कड़ाके की सर्दी के बावजूद नहीं बिक रहे हैं गरम कपड़े

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 बाजार में ग्राहक नहीं होने से हाथ पर हाथ धरे बेठे रहते हैं दुकानदार

 शनिवार को कोहरा और सर्द हवाओं से लोगों का जीना हुआ मुहाल

कोहरा और ठंड से फसल को भी हो सकता है नुकसान

यूनुस अलवी

कड़ाके की सर्दी के बावजूद नहीं बिक रहे हैं गरम कपड़े 2मेवात :   अभी तक बरसात ना होने कि वजह से पड रही सर्दी और कोहरे से जहां आम लोगों को खासी परेशानी हो रही है वहीं किसानों को जहां गेंहू आदी कि फसल को फायदा मिल रहा है वहीं सरसों कि फसल को नुकसान होने की संभावनाऐं बढ गई हैं। उधर नोट बंदी कि वजह से सर्दी के मौसम में भी लोग गर्म कपडे नहीं खरीद पा रहे हैं जिसकी वजह से दुकानदारों को कमाना तो दूर दुकानों का किराया भी निकालना मुस्किल हो गया है। ग्राहक ना आने कि वजह से दुकानदार इस कडाके कि ठंड के मौसम में भी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

   किसान सुबेदार, आमीन और मुबारिक का कहना है कि बिना बरसात के जो सर्दी और कोहरा पड रहा है उससे फसल को खास फायदा नहीं हैं अगर कुछ दिन ऐसा ही चलता रहा तो सरसों के अलावा गेंहू कि फसल को भी नुकसान हो सकता है। उन्होने कहा कि सर्दी के मौसम में फसल कि सिंचाई होना जरूरी है, नही तो फसल का सर्दी नुकसान कर सकती है। कड़ाके की सर्दी के बावजूद नहीं बिक रहे हैं गरम कपड़े 3

  कस्बा पिनगवां में गर्म कपडे और जूतों कि दुकान चलाने वाले मोहम्मद इकाबल, राजू आदि का कहना है कि इस बार एक तो सर्दी देरी से शुरू हुई है दूसरे नोट बंदी कि वजह से लोगों के पास पैसे कि किल्लत बनी हुई है। वहीं उनका कहना है कि कुछ लोग सौ-दो का सामान खरदते हैं और दो हजार का नोट देते हैं लेकिन इतना खुल्ला ना होने कि वजह से वे सामान ही नहीं बैच पा रहे हैं। उनका कहना है कि गर्म सामानों कि बिक्री ना होने कि वजह से उनकी दुकानों का किराया भी निकलना मुश्किल हो रहा है।

 वहीं फुटपात पर गर्म कपडे और जूते बैचने वाले डालचंद आदि दुकानदारों का कहना है कि नोटबंदी कि वजह से उनको भारी नुकसान हो रहा है। जहां पिछली साल हर रोज आठ-दस हजार कि बिक्री हो जाती थी आज-कल केवल पांच सौ-हजार के आस-पास ही बिक्री हो जाती है, जिससे उनको परिवार का खर्चा चलाना भी भारी पड रहा है।

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