-संसद और सभी विधानसभाओं के लिए एक प्रकार की नियमावली बनाने पर विचार
-संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित लोक लेखा समिति के शताब्दी वर्ष समारोह का समापन सत्र
सुभाष चौधरी
नई दिल्ली : देश की संसद के दोनों सदनों की सभी समितियों एवं सभी राज्यों की विधानसभाओं की सभी समितियों की कार्यवाही एवं रिपोर्ट आने वाले समय में एक ही पोर्टल पर उपलब्ध होगी. आम जनता इसे बेहद आसानी से एक प्लेटफार्म पर देख सकेगी और जनहित में इसका उपयोग करना बेहद आसान हो जाएगा. साथ ही लोक लेखा समिति के शताब्दी वर्ष समारोह में हुई चर्चा के आधार पर लिए गए निर्णयों पर अमल करने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा. यह समिति एक कार्य योजना तैयार करेगी. इसके आधार पर देश के सभी पीठासीन अधिकारियों के साथ विचार विमर्श के बाद सभी सरकारों को वित्तीय अनुशासन के प्रति और जवाबदेह बनाने में मदद मिलेगी. भविष्य में संसद और सभी विधानसभाओं के लिए एक प्रकार की नियमावली बनाई जा सके इस दिशा में भी कदम उठाए जाएंगे.
लोक लेखा समिति दुनिया के अधिकतर लोकतांत्रिक देशों में
यह विचार लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने व्यक्त किया. श्री बिरला आज संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित लोक लेखा समिति के शताब्दी वर्ष समारोह के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा कि लोक लेखा समिति दुनिया के अधिकतर लोकतांत्रिक देशों में है जो बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभा रही है. इस समिति के माध्यम से सरकार के वित्तीय कामकाज को पारदर्शी और जवाबदेह बनाने में मदद मिलती है. यह समिति देश में सामाजिक आर्थिक बदलाव से संबंधित जनहित की योजनाओं पर निगरानी रखती है जबकि इनकी खामियों का आकलन कर सरकार को अपने सुझाव भी देती है.
शीघ्र ही एक समिति का गठन किया जाएगा
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि दो दिन तक चले लोक लेखा समिति के शताब्दी वर्ष समारोह में देश के सभी विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारी सांसद और विशेषज्ञों के बीच हुई चर्चा बेहद उपयोगी रही. इसके आधार पर शीघ्र ही एक समिति का गठन किया जाएगा. यह समिति समारोह में लिए गए निर्णय को अमल में लाने के लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार करेगी. उन्होंने कहा कि लोक लेखा समिति पिछले 75 वर्षों से भी अधिक समय से आर्थिक और सामाजिक जीवन में आ रहे परिवर्तन व योजनाओं के लिए आवंटित धन और लाभान्वित होने वाले पक्षों से सीधा संपर्क कर अपना आकलन करती है. इससे देश की आर्थिक व्यवस्था में व्यापक बदलाव लाया जाना संभव हो सका है .
जनता की गाढ़ी कमाई का दुरूपयोग न हो
उन्होंने कहा कि समिति को जिम्मेदारी के साथ इस बात का ध्यान अवश्य रखना चाहिए कि जनता की गाढ़ी कमाई का किसी भी रूप में किसी भी स्तर पर दुरूपयोग न हो. उन्होंने लोक लेखा समिति को मिनी संसद की संज्ञा दी और कहा कि यही वह समिति है जिनमें सभी दलों के सांसद राजनीति से ऊपर उठकर काम करते हैं और आर्थिक सामाजिक मुद्दों पर व्यापक चर्चा करते हुए अपनी सिफारिशें सरकार को देती है. उन्होंने बल देते हुए कहा कि लोक लेखा समिति एवं संसद की अन्य समितियां तथा विधानसभाओं की स्थाई समितियों की मदद से ही जनता की भलाई के लिए आवश्यक विधेयक तैयार करने में मदद मिलती है. इनके ही सुझाव के आधार पर संबंधित कानूनी प्रावधानों में संशोधन किए जाते हैं.
संसद और सभी राज्यों की विधानसभाओं के लिए एक नियमावली हो
उन्होंने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए सुझावों की चर्चा करते हुए कहा कि देश की संसद और सभी राज्यों की विधानसभाओं के लिए एक नियमावली हो. सभी विधानसभाओं एवं संसदीय व अन्य समितियों की रिपोर्ट भी एक पोर्टल पर उपलब्ध कराए जाने से पूरे देश में संसदीय परंपराओं को लेकर एकरूपता बनेगी. उन्होंने कहा कि सभी संसदीय समिति की रिपोर्ट भी एक पोर्टल पर लाने के लिए काम शुरू हो गया है. यह जल्द ही देश के सामने लाया जाएगा. उनका सुझाव था कि संसद हो या विधानसभा सभी की कार्यवाही व रिपोर्ट एक प्लेटफार्म पर उपलब्ध होने से व्यवस्था को और पारदर्शी बनाया जाना संभव हो सकेगा. उन्होंने कहा कि भारतीय लोकतंत्र अगले 25 वर्ष बाद किस दिशा में जाएगा इसको लेकर अभी से ही हमें सोचना होगा और उसके अनुरूप काम करने की जरूरत है.
लोक लेखा समिति के काम का दायरा भी बढ़ा
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि देश की आजादी के 75 वें वर्ष में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बजट व योजनाओं के लिए आवंटन में जबरदस्त वृद्धि हुई है. इसलिए लोक लेखा समिति के काम का दायरा भी बढ़ा है जबकि उनकी जिम्मेदारियां भी चुनौतीपूर्ण हो गई है. उन्हें देश और राज्य में वित्तीय अनुशासन एवं पारदर्शिता बनाए रखने के लिए और अधिक सतर्क होकर काम करना होगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि संसदीय समितियां आने वाले समय में और भी जवाबदेही के साथ आधुनिक तरीके से काम करेंगी.
कौन कौन थे उपस्थित ?
इस अवसर पर राज्यसभा के उपसभापति डॉ हरिवंश, लोक लेखा समिति के अध्यक्ष एवं लोकसभा में विपक्ष के नेता अधीर रंजन चौधरी, केंद्र सरकार के मंत्री. सभी राज्यों की विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारी, राज्यों की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष, सांसद और वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे.