजेंसी के रूप में अधिकृत किया हुआ है।दीपांशु बंसल का कहना है कि अब जब बोर्ड परीक्षाएं ही नहीं हो रही तो बोर्ड को परीक्षा शुल्क रखने का कोई अधिकार नहीं है।छात्रों के अभिभावक वैसे ही कोविड के चलते आर्थिक मंदी का शिकार है तो वही अधिकतर छात्र गरीब या फिर मध्यम वर्गीय परिवारों से आते है तो उन सभी बच्चो को यह परीक्षा शुल्क वापिस किया जाना चाहिए।

दीपांशु बंसल ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भेजे गए पत्र में एनएसयूआई की तरफ से मांग करते हुए कहा है कि सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित कर गाइडलाइन निर्धारित करवाई जाए जिसमे 28 फरवरी 2022 तक यह परीक्षा शुल्क वापिस छात्रों को दिया जाना सुनिश्चित हो।इस शुल्क को बिना किसी विलंब के वापिस किया जाना ही छात्रों व प्रदेश के हित में है।

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