फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के बरेली मंडल ने आवंला सांसद धर्मेंद्र कश्यप को पीएम के नाम सौंपा ज्ञापन

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-व्यापारी प्रतिनिधियों ने गारमेन्ट व जूते पर जीएसटी दर  5 से 12 % करने का किया विरोध

-प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री से जीएसटी दर में वृद्धि वापस लेने की मांग की

-व्यापारियों को गारमेन्ट व जूते के व्यापार पर भारी नुकसान होने की है आशंका

-सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने दिया पीएम व वित्त मंत्री के समक्ष मुद्दे को उठाने का आश्वासन

-व्यापारियों की मांग पर वित्त मंत्री के साथ शीघ्र हो सकती है बैठक

-फेम के बरेली मंडल प्रभारी शैलेंद्र विक्रम व जिलाध्यक्ष अनिल अग्रवाल सहित कई व्यापारी थे मौजूद

बरेली : फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (फेम) के बरेली मंडल प्रभारी शैलेंद्र विक्रम, जिलाध्यक्ष अनिल अग्रवाल , उमेश पाल दक्ष , मनोज शंखवार, संजू पंडित, सूरज यादव व अन्य पदाधिकारियों एवं व्यापारियों ने आज गारमेन्ट व जूते पर हाल ही में बढ़ाई गई जीएसटी दरों के विरोध में आंवला लोकसभा क्षेत्र के भाजपा सांसद धर्मेंद्र कश्यप को प्रधानमन्त्री के नाम ज्ञापन सौंपा. ज्ञापन के माध्यम से व्यापारी प्रतिनिधियों ने 1000 रुपये तक के गारमेन्ट व जूते पर जी एस टी दर  5% से बढ़ाकर 12 %  करने के निर्णय का कड़ा विरोध किया है और प्रधानमन्त्री एवं केन्द्रीय वित्त मंत्री से इसे तत्काल वापस लेने की माँग की है. इस पत्र के माध्यम से फेम की ओर से आमजन व व्यापारियों की समस्याओं को उजागर करते हुए राहत प्रदान करने कि बात की गई है. सांसद धर्मेंद्र कश्यप ने आश्वस्त किया है कि वे इस विषय को शीघ्र ही प्रधानमंत्री एवं वित्त मंत्री के समक्ष उठाएंगे और समस्या का निराकरण करवाएंगे.साथ ही अपनी बात रखने के लिए वित्त मंत्री से जल्द ही व्यापारी प्रतिनिधियों की बैठक भी करवाने का प्रयास करेंगे।

उल्लेखनीय है कि फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (फेम) देश के विभिन्न व्यापारिक एवं औद्योगिक संगठनों का एक केंद्रीय परिसंघ है. देश के 18 प्रदेशों के 400 जिलों में इसकी शाखाएं हैं जिनसे बड़ी संख्या में व्यापारी वर्ग जुड़े हुए हैं.

आवंला सांसद धर्मेंद्र कश्यप को प्रधानमंत्री के नाम सौंपे ज्ञापन में फेम की ओर से कहा गया है कि देश का समस्त व्यापारी समाज,  सांस्कृतिक, धार्मिक और व्यावसायिक विकास के लिये आपके नेतृत्व एवम् निर्देशन में जो अनगिनत योजनायें लागू की गयी हैं उसके लिये कृतज्ञ है. प्रधानमंत्री की नीतियों कि प्रशंसा करते हुए ज्ञापन में कहा गया है कि आपके नेतृत्व में राष्ट्र आत्मनिर्भरता की ओर अग्रसर है. शीघ्र ही भारत 5 ट्रिलियन डालर वाली अर्थव्यवस्था बंगेया. व्यापारियों ने इसके लिए तर्क दिया है कि पीएम के सपनों का भारत बनाने के लिए व्यापारिक व जीएसटी कानून का सरल एवं सहज होना अति आवश्यक है । ज्ञापन में कहा गे है कि कारोबारी सुगमता के लिए कानूनों में ढांचागत सुधार के फलस्वरूप ही राजस्व संग्रह का निर्धारित हासिल होने लगा है ।

ज्ञापन में जीएसटी संग्रह की और दयां दिलाते हुए कहा गया है कि कोविड महामारी के कारण व्यापारिक विषमताओं के बावजूद पिछले कई माह से मासिक जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ व उससे भी अधिक हो रहा है. यह कानून में किये गए सुधार की उपयोगिता को दर्शाता है. व्यपारियों ने पीएम को भेजे पत्र में याद दिलाया है कि जीएसटी संग्रह में लक्ष्य हासिल करने के पीछे उद्योग एवं व्यापार जगत का सरकार को पूर्ण समर्थन शामिल होना है ।

जुलाई 2017 में जब जीएसटी को लागू किया गया था तो व्यापारियों ने भी इस नई कर प्रणाली का स्वागत किया था. साथ ही व्यापार जगत की अपेक्षा थी की नई कर प्रणाली अत्यंत सरल व सुगम होगी. कर चोरी पर रोक लगने के साथ निर्वाह इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ व्यापारियों को मिलेगा।

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (फेम) ने ज्ञापन में केन्द्रीय वित्त मंत्री की अध्यक्षता में हुई 45 वीं जीएसटी कौंसिल की बैठक में लिए गए निर्णय की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए कहा है कि उक्त बैठक में ₹1000 तक की रेडीमेड वस्त्रों एवं फुटवियर की दरों में परिवर्तन करने का निर्णय लिया गया. जीएसटी कौंसिल ने रेडीमेड वस्त्रों एवं फुटवियर गत जीएसटी दर 1 जनवरी 2022 से 5% से बढ़ाकर 12% करने का निर्णय लिया है.  व्यापारियों का मानना है कि जीएसटी की दरों में वृद्धि से खुदरा एवं थोक विक्रेताओं के व्यापार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. पहले से बदहाल यह व्यापार इस निर्णय से और कमजोर हो जाएगा ।

व्यापारिक प्रतिनिधियों ने व्यापार जगत की आर्थिक बदहाली का जिक्र करते हुए कहा है कि कोरोना महामारी के चलते लाँकडाउन की मार सबसे ज्यादा छोटे व मध्यम वर्ग के व्यापारियों  व आम जनता पर पड़ा है । देश की आबादी का एक बहुत बड़ा वर्ग इसी श्रेणी के परिधान व फुटवियर खरीदता है . व्यपारियों का कहना है कि 2 वर्ष पूर्व इस व्यवसाय में जीएसटी की विषमताओं एवं कठिनाइयों को देखते हुए ही इन्हीं वस्तुओं पर टैक्स की दरों को 12 व 18 से घटाकर 5% किया गया था. उपरोक्त निर्णय के फलस्वरुप ही कर संग्रह और बिक्री में भी भारी वृद्धि देखी गई थी. इसका असर यह पडा था कि कई कंपनियों को बाध्य होकर ₹1000 तक की एमआरपी (MRP)श्रृंखला में उत्पाद पेश करने हेतु मजबूर होना पड़ा था. जाहिर है उक्त कर छूट से सरकार , निर्माता , व्यापारी एवं जनता जनार्दन अत्यधिक लाभान्वित हुई थी ।

ज्ञापन में व्यापारियों ने यह कहते हुए आश्चर्य व्यक्त किया है कि जो निर्णय 2 वर्ष पूर्व व्यापारियों व जनता को राहत प्रदान करने के लिए लिया गया था वह अचानक पलट दिया गया और टैक्स की दरों को पुरानी दरों की सीमा में  पहुंचा दिया गया. यह निर्माण गारमेंट्स व जूते के उत्पादक,व्यापारी एवं जनता सभी के लिए अत्यंत कष्टकारी है. व्यापारियों ने साफ़ शब्दों में जीएसटी परिषद में टैक्स पुनर्गठन के निर्णय का विरोध करते हुए कहा है कि 1 जनवरी 2022 से परिधानों एवं फुटवियर पर जीएसटी दरों में वृद्धि का निर्णय पूरी तरह अव्यावहारिक है ।

ज्ञापन में व्यापारियों ने इस बात की आशंका जताई है कि बढ़ी हुई दरें लागू होने से   व्यापारियों को 1 जनवरी 2022 तक बिना बिके बचे हुए अंतिम स्टॉक पर अपने पास से जीएसटी की परिवर्तित दरों का अधिक भुगतान करना पड़ेगा जो न्यायसंगत नहीं है । फेम ने इस वृद्धि को वापस लेने की पुरजोर मांग करते हुए जीएसटी कौंसिल के निर्णय का कड़ा विरोध किया  है ।

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