प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के 29 बच्चों को पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया

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सुभाष चौधरी 

नई दिल्ली :  स्वर्णिम भारत के स्वप्न को साकार करने की दिशा में नवाचार, सामाजिक सेवा,शैक्षिक योग्यता, खेल, कला एवं संस्कृति और बहादुरी जैसी छह श्रेणियों में बच्चों को उनकी असाधारण उपलब्धि के लिए भारत सरकार द्वारा पीएमआरबीपी पुरस्कार प्रदान किया गया.देश 21 राज्यों के 29 बच्चों को आज प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। आज ही 32 बच्चों को वर्ष 2021 के लिए भी
पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया .  वर्ष 2021 में कोरोना संक्रमण के कारण पीएम राष्ट्रीय बाल पुरस्कार नहीं दिया जा सका था.  पहली बार, ब्लॉकचैन प्रौद्योगिकी के उपयोग के जरिये वर्ष 2022 और 2021 के पीएमआरबीपी पुरस्कार विजेताओं को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल प्रमाणपत्र प्रदान किए  . प्रधान मंत्री मोदी ने प्रधान मंत्री बाल पुरस्कार प्राप्त बच्चों से उनकी बहादुरी के अनुभव भी जाने और उन्हें संबोधित किया .

इस अवसर पर प्रधान मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि बच्चों की हर सफलता में उनके अपनों का प्रयास और उनकी भावनाएं शामिल हैं . उन्होंने कहा कि देश अपनी आजादी का 75 वा सालगिरह मना रहा है इन सभी बच्चों को आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान पुरस्कृत करना अपने आप में ऐतिहासिक है.  इसके साथ ही पुरस्कार पाने वाले बच्चों को बहुत बड़ी जिम्मेदारी मिली है.  देश की, समाज की ,हर किसी की आप से अपेक्षाएं बढ़ गई हैं.

उन्होंने  बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि इन अपेक्षाओं का आपको दबाव नहीं लेना है.  इनसे प्रेरणा लेनी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश के छोटे-छोटे बच्चों ने बेटे बेटियों ने हर युग में इतिहास लिखा है. हमारी आज़ादी की लड़ाई में वीरबाला कनकलता बरुआ, खुदीराम बोस, रानी गाइडिनिल्यू जैसे वीरों का ऐसा इतिहास है जो हमें गर्व से भर देता है।  इन सेनानियों ने छोटी सी उम्र में ही देश की आज़ादी को अपने जीवन का मिशन बना लिया था, उसके लिए खुद समर्पित कर दिया था. उन्होंने कहा कि आपने कभी देखा होगा कि पिछले साल दिवाली पर वे  जम्मू कश्मीर के नौशेरा सेक्टर में गए थे  . वहां उनकी मुलाकात बलदेव सिंह एवं  बचन सिंह नाम के ऐसे वीरों से हुई जिन्होंने आजादी के बाद जो युद्ध हुआ था, कश्मीर की धरती पर, उस युद्ध में उन्होंने बाल सैनिक की भूमिका निभाई थी. हमारी सेना में पहली बार बाल सैनिक के रूप में उनकी पहचान की गई थी.

 

पीएम ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन की परवाह न करते हुए इतनी कम उम्र में अपनी सेना की मदद की थी. हमारे भारत का एक और उदाहरण है- गुरु गोविन्द सिंह जी के बेटों का शौर्य और बलिदान! साहिबज़ादों ने जब असीम वीरता के साथ बलिदान दिया था तब उनकी उम्र बहुत कम थी। भारत की सभ्यता, संस्कृति, आस्था और धर्म के लिए उनका बलिदान अतुलनीय है. तब उनकी उम्र बहुत कम थी . उनके  बलिदान की स्मृति में देश ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में शुरुआत की है.  उन्होंने कहा कि हमारे देश के बच्चों को वीर साहिबजादों के बारे में अवश्य अध्ययन करना चाहिए.

उन्होंने कहा कि हम सब को खासकर युवा पीढ़ी को देश के लिए अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ना चाहिए. हमारे आजादी के 75 साल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि आज हमारे सामने अपने अतीत पर गर्व करने का, उससे ऊर्जा लेने का समय है.  यह समय वर्तमान के संकल्पों को पूरा करने का है.  यह समय भविष्य के लिए नए सपने देखने का है ,नए लक्ष्य निर्धारित कर उन पर आगे बढ़ने  का है.

उन्होंने कहा कि अगले 25 सालों बाद देश का जो सामर्थ्य बढ़ेगा उसमें बहुत बड़ी भूमिका हमारी युवा पीढ़ी की होगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे पूर्वजों ने जो बोया, उन्होंने जो तप और त्याग किया उसके फल हम सबके नसीब हुए . लेकिन आप वह लोग हैं आप जो बोयेंगे उसके फल आपको ही खाने को मिलेंगे.

उन्होंने कहा कि आज देश में जो नीतियां बन रही है, जो प्रयास हो रहे हैं, उस सबके केंद्र में देश का विकास है.  उन्होंने स्टार्टअप इंडिया, डिजिटल इंडिया का अभियान ,मेक इन इंडिया, आत्मनिर्भर भारत चर्चा की.  उन्होंने कहा कि आज देश के हर कोने में  इंफ्रास्ट्रक्चर विस्तार ले रहा है. उन्होंने हाईवे और एक्सप्रेसवे के निर्माण की चर्चा की.

उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी है जो इन सब बदलाव से खुद को जोड़ कर देखते हैं और यह पीढ़ी बहुत एक्साइटिड रहती है. भारत के बाहर भी इस नए दौर को लीड कर रही है.  दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियों के सीईओ भारतीय हैं. दुनिया में इसकी चर्चा हो रही है .आज विश्व में हमारी युवा पीढ़ी छाई हुई है.

उन्होंने कहा कि भारत की कंपनियां युवा स्टार्ट  अप की दुनिया में अपना परचम लहरा रही है. नए-नए इनोवेशन कर रहे हैं.  आपसे कुछ समय बाद अपने दमखम पर पहली बार भारत, भारतीयों को अंतरिक्ष में भेजने वाला है. जो इस मिशन के लिए चुने गए हैं वह इस समय कड़ी मेहनत कर रहे हैं.

 

उन्होंने कहा कि जिन क्षेत्रों में भारत बेटियों को जाने की इजाजत नहीं थी आज उन्हीं क्षेत्रों में बेटियां कमाल कर रही हैं. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए कहा कि इसमें स्थानीय भाषा में पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है.  इससे बच्चों को पढ़ने और सीखने में और आसानी होगी. बच्चे अपनी पसंद के विषय पढ़ पाएं इसके लिए शिक्षा नीति में विशेष प्रावधान किए गए हैं. देश भर के हजारों स्कूलों में बन रहे  अटल टिंकरिंग लैब पढ़ाई के शुरुआती दिनों से ही बच्चों में इनोवेशन का सामर्थ्य बढ़ा रही है . भारत के बच्चों ने, युवा पीढ़ी ने हमेशा साबित किया है 21वीं सदी में भारत को नई ऊंचाई पर ले जाने के लिए सामर्थ से भरे हुए हैं.

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