चण्डीगढ़: श्रीमद्भगवत गीता ने कोरोना काल में भी मनुष्य के जीवन में आत्मविश्वास व मनोबल बढ़ा कर सिद्ध कर दिया है कि गीता मात्र एक पुस्तक नहीं जीवन जीने का मार्ग है। यह विचार हरियाणा के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय ने मंगलवार को यहां राजभवन में ‘‘जियो गीता‘‘ व गुरूग्राम विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च जर्नल के प्रथम अंक व काॅफी टेबल बुक के लोकार्पण कार्यक्रम में व्यक्त किए। इस कार्यक्रम में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, मुख्यमंत्री हरियाणा के मुख्य प्रधान सचिव श्री डी.एस ढेसी, हरेरा के चेयरमैन डा0 के.के. खंडेलवाल, गृह सचिव श्री राजीव अरोड़ा, सचिव राज्यपाल श्री अतुल द्विवेदी, हरियाणा व्यापारी बार्ड के चेयरमैन श्री राम निवास गर्ग, उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव श्री आनंद मोहन सरन, कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति श्री सोमनाथ सचदेवा, गुरूग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 मारकण्डे आहूजा, श्री सीताराम, श्री प्रदीप मित्तल, राज्यपाल के आई.टी सलाहकार श्री बी.ए भानुशंकर सहित जियो गीता से जुड़े पदाधिकारी व गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। कार्यक्रम में राज्यपाल श्री दत्तात्रेय द्वारा जियो गीता व गुरूग्राम विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किया गया अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च जर्नल के प्रथम अंक व काॅफी टेबल बुक का लोकार्पण किया गया है।
उन्होंने कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि श्रीमद्भगवत गीता ने हर संकट की घड़ी में मानव का साथ दिया है। उन्होंने स्वयं का उदाहरण देते हुए कहा कि कोरोना काल के दौरान उन्हें प्रतिदिन गीता का पठन किया जिससे उनका मनोबल बढ़ा। उन्होंने अपने संस्मरण याद करते हुए कहा कि 1976 में जब वो जेल में थे तब भी गीता उनके विश्वास बरकरार रखने के लिए कारगर सिद्ध हुई।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि पूरे विश्व में हरियाणा को वीर भूमि के नाम से जाना जाता है और हरियाणा में कुरूक्षेत्र भारतीय सभ्यता और संस्कृति की जन्मस्थली और अध्यात्मिक चिन्तन का प्राचीनतम केन्द्र है। कुरूक्षेत्र में ही भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जून को गीता का उपदेश दिया था। यह वह महान भूमि है, जिसकी रज का अपने मस्तक पर तिलक लगाकर मानव स्वयं को धन्य समझता है।
उन्होंने आगे कहा कि गीता के पहले श्लोक का आरम्भ ही ‘धर्मक्षेत्र–कुरूक्षेत्र‘ से होता है, जिसमें कुरूक्षेत्र को धर्मक्षेत्र की संज्ञा दी गई है। कहते है– ‘गंगा के तो केवल जल से ही मुक्ति प्राप्त होती है और वाराणसी की भूमि और जल में ही मोक्ष देने की शक्ति है, परन्तु कुरूक्षेत्र के जल, थल और वायु–तीनों ही मुक्ति प्रदाता है। इसलिए कुरूक्षेत्र की भूमि में तीनों का आध्यात्मिक संगम है।‘
श्री दत्तात्रेय ने श्रीमद्भगवत गीता का महत्व बताते हुए कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने ज्ञान–सागर को 18 अध्यायों तथा 700 श्लोकों की गीता रूपी गागर में भरकर मानव जाति के कल्याण का मार्ग दिखाया है। इसके 700 श्लोक जीवन के 700 सूत्र प्रतिपादित करते हैं। सच तो यह है कि मानव जीवन की सभी समस्याओं के हल और मानव प्रबन्धन यानी ‘ह्नयूमन मैनेज़मेंट‘ का यह सबसे उत्तम मार्गदर्शक है।
उन्होंने आमजन से अपील की कि हमें गीता ज्ञान से प्रेरित होकर स्वयं की, समाज की और अपने राष्ट्र की उन्नति के लिए अपनी ‘कर्म संस्कृति‘ को अपनाना होगा। तभी हम भू–मण्डलीकरण के इस दौर में विकसित देशों की प्रतिस्पर्धा में टिक सकेंगे।
श्री दत्तात्रेय ने कहा कि जिस देश ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजकर नहीं रखा उनकी सभ्यताएं ही नष्ट हो गई। अतः हमें अपनी भारतीय सभ्यता और संस्कृति की अमूल्य धरोहरों को हर स्थिति में बनाए रखना है। कुरूक्षेत्र तीर्थ भी इन महान धरोहरों का अभिन्न अंग है, जिसके वैभव को बनाए रखने के लिए हम कटिबद्ध है।
कुरूक्षेत्र भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा पवित्र स्थल होने के साथ–साथ इस स्थली को आध्यात्मिक पर्यटन स्थल के रूप में और अधिक विकसित किया जाएगा। इससे श्रीमद्भगवत गीता का संदेश भी जन–जन तक पहुंचेगा और विश्वभर के लोग कुरूक्षेत्र से जुड़ पाएगें।
उन्होंने श्रीमद्भगवत गीता के प्रचार–प्रसार के लिए ‘‘जियो गीता‘‘ संस्थान व स्वामी ज्ञानानंद जी का विशेष रूप से धन्यवाद किया। जियो गीता के माध्यम से विश्वभर में लोग गीता के उपदेश को ग्रहण कर रहे हैं, जिससे विश्व में शांति–सद्भाव व भाईचारे का माहौल कायम करने में सफलता मिली है।
इस कार्यक्रम में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने गीता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान में हर व्यक्ति के जीवन में भौतिकवाद प्रभावी है। यह चिंतन है और चिंताजनक भी है। आज भौतकीय असुविधा के साथ–साथ समाज में असंतुलन दिखाई दे रहा है। ऐसे में गीता मनुष्य की हर समस्या का समाधान ढूढ़ने में कारगर सिद्ध हुई है।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री के मुख्य सचिव श्री डी.एस ढेसी ने कहा कि गीता की पवित्र पुस्तक भारतीय संस्कृति की अमूल्य धरोहर है। विश्वभर में गीता का प्रचार–प्रसार करने के लिए सरकार सदैव हर संभव प्रयास जारी रखेगी। इस कार्यक्रम में गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने राज्यपाल हरियाणा श्री दत्तात्रेय को गीता भेंट की। इसी प्रकार से जियो गीता की तरफ से सभी अधिकारियों और गणमान्य व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन गुरूग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति डा0 मारकण्डे आहूजा ने किया और ‘‘जियो गीता‘‘ के माध्यम से गीता के प्रचार–प्रसार से कार्यों का उल्लेख किया। कार्यक्रम को श्री सीताराम ने भी संबोधित किया और श्री प्रदीप मित्तल ने राज्यपाल श्री दत्तात्रेय व सभी गणमान्य व्यक्तियों का धन्यवाद किया।