-वामपंथी उग्रवाद पर आयोजित समीक्षा बैठक में बोले केन्द्रीय गृह मंत्री
-बिहार सहित छह राज्यों के मुख्यमंत्री भी बैठक में शामिल हुए
-नक्सली हमले में पिछले 40 वर्षों में 16 हज़ार से अधिक नागरिकों की जान गई
-पहली बार मृत्यु की संख्या 200 से कम है
-CAPFs की तैनाती पर राज्यों के ख़र्च में 2900 करोड़ रु. की कमी आई
-आज़ादी के बाद 6 दशकों में विकास ना पहुंच पाना असंतोष का बड़ा कारण
-वामपंथी उग्रवादियों के आय के स्रोतों को निष्प्रभावी करना बेहद ज़रूरी
नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री एवं सहकारिता मंत्री, अमित शाह ने आज नई दिल्ली में वामपंथी उग्रवाद पर एक समीक्षा बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में केन्द्रीय ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री, गिरिराज सिंह, जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा, दूरसंचार, सूचना-प्रौद्योगिकी और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव, सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह और केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी उपस्थित थे।
इस अति महत्वपूर्ण बैठक में बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश और झारखंड के मुख्यमंत्री और आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और केरल के वरिष्ठ अधिकारी, केन्द्रीय गृह सचिव, केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के शीर्ष अधिकारी और केन्द्र तथा राज्य सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए।
बैठक को संबोधित करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विकास के लिए कटिबद्ध है। उन्होंने कहा कि यह संतोष का विषय है कि प्रधानमंत्री की अगुवाई में वामपंथी उग्रवाद पर नकेल कसने में केंद्र और राज्यों के साझा प्रयासों से बहुत सफलता मिली है।
श्री शाह ने कहा कि एक तरफ जहां वामपंथी उग्रवाद की घटनाओं में 23 प्रतिशत की कमी आई है वहीं मौतों की संख्या में 21 प्रतिशत की कमी आई है। दशकों की लड़ाई में हम एक ऐसे मुकाम पर पहुंचे हैं जिसमें पहली बार मृत्यु की संख्या 200 से कम है और यह हम सबकी साझा और बहुत बड़ी उपलब्धि है।
उन्होंने कहा कि हम सब जानते हैं कि जब तक हम वामपंथी उग्रवाद की समस्या से पूरी तरह निजात नहीं पाते तब तक देश का और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों का पूर्ण विकास संभव नहीं है।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि इसको खत्म किए बिना न तो लोकतन्त्र को नीचे तक प्रसारित कर पाएंगे और न ही अविकसित क्षेत्रों का विकास कर पाएंगे, इसलिए हमने अब तक जो हासिल किया है उस पर संतोष करने की बजाय जो बाकी है उसे प्राप्त करने के लिए गति बढ़ाने की जरूरत है।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि भारत सरकार कई सालों से राजनीतिक दलों पर ध्यान दिये बिना दो मोर्चों पर लड़ाई लड़ती रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जो हथियार छोड़कर लोकतंत्र का हिस्सा बनना चाहते हैं उनका दिल से स्वागत है लेकिन जो हथियार उठाकर निर्दोष लोगों और पुलिस को आहत करेंगे, उनको उसी तरह जवाब दिया जायेगा।
उन्होंने कहा कि असंतोष का मूल कारण है आज़ादी के बाद पिछले 6 दशकों में विकास ना पहुंच पाना, इससे निपटने के लिए वहां तेज़ गति से विकास पहुंचाना और आम जनता और निर्दोष लोग उनके साथ ना जुड़ें, ऐसी व्यवस्था करना अति आवश्यक है। श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में विकास हो रहा है और अब नक्सली भी ये बात समझ चुके हैं कि विकास होने पर निर्दोष लोग उनके बहकावे में नहीं आएंगे इसीलिए विकास की गति निर्बाध रूप से जारी रखना बहुत ज़रूरी है।
इन दोनों मोर्चों पर सफल होने के लिए ये बैठक बहुत मह्त्वपूर्ण है। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए प्रभावित राज्यों के मुख्य सचिव कम से कम हर तीन महीने में पुलिस महानिदेशक और केन्द्रीय ऐजेंसियों के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक करें, तभी हम इस लड़ाई को आगे बढ़ा सकते हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले दो साल में जिन क्षेत्रों में सुरक्षा पहुंच नहीं थी, वहां सुरक्षा कैंप बढ़ाने का काफी बड़ा और सफल प्रयास किया गया है, विशेषकर छत्तीसगढ़ में, साथ ही महाराष्ट्र और ओडिशा में भी सुरक्षा कैंप बढ़ाए गए हैं। श्री शाह ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक के स्तर पर नियमित समीक्षा की जाती है, तो निचले स्तर पर समन्वय की समस्याएं अपने आप हल हो जाएंगी।
श्री शाह ने कहा कि जिस समस्या के कारण पिछले 40 वर्षों में 16 हज़ार से अधिक नागरिकों की जान गई हैं, उसके ख़िलाफ़ लड़ाई अब अंत तक पहुंची है और इसकी गति बढ़ाने और इसे निर्णायक बनाने की ज़रूरत है।
उन्नेहोंने कहा कि हाल ही में भारत सरकार ने अनेक उग्रवादी गुटों, विशेषकर उत्तरपूर्व में, के साथ समझौता कर उनसे हथियार डलवाने में सफलता हासिल की है। बोड़ोलैंड समझौता, ब्रू समझौता, कार्बी आंगलोंग समझौता और त्रिपुरा के उग्रवादियों द्वारा आत्मसमर्पण समेत अबतक लगभग 16 हज़ार कैडर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं। केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जितने भी लोग हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में आना चाहते हैं, उनका हम स्वागत करते हैं।
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि राज्य प्रशासन को सक्रिय होकर केन्द्रीय बलों के साथ तालमेल के साथ आगे बढ़ना चाहिए। श्री अमित शाह ने कहा कि केन्द्रीय बलों के बारे में जिन राज्यों ने मांग भेजी हैं, उन्हें पूरा करने का प्रयास किया गया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) की तैनाती पर होने वाले राज्यों के स्थायी ख़र्च में कमी लाने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है।
इसके परिणामस्वरूप वर्ष 2018-19 के मुक़ाबले 2019-20 में CAPFs की तैनाती पर होने वाले राज्यों के ख़र्च में लगभग 2900 करोड़ रूपए की कमी आई है। प्रधानमंत्री ने निरंतर इसकी समीक्षा की है और लगातार हम सबका मार्गदर्शन कर रहे हैं।
श्री शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवादियों के आय के स्रोतों को निष्प्रभावी करना बेहद ज़रूरी है। केन्द्र और राज्य सरकारों की ऐजेंसियों को मिलकर एक व्यवस्था बनाकर इसे रोकने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह करते हुए कहा कि वे वामपंथी उग्रवाद की समस्या को अगले एक साल तक प्राथमिकता दें, जिससे इस समस्या का स्थायी समाधान हो सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए दबाव बनाने, गति बढ़ाने और बेहतर समन्वय की ज़रूरत है।
वामपंथी उग्रवाद पिछले कई दशकों से एक अहम सुरक्षा चुनौती रहा है। हालांकि यह मुख्य रूप से राज्य का विषय है लेकिन केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने वामपंथी उग्रवाद के ख़तरे से समग्र रूप से निपटने के लिए 2015 से एक ‘राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ बनाई है। इस योजना की प्रगति और स्थिति की लगातार सघन निगरानी की जा रही है और यह एक बहुआयामी दृष्टिकोण वाली नीति है।
प्रभावित क्षेत्रों में ग़रीब और कमज़ोर वर्ग तक विकास पहुंचाने के लिए विकासशील गतिविधियों पर अधिक ज़ोर देने के साथ ही हिंसा के प्रति शून्य सहिष्णुता, वामपंथी उग्रवाद के ख़तरे से निपटने की ‘राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना’ के महत्वपूर्ण पहलू हैं।
इस नीति के अंतर्गत, केन्द्रीय गृह मंत्रालय, सीएपीएफ बटालियनों की तैनाती, हेलीकॉप्टरों और यूएवी के प्रावधान और भारतीय रिजर्व बटालियनों (आईआरबी) / विशेष भारत रिजर्व बटालियनों (एसआईआरबी) की मंजूरी के जरिए क्षमता निर्माण और सुरक्षा तंत्र की मज़बूती के लिए राज्य सरकारों को समर्थन दे रहा है।
राज्य पुलिस के आधुनिकीकरण और प्रशिक्षण के लिए पुलिस बल के आधुनिकीकरण (एमपीएफ), सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना और विशेष बुनियादी ढांचा योजना (एसआईएस) के तहत भी धनराशि उपलब्ध कराई जाती है।
वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के विकास के लिए, भारत सरकार ने कई विकासात्मक पहल की हैं जिनमें 17,600 किलोमीटर सड़कों को मंज़ूरी शामिल है, जिसमें से 9,343 किलोमीटर सड़कों का निर्माण आरआरपी-I, आरसीपीएलडब्ल्यूई के तहत पूरा हो चुका है। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों में दूरसंचार सुविधाओं में सुधार के लिए 2,343 नए मोबाइल टावर लगाए गए हैं और अगले 18 महीनों में 2,542 अतिरिक्त टावर लगाए जाएंगे। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों में लोगों के वित्तीय समावेशन के लिए 1,789 डाकघर, 1,236 बैंक शाखाएं, 1,077 एटीएम और 14,230 बैंकिंग प्रतिनिधि खोले गए हैं.
अगले एक वर्ष में 3,114 डाकघर और खोले जाएंगे। वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित क्षेत्रों में युवाओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) खोलने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों के लिए कुल 234 ईएमआरएस स्वीकृत किए गए हैं, इनमें से 119 कार्यरत हैं।
सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों में विकास को और गति देने के लिए विशेष केंद्रीय सहायता (एससीए) योजना के तहत, 10,000 से अधिक परियोजनाएं शुरू की गई हैं, जिनमें से 80% से अधिक पूरी हो चुकी हैं। इस योजना के तहत वामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों को 2,698.24 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
एसआईएस के तहत 992 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंज़ूरी दी गई है और 152 करोड़ रुपये की अग्रिम राशि जारी कर दी गई है। एसआरई के तहत अप्रैल, 2014 से पिछले 7 वर्षों में 1,992 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई है, जो कि सात वर्षों से पहले की अवधि की तुलना में 85% अधिक है।
केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने कुछ ज़िलों को वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित ज़िलों के रूप में वर्गीकृत किया था और वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए प्रभावित राज्यों को विशिष्ट संसाधन जुटाने के लिए सुरक्षा संबंधी व्यय (एसआरई) योजना के तहत कवर किया था। इन एसआरई जिलों में से, देश भर में वामपंथी उग्रवाद संबंधी हिंसा वाले ज़िलों में से 85% से अधिक जिलों को सुरक्षा और विकास से संबंधित संसाधनों की केन्द्रित उपलब्धता के लिए ‘सबसे अधिक प्रभावित ज़िलों’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
पिछले एक दशक में, हिंसा के आंकड़ों और इसके भौगोलिक फैलाव, दोनों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। वामपंथी उग्रवाद संबंधित हिंसा की घटनाएं 2009 में 2,258 के उच्चतम स्तर से 70% कम होकर वर्ष 2020 में 665 रह गई हैं। मौतों की संख्या में भी 82% की कमी आई है जो वर्ष 2010 में दर्ज 1,005 के उच्चतम आंकड़े से घटकर वर्ष 2020 में 183 रह गई हैं।
माओवादियों के प्रभाव वाले ज़िलों की संख्या भी वर्ष 2010 में 96 से वर्ष 2020 में घटकर सिर्फ 53 ज़िलों तक सीमित रह गई है। माओवादियों को अब सिर्फ़ कुछ ही इलाक़ों में 25 ज़िलों तक सीमित कर दिया गया है जो कि देश के कुल वामपंथी उग्रवाद की 85% हिंसा के लिए ज़िम्मेदार हैं।
बेहतर स्थिति के कारण, एसआरई जिलों की संख्या की पिछले तीन वर्षों में दो बार समीक्षा की गई, जो अप्रैल, 2018 में 126 ज़िलों से घटकर 90 और फिर जुलाई, 2021 में 70 हो गए। सबसे अधिक वामपंथी उग्रवाद प्रभावित ज़िलों की संख्या भी अप्रैल, 2018 में 35 से घटकर 30 और फिर जुलाई, 2021 में इसे और कम करके 25 कर दिया गया।
वामपंथी उग्रवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई अब महत्वपूर्ण चरण में है और सरकार जल्द ही इस ख़तरे को बेहद कम करने के प्रति आशान्वित है।
भौगोलिक प्रसार
वामपंथी उग्रवाद संबंधी घटनाएं
परिणामस्वरूप मौतें