दलित महिला पर हमला करने वाला आरोपी पति गिरफ्तार : सेक्टर 10 ए थाना में मामला दर्ज

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गुरुग्राम :  गुरुग्राम के कादीपुर एनक्लेव की एक प्राइवेट कंपनी में कार्यरत दलित महिला सुनैना सिंह पर शनिवार को जानलेवा हमला करने वाले उसके आरोपी पति अजीत सिंह को गुरुग्राम पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. यह घटना शनिवार शाम को उस वक्त हुई जब उक्त महिला अपनी कंपनी से ड्यूटी के बाद घर के लिए बाहर निकली थी। इस मामले में पीड़िता की शिकायत पर सेक्टर 10 ए थाना पुलिस ने आईपीसी की धारा 323, 325 और 506 के तहत मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। पीड़िता का इलाज उसी क्षेत्र के वैदिक अस्पताल में चल रहा था जहां से उसे अब छुट्टी दे दी गई है।

बताया जाता है कि दलित महिला सुनैना सिंह पिछले लगभग 2 वर्षों से अपने पति अजीत सिंह से घरेलू विवाद के चलते अलग रह रही थी. वर्ष 2014 में ही उसकी अंतरजातीय शादी हुई थी . अजीत आए दिन उसको प्रताड़ित करता रहता था . उसके साथ अक्सर मारपीट करता था. कई बार उस उसने इस संबंध में पुलिस को शिकायतें भी दी थी लेकिन हर बार समझौता करने के बाद वह फिर वापस अपने ससुराल चली जाती थी।

मारपीट का यह सिलसिला लगातार चलता रहा जिसके कारण सुनैना ससुराल छोड़कर अपने पिता के पास वापस आ गई और एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रही है। उसका पति हमेशा उसे धमकाता रहता था. उसे जान से मारने की धमकी देता था . शनिवार शाम को उसने पीड़िता की कंपनी के बाहर आते ही उस पर लोहे की रॉड से हमला बोल दिया. इस हमले में उसके सिर में गंभीर चोटें आई हैं. कई टांके पड़े हैं.  उनके हाथ में भी चोटें आई हैं।

पीडिता ने सेक्टर 10ए  थाने में लिखित शिकायत देकर अपने पति के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की गुहार लगाई । शिकायत पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 323, 325 और 506 के तहत मामला दर्ज कर कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी। मामले की जांच कर रहे आईओ ने बताया कि आरोपी अजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया है।

दूसरी तरफ बुरी तरह घायल दलित महिला सुनैना को वैदिक अस्पताल ने छुट्टी दे दी है। बताया जाता है कि उसकी माली हालत कमजोर होने के कारण अपना इलाज भी ठीक से करवाने की स्थिति में नहीं है। इस परिस्थिति में उसे सरकारी तंत्र से भी कोई मदद नहीं मिल रही है। यहां तक की ई एस आई से भी उसे इलाज का खर्च देने से मना कर दिया गया है। पीड़िता का कहना है कि ईएसआई की ओर से उसे बताया गया कि घटना के बाद उसे ईएसआई अस्पताल में ही भर्ती होना चाहिए था।

आश्चर्यजनक बात यह है कि जिस महिला पर लोहे की रॉड से ताबड़तोड़ हमले किए गए हो, सिर्फ फटे हुए हो, वह स्वयं लहुलुहान बदहवाश  अवस्था में कैसे किसी अस्पताल के बारे में भर्ती होने का निर्णय ले सकती है। उसे बेहद बुरी हालत में नजदीक के वैदिक अस्पताल में सड़क पर चल रहे ही कुछ लोगों ने पहुंचाया। वह लगभग 24 घंटे तक बेहोशी की अवस्था में थी. इसी कारण से ही  शनिवार को वह पुलिस को भी अपना बयान देने की स्थिति में नहीं थी। इन परिस्थितियों पर विचार करते हुए भी ईएसआई की ओर से उसके इलाज का खर्च देने से मना करना मानवता को कलंकित करने जैसा है। इस मामले का स्वतः संज्ञान लेने की कोशिश न तो जिला प्रशासन की ओर से की गई और न ही ई एस आई के अधिकारियों द्वारा. वह पैसे के अभाव में आवश्यक इलाज से वंचित हो रही है .

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