सरकार की उदासीनता व संवाद हीनता से अभी तक रास्ते जाम : अशोक बुवानीवाला

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-राष्ट्रीय जन उद्योग संगठन के बैनर तले लघु व मझले उद्योगपतियों एवं व्यापारियों की बैठक 

-देवेन्द्र चावला को प्रदेश का वरिष्ठ उपाध्यक्ष जबकि प्रदीप अग्रवाल को प्रदेश सचिव बनाया गया 

-रविन्द्र कुमार को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई 

यमुनानगर, 26 नवम्बर। केन्द्र सरकार ने कृषि कानून भले ही वापिस ले लिए हो लेकिन उद्योग व व्यापार जगत पर से उसका काला साया दूर होता नजर नहीं आ रहा है। सरकार की उदासीनता व संवाद हीनता की वजह से अभी तक रास्ते जाम पड़ें हैं जिसका नुकसान व्यापारियों को उठाना पड़ रहा है। ये बात राष्ट्रीय जन उद्योग संगठन के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष अशोक बुवानीवाला ने आज जगाधरी के एक स्थानीय बैंकेट में लघु व मझले उद्योगपतियों एवं व्यापारियों की बैठक को संबोधित करते हुए कही।

सरकार की उदासीनता व संवाद हीनता से अभी तक रास्ते जाम : अशोक बुवानीवाला 2इस मौके पर संगठन में नई जिम्मेदारियां सौंपते हुए उपस्थित पदाधिकारियों ने देवेन्द्र चावला को प्रदेश का वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रदीप अग्रवाल को प्रदेश सचिव तथा रविन्द्र कुमार को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी देते हुए उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपे। बुवानीवाला ने कहा कि पिछले 14 महीनों से किसान आंदोलन के कारण कारखाने, रिटेल आउटलेट एवं छोटे व्यापारी बंदी की मार झेलते रहे हैं। सरकार और किसानों के बीच के इस मसले में सबसे ज्यादा व्यापारी वर्ग पिसता रहा है। ये कानून वापिस लेकर सरकार ने किसानों को तो राहत दे दी है लेकिन व्यापारी वर्ग के लिए उसके पास कुछ नहीं है। प्रदेश का व्यापारी फिलहाल पलायन करने को मजबूर है। इससे पूर्व कोविड काल की बर्बादी ने व्यापारियों को आत्महत्या तक करने को मजबूर कर दिया था। इन सबके बावजूद न तो केन्द्र सरकार और न ही हरियाणा सरकार व्यापारियों की सुध ले रही है।

बुवानीवाला ने मांग करते हुए कहा कि आंदोलन के दौरान उद्योगों को हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाए व उनके लिए एक बड़ें राहत पैकेज का ऐलान किया जाए। बुवानीवाला ने कहा कि आंदोलन के अलावा प्रदुषण के नाम पर भी व्यापारियों की प्रताडऩा का खेल निरन्तर खेला जा रहा है। उन्होंने कहा कि अन्य कारणों से उत्पन्न प्रदुषण का दोष उद्योग जगत पर थोप कर जबरदस्ती उन्हें बंद किया जा रहा है। व्यापारी नेता ने कहा कि जब कोई औद्योगिक इकाई लगाई जाती है तो उसे समयानुसार सरकार के सभी नियम शर्तें पूरी करनी होती है जिनमें प्रदुषण की नियमावली भी शामिल है।सरकार की उदासीनता व संवाद हीनता से अभी तक रास्ते जाम : अशोक बुवानीवाला 3

उन्होंने कहा कि जब प्रदुषण की शर्त पूरी करके किसी उद्योग को चलाया जाता है तो उसे बाद में प्रदुषण के नाम पर उस इकाई को बंद कर प्रताडऩा का खेल सरकार को बंद करना चाहिए। इसके अलावा बिजली बिलों को रोका जाए और पुराने बकाया बिलों को माफ किया जाए। उन्होंने कहा आर्थिक तंगी से गुजर रहे या बंद उद्योगों से भी बिजली के फिक्स चार्ज वसूले जा रहे हैं। इस अवैध वसूली को जल्द से जल्द बंद किया जाए।

राष्ट्रीय महासचिव विकास गर्ग ने कहा कि आंदोलन के कारण व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि आंदोलन अवधि का आंकलन करते हुए नुकसान की समुचित भरपाई की जाय। व्यापारियों उद्योग की समस्याओं पर सरकार ध्यान दे नहीं तो व्यापारी भी सडक़ से लेकर संसद तक आंदोलन करने मजबूर होंगे।

संगठन के प्रदेश अध्यक्ष गुलशन डंग ने अपने संबोधन में कहा कि प्रदेश सरकार ने मनमाने ढग़ से 75 प्रतिशत आरक्षण कानून उद्योग जगत पर थोप दिया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार को पहले स्किल्ड की कमी से निपटना चाहिए था। स्थानीय तौर पर ये सच्चाई है कि हमारे युवाओं में शिक्षा तो है लेकिन स्किल की बहुत अधिक कमी है। ये जिम्मेदारी सरकार की बनती है कि वो युवाओंं को तैयार करें जिसके लिए उद्योग जगत के साथ मिलककर ज्यादा से ज्यादा ट्रेनिंग स्कूल, आईटीआई बनाई जाएं। सरकार द्वारा बिना सोचे समझे वाहवाही लूटने के चक्कर में लागू इस निर्णय का उद्योगों पर बुरा असर पडऩे वाला है।

इस अवसर पर देवेन्द्र चावला, प्रदीप अग्रवाल, सुरेश गर्ग, आशीष मित्तल, पंकज मित्तल, पुनीत गर्ग, मनीष त्यागी, रिम्पी, कंवर पाल सैनी, सोढ़ी, मनोज गुप्ता सहित अनेक व्यापारी मौजूद थे।

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