-एसोसिएशन ने किया अन्याय के विरुद्ध जंग का ऐलान, चंडीगढ़ की सड़कों पर किया प्रदर्शन
-हरियाणा के कॉलेजों में एक्सटेंशंस लेक्चरर्स भर्ती घोटाले की सीबीआई जांच कराने की मांग की
-डायरेक्टर हायर एजुकेशन को सौंपा ज्ञापन व राज्यपाल हरियाणा के ऑफिस में भी दस्तक दी
-भर्ती घोटाले में लिप्त कालेज के प्राचार्यों को ही जांच का जिम्मा सौंपने का किया प्रबल विरोध
सुभाष चौधरी /प्रधान संपादक
चंडीगढ़/गुरुग्राम : हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन ने सोमवार को प्रदेश के सीएम मनोहर लाल के नाम डायरेक्टर हायर एजुकेशन को ज्ञापन सौंपकर प्रदेश के विभिन्न कॉलेजों में में एक्सटेंशंस लेक्चरर्स भर्ती घोटाले की सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से जांच करवाने की मांग की. साथ ही फर्जी डिग्री के आधार पर नियम विरुद्ध नियुक्ति पाने वालों को तुरंत हटा कर रेगुलर अपॉइंटमेंट करवाने की मांग की है। एसोसिएशन के सदस्यों ने चंडीगढ़ व पंचकूला की सड़कों पर हायर एजुकेशन विभाग की अव्यवस्था के खिलाफ प्रदर्शन किया और नारेबाजी की. इस मौके पर एसोसिएशन के लगभग 80 सदस्य सोमवार को चंडीगढ़ प्रेस क्लब पहुंचे थे. उन्होंने पत्रकारों को समक्ष इस मामले में बरती गई लापरवाही और फर्जीवाड़े की विस्तार से जानकारी दी. पत्रकार वार्ता को संबोधित करने वालों में डॉक्टर दीपक, प्रोफेसर सुभाष सपरा, गौरव, रवी , प्रदीप और सुशील सहित अन्य शामिल थे. पत्रकार वार्ता में हरियाणा के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में नकली डिग्री/गलत चयन व नियुक्तियां/ गलत समायोजन/ अयोग्य एक्सटेंशन लेक्चरर्स की भर्ती का मामला उजागर किया गया . साथ ही इसकी सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से जांच करवाने की मांग सरकार से की. पुरानी नियुक्तियों को तत्काल रद्द कर रेगुलर अपॉइंटमेंट करवाने की मांग की .
मुख्यमंत्री के नाम सौंपे गए ज्ञापन में हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन की ओर से बताया गया है कि प्रदेश के विभिन्न विद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर का वर्क लोड हमेशा रहता है। इसी संदर्भ में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा द्वारा 5 जून 2013 के जारी पत्र द्वारा प्रदेश के विभिन्न महाविद्यालयों में 200 रुपए प्रति पीरियड के हिसाब से (अधिकतम 18 हजार रुपए प्रति माह) एक्सटेंशन लेक्चरर्स की नियुक्ति के प्रचार्यों को आदेश दिए गए थे। इसके लिए प्रचार्यों व स्टाफ ने मिलीभगत कर अपनी इच्छा से इन भर्तियों में फर्जीवाड़ा कर अपने परिचितों व भाई भतीजावाद कर नॉनक्वालिफाइड व नॉन एलिजिबल एक्सटेंशन लेक्चरर्स की नियुक्ति शुरू कर दी।
ज्ञापन में कहा गया है कि यह फर्जीबाड़ा बढ़ता गया और धीरे-धीरे इस प्रकार की नियुक्तियां पाने वालों की संख्या बढ़ती चली गई। इनके द्वारा प्राइवेट यूनिवर्सिटीज से प्राप्त नकली पीएचडी डिग्री हासिल करने का प्रचलन भी बढ़ता चला गया और गलत ढंग से चयन व नियुक्तियां होती रहीं । भाई-भतीजावाद व भ्रष्टाचार को भी और तेजी से बढ़ावा मिलना शुरू हो गया। सरकार के उदासीन रवैया व उच्चतर शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण इन एक्सटेंशन लेक्चरर की संख्या हजारों में पहुंच गई । इन्होंने सड़क पर सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन करने शुरू कर दिए और सरकार से धीरे-धीरे अपनी मांगे मनवानी शुरू कर दी। 20 जुलाई 2017 को इनका वेतन ₹18000 प्रति माह से बढ़ाकर ₹25000 कर दिया गया।
ज्ञापन में कहा गया है कि अक्टूबर 2019 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के तुरंत पहले सरकार पर इन लोगों द्वारा इक्वल वर्क इक्वल पे का दबाव डाला और सड़कों पर निकल आए। उन्होंने सारे शहरों में मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व अधिकारियों के पुतले जलाने शुरू कर दिए और परीक्षाओं का बहिष्कार भी कर दिया। चुनाव के दृष्टिगत हरियाणा सरकार को इनके समक्ष झुकना पड़ा व इनका मासिक वेतन 57700 रुपए प्रति माह एलिजिबल व 35400 रुपए मासिक नन एलिजिबल के लिए कर दिया गया।
इसके बाद जो लोग अपनी इच्छा से इधर-उधर नौकरी छोड़ कर चले गए थे, वे सब प्रचार्यों व स्टाफ की मिलीभगत से वापिस आकर कॉलेजों में एडजस्ट होने शुरू हो गए। उन्होंने प्राइवेट यूनिवर्सिटी से आलू-टमाटर की तरह पीएचडी की नकली डिग्रियां बनवारी शुरू कर दी और 57700 रुपए प्रति माह लेने शुरू कर दिए। इस सब में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा के कर्मचारी भी शामिल हो गए व बुरी तरह से भ्रष्टाचार का बोलबाला होने लगा।
पीड़ित व फ्रेश वेल-क्वालिफाइड युवक घरों में बैठकर हाथ मलते रहे। उसके पश्चात कई बार सरकार ने नन एलिजिबल कैंडिडेटस को हटा दिया, परंतु उच्चतर शिक्षा विभाग व कॉलेजों की मिलीभगत व कई बार पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट चंडीगढ़ के आदेश पर इन नन एलिजिबल कैंडिडेटस वापस बुला लिए गए। उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने भी उदासीन रवैया अपनाते हुए पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में सही ढंग से पैरवी नहीं की। उपरोक्त सब का खामियाजा वेल क्वालिफाइड नेट पीएचडी यूथ को भुगतना पड़ रहा है।
प्रेस वार्ता में हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने बताया कि मार्च 2020 में उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने 2592 असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों की नई नियुक्तियों की स्वीकृति दी थी। परंतु यह फाइल अभी तक दबी पड़ी है।
उन्होंने खुलासा किया कि करीब 1 वर्ष पूर्व उपरोक्त एक्सटेंशन लेक्चरर्स की प्राइवेट यूनिवर्सिटी की फर्जी डिग्रियों की जांच के आदेश उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने कॉलेजों के प्राचार्य को दिए थे। इसकी रिपोर्ट भी प्राचार्य व विभाग के कर्मचारियों की मिलीभगत से आज तक दबी हुई है । चोर चोर मौसेरे भाई वाली कहावत यहाँ चरितार्थ हो गई क्योंकि इस मामले में भी एक चोर दूसरे चोर की जांच कर रहा था इसलिए उसको भी दबा दिया गया।
उन्होंने जानकारी दी कि अब एक बार फिर मेमो नंबर 22/80-2020 सी1(5), 08 फरवरी 2022 को उच्चतर शिक्षा विभाग हरियाणा ने वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स द्वारा प्राप्त 5 प्राइवेट यूनिवर्सिटीज को चिन्हित कर फर्जी डिग्रियों की जांच के आदेश प्राचार्य को दिए हैं। हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन का कहना है कि यह व्यवस्था बिल्कुल ही गलत है क्योंकि यही वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स इन्हीं प्रचार्यों व स्टाफ द्वारा नियुक्त किए गए हैं। मामला साफ़ है जिन्होंने यह फर्जीबाड़ा किये हैं वही अपनी जांच कैसे करेंगे ? आरोपी खुद ही अपनी जांच करेगा तो जांच रिपोर्ट कैसी आएगी इसका अंदाजा सहज लगाया जा सकता है.
फर्जी तरीके से नियुक्त वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स इस पूरे मामले पर पर्दा डालने , अपने आप को बचाने के लिए रेगुलर असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती को रोकने और अपनी रोजगार सुरक्षा के लिए एक बार फिर सड़कों पर उतर आए हैं . अब फिर विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं का सहारा ले रहे हैं और हरियाणा सरकार को बुरी तरह से बदनाम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व उच्चतर शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के विरुद्ध नारेबाजी कर रहे हैं व बड़ी-बड़ी चेतावनी दे रहे हैं।
हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ज्ञापन में कहा है कि इस कोरोना काल में लाखों छात्र छात्राओं की पढ़ाई भी बाधित हो रही है। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि उपरोक्त वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स द्वारा प्राइवेट यूनिवर्सिटी से प्राप्त हुई डिग्रियां, गलत चयन व नियुक्तियां/ गलत समायोजन/इलेजिबल लेक्चरर्स की जांच कॉलेज के प्रचार्यों से ना करवा कर सीबीआई या हाई पावर इंडिपेंडेंट एजेंसी से करवाई जाए. इससे दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा . क्योंकि यह भर्ती घोटाला विभिन्न कॉलेजों के प्रचार्यों व स्टाफ एवं उच्चतर शिक्षा विभाग के कर्मचारियों द्वारा किया गया है। इसलिए वे ठीक ढंग से इसकी जांच नहीं होने देंगे।
हरियाणा एस्पायरिंग असिस्टेंट प्रोफेसर एसोसिएशन ने उपरोक्त भर्ती घोटाले में लिप्त वर्किंग एक्सटेंशन लेक्चरर्स को तुरंत हटाने की पुजोर मांग की है. साथ ही यूजीसी इंडिया के नियमानुसार कॉलेजों में रेगुलर एक्सटेंशन लेक्चरर्स की तुरंत भर्ती करने पर भी बल दिया है . योग्य कैंडीडेट्स को समय पर न्याय दिलाने की अपील की है.