नए शिक्षा सत्र में राजकीय प्राथमिक पाठशालाओं में बढ़ रही है छात्रों की संख्या

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-छात्रों की संख्या बढ़ जाने से बंद किए गए  2 स्कूल फिर से खुलेंगे
-प्रदेश मे 25 स्कूलों को करा दिया गया था बंद

गुडग़ांव, 22 जुलाई : शिक्षा निदेशालय ने वर्ष 2019 की 16 जुलाई को छात्रों की संख्या कम होने के कारण विभिन्न जिलों के 25 प्राईमरी स्कूलों को बंद कर दिया था और इन स्कूलों को नजदीकी स्कूलों में समायोजित भी कर दिया गया था, लेकिन शैक्षणिक सत्र 2021-22 के दौरान राजकीय स्कूलों में छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई है और इस सबका श्रेय शिक्षकों व स्कूल के मुखियाओं को जाता है। अब शिक्षा निदेशालय ने इन सभी 25 स्कूलों को नए शिक्षा सत्र से खोलने के आदेश जारी कर दिए हैं।

गुडग़ांव के भी राजकीय प्राथमिक पाठशाला घिलावास व चांदला डूंगरवास को खोलने के आदेश दे दिए हैं। बताया जाता है कि जब घिलावास के स्कूल को बंद किया गया था तो उस समय प्राथमिक पाठशाला में केवल 7 छात्र ही थे। अब इनकी संख्या बढक़र 30 हो गई है। डूंगरवास में यह संख्या अब 28 हो गई है। शिक्षकों व क्षेत्रवासियों ने शिक्षा निदेशालय के इस आदेश की सराहना भी की है।

उन्होंने आश्वस्त किया है कि राजकीय पाठशालाओं में बच्चों के दाखिले कराने के लिए वे प्रयासरत रहेंगे, ताकि कम छात्रों के कारण फिर से स्कूलों को बंद कराने की नौबत न आए।

कोरोना महामारी के कारण 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम करना पड़ा है कम

कोरोना काल में छात्रों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव रहा था। कई माह तक शिक्षण संस्थाएं बंद रही थी। हालांकि अब शिक्षण संस्थाएं खोल दी गई हैं, लेकिन अभी भी छात्रों की संख्या राजकीय स्कूलों में कम ही दिखाई दे रही है। प्रदेश के शिक्षा बोर्ड ने नए शैक्षणिक सत्र 2021-22 के लिए 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम कम करने का निर्णय लिया है। कोरोना महामारी के चलते इस सत्र में भी स्कूल नहीं खुल पाए थे।

इसलिए पाठ्यक्रम को कम किया गया है, ताकि छात्रों को अपनी तैयारी करने के लिए आसानी रहे। सीबीएसई शिक्षा बोर्ड ने भी कोरोना महामारी के दौरान 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम सीनियर सैकेण्डरी कक्षाओं के लिए कम कर दिया था। सैक्टर 4 स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय की प्रधानाचार्या सुमनलता शर्मा का कहना है कि ऑफलाईन कक्षाओं का नियमित रुप से संचालन कम हो पा रहा है। विभिन्न कारणों के कारण ऑनलाईन कक्षाओं में भी छात्रों को जोडऩे में समस्याएं आ रही हैं। इसलिए पाठ्यक्रम कम होने से छात्रों पर
इसका बोझ कम पड़ेगा और छात्र पाठ्यक्रम को बेहतर रुप से पढ़ पाएंगे। पाठ्यक्रम कम होने से छात्र भी काफी उत्साहित दिखाई दे रहे हैं।

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