जेल की सजा का कोई प्रस्ताव नहीं
नई दिल्ली : सरकार ने 500 और 1000 के पुराने नोटों को किसी व्यक्ति द्वारा 10 से ज्यादा संख्या में रखे जाने को दंडनीय अपराध घोषित किया है. ऐसा करने वाले को न्यूनतम 10,000 रुपये जुर्माने का प्रावधान किया है जबकि जेल की सजा का कोई प्रस्ताव नहीं किया गया है. पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को मंत्रिमंडल की बैठक में विनिर्दिष्ट नोट अध्यादेश-2016 को मंजूरी प्रदान की गई थी. इस अध्यादेश के अनुसार कोई भी व्यक्ति प्रतिबंधित पुराने नोटों को 10 से ज्यादा संख्या में नहीं रख सकता है. केवल शोधार्थियों और विद्वानों को ऐसे 25 नोट रखने की अनुमति इस अध्यादेश में दी गई है.
खबर है कि इस अध्यादेश को शीघ्र ही राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा और यह 31 दिसंबर से प्रभावी होगा. इसके लिए सरकार ने न्यूनतम 10,000 रुपये या पायी गई राशि का पांच गुना जो भी ज्यादा हो जुर्माना तय किया है. सरकार ने स्पष्ट किया कि गलत जानकारी के साथ एक जनवरी से 31 मार्च के बीच पुराने नोट जमा कराने पर 5,000 रुपये या राशि का पांच गुना जो भी ज्यादा हो, जुर्माना वसूला जाएगा. इसके लिए विशेष खिड़कियां खोली जाएंगी जिस पर सिर्फ नोटों को बदला जा सकेगा.
इस अध्यादेश में भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम में संशोधन का प्रावधान किया गया है ताकि नोटबंदी को कानूनी जामा पहनाया जा सके. इससे समय के अंदर नहीं बदले गए प्रतिबंधित नोटों को लेकर केंद्रीय बैंक की देनदारी भी खत्म हो जाएगी. सरकार ने पुराने नोटों को बदलने के लिए जनता को 50 दिन का वक्त दिया था जिसकी मियाद कल समाप्त हो रही है.
नोट पर केंद्रीय बैंक की ओर से धारक को कीमत अदा करने का वादा अंकित होता है. इस दायित्व को केवल कानूनी तौर पर ही खत्म किया जा सकता है और इससे पहले हर किसी को पुराने नोट बदलने का अवसर देना पड़ता है.
सरकार को इस अध्यादेश को छह माह के भीतर संसद से पास कराना होगा तभी यह पूर्ण तौर पर कानून बन पाएगा. इस अध्यादेश से अब बंद हो चुके 500 और 1000 रुपये के नोटों के रूप में दस हजार रुपये से ज्यादा रखने, लेनदेन करने और ग्रहण करना दंडनीय अपराध हो जाएगा.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1978 में तत्कालीन मोरारजी देसाई की सरकार भी इसी तरह का अध्यादेश लायी थी जब उसने 1,000, 5,000 और 10,000 रुपये को नोटों को चलन से बाहर किया था.