गुंजन कुमार
देहरादून : उत्तराखंड राज्य में यमकेश्वर विधानसभा सीट के मतदाता अपना जनप्रतिनिधि चुनने में हमेशा अलग रुख अख्तियार करते रहे हैं . चुनावी राजनीति में यह अपने आप में ऐतिहासिक तथ्य है कि इस सीट का प्रतिनिधत्व लगातार महिलाओं के हाथ में ही रहा है। राज्य के पौड़ी जिले में अवस्थित इस विधानसभा क्षेत्र को लेकर इस बार कोतुहल का विषय बना हुआ है कि यहाँ की जनता फिर किसी महिला को अपना विधायक चुनती है या इतिहास बदलने की बात होगी. दूसरी तरफ इस सीट पर कमल कभी नहीं मुरझाया है। यहां हमेशा से भाजपा के उम्मीदवार जीतते रहे हैं। पहले के तीन चुनावों में 2002 से 2012 तक भाजपा नेता विजया बड़थ्वाल इस सीट से जीत हासिल करती रही हैं।
हालांकि उत्तराखंड राज्य में महिलाएं आर्थिक गतिविधियों की रीढ़ मानी जाती हैं लेकिन आकलन बताता है कि इस प्रदेश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के केंद्र में भी महिलाएं ही हैं। चिपको आंदोलन से लेकर अलग राज्य की मांग जैसे कई आंदोलनों का भी यहाँ की महिलाओं ने ही नेतृत्व किया। यही नहीं पुरुषों की तुलना में ये अभी तक बढ़-चढ़कर मतदान करती आयी हैं। बावजूद इसके आश्चर्यजनक रूप से राजनीति में प्रदेश की महिलाओं की भूमिका उत्साहवर्द्धक नहीं रही है। इस विषमता के बावजूद प्रदेश की यमकेश्वर विधानसभा सीट का प्रतिनिधित्व लगातार महिला शक्ति के हाथों में ही रहा है।
इस प्रकार का रिकॉर्ड अन्य प्रदेशों में शायद ही देखने को मिले जहां से हमेशा महिला ही चुनकर विधानसभा पहुँचती रही हो । उत्तराखंड में ऐसा है। पौड़ी जिले के यमकेश्वर विधानसभा सीट से अभी तक किसी पुरुष उम्मीदवार को जीत नहीं मिली है। यहां भी गौर करने वाली बात है कि यह तब संभव होता रहा जब यहां पुरुष मतदाताओं की संख्या महिला मतदाताओं से कहीं अधिक है।
इस बार इस क्षेत्र में कुल मतदाता 90,638 हैं। इनमें से पुरुष मतदाता 48,563 हैं जबकि महिला मतदाताओं की संख्या 42,075 है। इसके बावजूद यहां महिला उम्मीदवारों की जीत दर्ज होती रही है। यहां हमेशा भाजपा ने बाजी मारी है। पहले के तीन चुनावों यानी 2002 से 2012 तक भाजपा नेता विजया बड़थ्वाल इस सीट से जीत हासिल करती रही हैं। बड़थ्वाल ने पहले चुनाव में कांग्रेस की सरोजिनी कैंतुरा को 1,447 मतों के अंतर से हराया था। 2007 में उन्होंने कांग्रेस की रेणु बिष्ट को 2,841 मतों से हराया। 2012 के चुनाव में उन्होंने फिर से कांग्रेस की सरोजिनी को 3,541 वोटों के अंतर से पराजित किया था।
बड़थ्वाल का दबदबा इस लिए भी बरकरार रहा कि वे 2007 से 2012 तक बीसी खंडूरी और रमेश पोखरियाल निशंक की सरकारों में कैबिनेट मंत्री भी रहीं। प्रदेश की अन्य सीटों की तरह यहां भी मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच ही होता रहा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा-कांग्रेस दोनों महिला को ही यहां से प्रत्याशी बनाती रही इसलिए महिला ही चुनाव जीत कर विधायक बनती रही। क्षेत्र की जनता ने पिछले चुनाव में उलट जवाब दे दिया। पिछले चुनाव में भाजपा ने विजय बड़थ्वाल के बदले ऋतू खंडूरी को मैदान में उतारा। कांग्रेस ने पहली बार महिला के बदले एक पुरुष उम्मीदवार को यहां से टिकट दे दिया।
कांग्रेस ने कोटद्वार से भाजपा के कद्दावर नेता रहे शैलेन्द्र सिंह रावत को पार्टी में शामिल कर उन्हें इस सीट से मैदान में उतार दिया था । दरअसल, पिछले चुनाव में कोटद्वार से शैलेन्द्र सिंह रावत का टिकट काटकर भाजपा ने हरक सिंह रावत को उतारा था। इससे शैलेन्द्र सिंह पार्टी से नाराज हो गए थे। तब कांग्रेस ने उन्हें यमकेश्वर से अपना उम्मीदवार बनाया था। नतीजा यह रहा कि पिछले चुनाव में कांग्रेस चुनावी मुकाबले से बाहर हो गई. भाजपा का मुकाबला निर्दलीय उम्मीदवार रेनू बिष्ट से हुआ। ऋतू खंडूरी ने रेनू बिष्ट को लगभग 9 हजार वोटों से हराया था। उस चुनाव में कांग्रेस तीसरे नंबर पर चली गयी थी।
इससे स्पष्ट है यमकेश्वर सीट के मतदाता प्रदेश की अन्य सीटों की तुलना में अलग सोच रखते हैं. चुनावी इतिहास इस बात का गवाह है कि इस सीट पर हमेशा प्रथम और दूसरे स्थान पर महिला उम्मीदवार ही रही हैं। भाजपा ने इस बार रेनू बिष्ट को अपना उम्मीदवार बनाया है। रेनू बिष्ट 2007 से चुनाव लड़ती आ रही हैं। 2007 का चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ी तो 2012 के चुनाव में उत्तराखंड रक्षा मोर्चा के प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरी। पिछले चुनाव में इन्होंने निर्दलीय के रूप में भाग्य आजमाया और दूसरे स्थान पर रही। बिष्ट के सामने इस बार फिर कांग्रेस से शैलेन्द्र सिंह रावत हैं। उनके अलावा छह अन्य पुरुष उम्मीदवार यहां से चुनावी मैदान में हैं। अगर रेनू बिष्ट यह चुनाव जीत जाती हैं तो यमकेश्वर को उत्तराखंड की महिला राजनीति का गढ़ माने में कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी.
स्थानीय राजनीति पर रेनू बिष्ट कहती हैं, ‘महिला शक्ति के रूप में इस सीट की पहचान बरकरार रहेगी। यहां की मिट्टी मेरे लिए देवता है। मैं बेशक यहां से चुनाव हारती रही हूं लेकिन मुझे हमेशा लोगों ने भरपूर समर्थन दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इस बार फिर क्षेत्र की जनता महिला शक्ति को ही यहां से विधानसभा भेजेगी.
उत्तराखंड में महिला वोटर, वोटिंग और उम्मीदवार :
विधानसभा चुनाव- 2002
कुल वोटर-5270375
महिला वोटर-2557028
महिला वोटिंग प्रतिशत-52.64
महिला उम्मीदवार-72
महिला विधायक-4
विधानसभा चुनाव- 2007
कुल वोटर-5985302
महिला वोटर-2946311
महिला वोटिंग प्रतिशत-59.45
महिला उम्मीदवार-56
महिला विधायक-4
विधानसभा चुनाव- 2012
कुल वोटर-6377330
महिला वोटर-3024346
महिला वोटिंग प्रतिशत-68.12
महिला उम्मीदवार-63
महिला विधायक-5
विधानसभा चुनाव- 2017
कुल वोटर-7513547
महिला वोटर-3533225
महिला वोटिंग प्रतिशत-69.34
महिला उम्मीदवार-61
महिला विधायक- 7