नई दिल्ली : भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक साहसिक कदम के रूप में, भारत सरकार ने आने वाले वर्षों में अपनी क्षमता तक पहुंचने के लिए चिकित्सा उपकरण उद्योग को समर्थन प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण पहल की है, उद्योग की पहचान विविधीकरण और रोजगार सृजन के लिए एक उभरते हुए क्षेत्र के रूप में की गई है। इस क्षेत्र में उचित अवसंरचना का निर्माण करने हेतु निवेश के उच्च स्तर तक पहुंचने की आवश्यकता को समझते हुए, फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने “मेडिकल डिवाइस पार्कों को बढ़ावा देने” के लिए योजना को अधिसूचित किया :
- प्रतिस्पर्धाओं में हुई बढ़ोत्तरीसे निपटने के लिए, वैश्वित स्तर वाली सामान्य बुनियादी सुविधाओं के निर्माण के माध्यम से मानक परीक्षण और बुनियादी सुविधाओं तक आसान पहुंच के कारण, चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन की लागत में उल्लेखनीय कमी आएगी, जिससे घरेलू बाजार में चिकित्सा उपकरणों की बेहतर उपलब्धता और सामर्थ्य प्राप्त होगा।
- उपयुक्त संसाधनों और बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं से उत्पन्न होने वाले लाभों को प्राप्त करना।
इस योजना के अंतर्गत विकसित किए जाने वाले मेडिकल डिवाइस पार्क एक ही स्थान पर सामान्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करेंगे, जिससे देश में चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण करने के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण होगा और विनिर्माणलागत में भी बहुतकमी आएगी।इस योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 400 करोड़ रुपये है और इस योजना की अवधि वित्त वर्ष 2020-2021 से लेकर वित्त वर्ष 2024-2025 तक है। चयनित किए गए मेडिकल डिवाइस पार्क को सामान्य बुनियादी सुविधाओं की परियोजना लागत का 70 प्रतिशत वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी। पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों के मामले में वित्तीय सहायता परियोजना लागत का 90 प्रतिशत होगी। योजना के अंतर्गत एक मेडिकल डिवाइस पार्क को अधिकतम 100 करोड़ रुपये तक की वित्तिय सहायता प्रदान की जाएगी।
इस योजना के अंतर्गतकुल मिलाकर 16 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का चयन चुनौती पद्धति पर आधारित है, जो योजना के मूल्यांकन मानदंडों में प्रतिबिंबित होता है। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के लिए रैंकिंग पद्धति योजना दिशा-निर्देशों में निर्धारित मापदंडों जैसे उपयोगिता शुल्क, राज्य नीति प्रोत्साहन, पार्क का कुल क्षेत्रफल, भूमि का पट्टा दर, पार्क की कनेक्टिविटी, ईज ऑफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग, तकनीकी जनशक्ति की उपलब्धता आदि पर आधारित है।इस योजना के अंतर्गत मूल्यांकन के आधार पर, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के प्रस्तावों को “सैद्धांतिक” मंजूरी प्रदान की गई है।उक्त राज्यों की राजकोषीय क्षमता, पारिस्थितिकी तंत्र आकर्षण और औद्योगिक उपस्थिति के संदर्भ में किए गए गुणात्मक मूल्यांकन के आधार पर भी इन राज्यों के चयनको मान्यता प्रदान की गई है।
यह योजना को-ऑपरेटिव फेडरलिज्म (सहकारी संघवाद) की भावना को दर्शाती है, जहां पर केंद्र सरकार और राज्य सरकारें इस क्षेत्र के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए मध्यस्थ डिवाइस पार्क विकसित करने में साझेदारी करेंगी।