“चरखा क्रांति” से खादी के प्रति लोगों का जबरदस्त आकर्षण बढ़ा

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"चरखा क्रांति" से खादी के प्रति लोगों का जबरदस्त आकर्षण बढ़ा 2नई दिल्ली :   पिछले 7 वर्षों में खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) द्वारा शुरू की गई “चरखा क्रांति” का परिणाम है कि खादी में जबरदस्त रूप से (घातांकीय) वृद्धि हुई है। राष्ट्रपति ने बजट सत्र से पहले संसद में अपने संबोधन में इसका उल्लेख किया। केवीआईसी ने भारत और विदेशों में गांधीवादी विचारों और चरखे के प्रतीकवाद के प्रचार के लिए कई महत्वपूर्ण चरखे बनाए, जिसने खादी को और अधिक लोकप्रिय बनाया तथा बड़े पैमाने पर विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 31 जनवरी को संसद में राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में और एक दिन पहले अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट में महात्मा गांधी के 74वें शहीद दिवस पर 100 वर्ग मीटर की दीवार भित्ति का अनावरण करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने खादी की सफलता को स्वीकार किया।

दिलचस्प बात यह है कि केवीआईसी की स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी, लेकिन अगले 58 वर्षों यानी 2014 तक इसने खादी, चरखा या महात्मा गांधी से जुड़े किसी अन्य प्रतीक को लोकप्रिय बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं किया। “खादी” और “गांधी” का इस्तेमाल केवल राजनीतिक लाभ के लिए किया जाता था। वर्ष 2014 के बाद नरेन्‍द्र मोदी की सरकार ने खादी को लोकप्रिय बनाने व महात्मा गांधी के विचारों और चरखे के प्रतीकवाद को दुनिया भर में फैलाने के लिए ठोस प्रयास किए। महात्मा गांधी की जयंती हो या शहादत, केवीआईसी ने गांधीवादी विचारों को फैलाने के लिए अनोखे कार्यक्रम आयोजित किए।

पिछले 7 वर्षों के दौरान केवीआईसी ने दुनिया के सबसे बड़े लकड़ी व स्टील के चरखे, कलाई की घड़ियों पर दुनिया का सबसे छोटा चरखा, मिट्टी के कुल्हड़ों से बना गांधी जी का विश्व का सबसे बड़ा दीवार भित्ति चित्र, खादी के कपड़े से बना दुनिया का सबसे बड़ा राष्ट्रीय ध्वज, धरोहर चरखा संग्रहालय और कई अन्य स्मारक बनाए। चरखा जो ब्रिटिश शासन के खिलाफ लड़ाई में गांधी जी का हथियार था, 2017 में पहली बार किसी बाहरी देश में पहुंचा। तब से बापू का चरखा दुनिया के 60 देशों में पहुंच चुका है।

केवीआईसी के अध्यक्ष विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि प्रधानमंत्री  नरेन्‍द्र मोदी की प्रेरणा से ही खादी और चरखे को न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में लोकप्रिय बनाने के लिए ठोस कदम उठाए गए। इसने खादी के उत्पादन और बिक्री को बढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाई और इस तरह बापू के ग्रामोदय के सपने को साकार करने में योगदान दिया। चरखा क्रांति ने देश भर में खादी कारीगरों को रिकॉर्ड 55,000 उन्नत चरखे का वितरण भी किया, जिससे उन्हें स्वरोजगार प्रदान किया गया।

1956 से 2014 कोई महत्वपूर्ण गतिविधि/कार्यक्रम नहीं हुए

जुलाई, 2016––नई दिल्ली में आईजीआई हवाई अड्डे पर तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष और संसद सदस्य श्री अमित शाह ने विश्व का सबसे बड़ा लकड़ी का चरखा स्थापित किया था।

18 अक्टूबर, 2016-—प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा लुधियाना में स्वतंत्र भारत में अब तक का सबसे बड़ा चरखा वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

21 मई, 2017––तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष और संसद सदस्य श्री अमित शाह द्वारा नई दिल्ली के कनॉट प्लेस में दुनिया का सबसे बड़ा स्टेनलेस स्टील चरखा स्थापित किया गया।

21 मई, 2017––तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष और संसद सदस्य श्री अमित शाह द्वारा नई दिल्ली के कनॉट प्लेस में धरोहर चरखा संग्रहालय का उद्घाटन किया गया।

अक्टूबर, 2017––युगांडा में पहली बार विदेश की धरती पर लकड़ी के एक बड़े चरखे का अनावरण किया गया।

15 अप्रैल, 2018–— चंपारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह के उपलक्ष्य में बिहार के मोतिहारी में पूर्व कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह द्वारा स्टेनलेस स्टील चरखे का अनावरण किया गया।

जून, 2018-—दक्षिण अफ्रीका का पीटरमैरिट्सबर्ग स्टेशन खादीमय दिखा और ट्रेनों को खादी के कपड़े में लपेटा गया। यह रेलवे स्टेशन वह जगह है जहां 125 साल पहले 1893 में गांधी जी को प्रथम श्रेणी, “केवल गोरे” डिब्बे में अपनी सीट छोड़ने से इनकार करने पर ट्रेन से उतार दिया गया था। केवीआईसी द्वारा विदेश की धरती पर इस तरह का यह पहला कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

26 जून, 2018-—अहमदाबाद के साबरमती रिवरफ्रंट में ग्रैंड स्टेनलेस स्टील चरखा स्थापित किया गया। तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष और सांसद श्री अमित शाह ने चरखे का अनावरण किया था।

31 जनवरी, 2019-—उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने नई दिल्ली में एनडीएमसी भवन में महात्मा गांधी की टेराकोटा कुल्हड़ से बनी दुनिया की सबसे बड़ी दीवार भित्ति का अनावरण किया था।

30 जनवरी, 2020-—दुनिया का सबसे छोटा चरखा अद्वितीय खादी कलाई घड़ियों में इस्तेमाल किया गया, इसे तत्कालीन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम के मंत्री श्री नितिन गडकरी ने लॉन्च किया था।

2017 और 2018 में खादी प्रदर्शनियों के दौरान 60 देशों में चरखे को भेजा गया था।

अक्टूबर, 2021—-लद्दाख के उपराज्यपाल श्री आरके माथुर द्वारा लेह में खादी के कपड़ों से बना 1400 किलोग्राम वजनी विश्व के सबसे बड़े अति महान राष्ट्रीय ध्वज का अनावरण किया गया।

30 जनवरी, 2022-—अहमदाबाद में साबरमती रिवरफ्रंट पर स्थापित मिट्टी के कुल्हड़ों से बने महात्मा गांधी की भव्य दीवार भित्ति चित्र। यह भारत का दूसरा और गुजरात का पहला दीवार भित्ति चित्र है, जिसका अनावरण गृह और सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने किया था।

2014-15 से 2020-21 तक —- खादी का उत्पादन बढ़ाने के लिए देश भर में खादी कारीगरों को 55,000 नए मॉडल के चरखे और 9,000 आधुनिक करघे वितरित किए गए।

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