मीडिया शिक्षण व शोध भारतीय परिप्रेक्ष्य में : राठौर

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राष्ट्रीय सेमिनार में सम्मानित हुए संजय चुघ

गुरुग्राम : पत्रकारिता शिक्षण देशहित की भावना के साथ हो तथा मीडिया शोध भारतीय परिप्रेक्ष्य में होने चाहियें। मीडिया में शिक्षण की नींव मजबूत हो और भेदभाव रहित रिपोर्टिंग देश के निशान व नमक, समाज के प्रति प्रतिबद्ध और देश के प्रति जवाबदेही के लिए हो। उक्त उदगार कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर, राज्य मंत्री सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार ने ‘पत्रकारिता शिक्षण : चुनौतियां एवं समाधान’ विषय पर आधारित राष्ट्रीय सेमिनार के समापन संबोधन में व्यक्त किये।   

 

उन्होंने कहा कि पत्रकारिता शिक्षण विद्यार्थियों में शिक्षण संस्कारो, आदर्शों, संकल्पों, सामाजिक चिंतन, जन सरोकारों व जरुरत मंदों के पक्ष में खड़ा करने वाला होना चाहिए। पत्रकारिता एक मिशन है और एक बेहतर पत्रकार समाज के कल्याण करने वाला होना चाहिए।

 

उन्होंने आज़ादी के मिशन, तप-त्याग से सराबोर, भारतीय लोकतंत्र को मजबूती देने वाले मीडिया शिक्षण के आदर्श पाठ्यक्रम के निर्माण में सभी की भागीदारी से एक अच्छे संकेत मिलने पर ख़ुशी व्यक्त की। 

 

भारतीय पत्रकारिता शिक्षण में चुनौतियां एवं समाधान के दृष्टीगत शनिवार 24 दिसम्बर को भारतीय जनसंचार संस्थान, दिल्ली में राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। संबुद्ध पत्रकारिता शिक्षक एवं अनुसन्धान न्यास एवं भारतीय जनसंचार संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित इस राष्ट्रीय सेमिनार में ‘पत्रकारिता शिक्षण के समक्ष चुनौतियां’, ‘पत्रकारिता शिक्षण में भारतीय मूल्य’, ‘पत्रकारिता शिक्षण के लिए आदर्श पाठ्यक्रम’, ‘पत्रकारिता शोध और भारतीय पाठ्य-पुस्तकों की महता’ पर आधारित चार सत्र आयोजित किए गए।

मीडिया शिक्षण व शोध भारतीय परिप्रेक्ष्य में : राठौर 2

इस सेमिनार कार्यक्रम में विशेष रूप से आमन्त्रित दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम गुरुग्राम में कार्यरत जन संचार मीडिया में पीएचडी के शोधार्थी संजय कुमार चुघ को उनके बहुमूल्य सुझाव एवं विचार के लिए प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया।

 

इस राष्ट्रीय सेमिनार में लब्धप्रतिष्ठ पत्रकार जे. नन्द कुमार, माखन लाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर ब्रज किशोर कुठियाला, पूर्व कुलपति अचुतानंद मिश्र, कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता संचार विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफ़ेसर मान सिंह परमार, पूर्व कुलपति डॉक्टर सचिदानंद जोशी, पूर्वांचल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर प्रेमचंद पतंजलि, पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफ़ेसर शंभूनाथ सिंह, भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक के जी सुरेश, काशी विद्यापीठ के विभागाध्यक्ष प्रोफ़ेसर ओम प्रकाश सिंह, वरिष्ठ पत्रकार उमेश उपाध्याय, देवेश किशोर, इंद्रप्रस्थ विश्वविद्यालय के डॉक्टर दिलीप कुमार, दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉक्टर विजयेन्द्र कुमार, डॉक्टर देवेन्द्र भारद्वाज, रचना शर्मा, गलगोटिया विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर अमिताभ श्रीवास्तव, सुभारती विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर धर्मेन्द्र सिंह, संगोष्ठी के संयोजक डॉक्टर अरुण कुमार भगत आदि ने भी अपने-अपने अनुभवी सुझाव और विचार रखे। सभी ने वर्तमान परिपेक्ष्य में पत्रकारिता शिक्षण में बेहतरी लाने के लिए और इस महान उद्धेश्य के लिए मीडिया की नई तकनीक को अपनाने व इसका भरपूर लाभ उठाते हुए समय के साथ चलने पर जोर दिया। इसमें राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार आदि क्षेत्रों के पत्रकारिता व जन संचार विभाग अध्यक्ष, प्रोफ़ेसर, सहायक प्रोफ़ेसर एवं मीडिया के लिए कार्यरत लोगों ने भाग लिया।

 

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