255 फर्जी राजनीतिक दलों पर आयोग का डंडा चला

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11 साल से किसी ने चुनाव ही नहीं लड़ा 

डी-लिस्‍ट कर खाते की जाँच के आदेश , अब नहीं ले पायेंगे आय कर में छूट 

नई दिल्‍ली : चुनाव आयोग ने फर्जी राजनीतिक दलों पर कानूनी तलवार चला दी है. खबर है कि  आयोग ने ऐसे 255 फर्जी राजनीतिक दलों की पहचान कर सभी को डी-लिस्‍ट कर दिया है. समझा जाता है कि इस कारवाई के बाद देश में फर्जी राजनितिक दल अब किसी प्रकार की छूट नहीं ले पायेंगे. संकेत यह है कि चुनाव आयोग ने सीबीडीटी से इन 255 फर्जी राजनीतिक दलों के अकाउंट की जांच करने का भी आदेश दिया है. इन सभी असूचिबद्ध किए गए राजनीतिक दलों के वित्तीय लेनदेन की गहन जांच होगी.

एक फर्जी दल का पता 17, अकबर रोड

जम्‍मू कश्‍मीर के सीआईडी कार्यालय के पते पर पंजीकृत है एक दल 

 

बतया जाता है कि देश में कुल फर्जी राजनीतिक दलों में सबसे ज्‍यादा 52 पार्टियां दिल्‍ली से पंजीकृत हैं. इससे यह समझा जा सकता है कि दिल्ली में इन राजनितिक दलों के लोगों ने इसका कितना दुरूपयोग किया होगा. गौरतलब है इन फर्जी पंजीकृत दलों में से एक फर्जी दल का पता 17, अकबर रोड नई दिल्‍ली भी है. दूसरी तरफ एक फर्जी पार्टी, जम्‍मू कश्‍मीर के सीआईडी के कार्यालय के पते पर पंजीकृत है.

 

अगर अन्य राज्यों की बात करें तो  उत्‍तर प्रदेश से 41, तमिलनाडु से 30 और  महाराष्‍ट्र से 24 फर्जी दल पंजीकृत होने का खुलासा हुआ है. यह जान कर आश्चर्य होगा कि चुनाव आयोग द्वारा चिन्हित इन 255 दलों ने 2005 से 2015 तक यानि लगातार 11 वर्षों से कोई चुनाव नहीं लड़ा है. तब भी ये सभी आय कर आदि में छूट लेते रहे और काले को सफ़ेद करते रहे, ऐसी आशंका पिछले दिनों चुनाव आयोग ने व्यक्त की थी.

 

अब आयोग की सक्रियता से हुई इस कार्रवाई से सभी फर्जी राजनीतिक दल इस सुविधा से वंचित हो जायेंगे.

 

सूत्रों का कहना है कि चंदों के गलत इस्तेमाल की आशंका के कारण ही चुनाव आयोग ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड को 255 पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों के वित्तीय ब्योरे की जांच करने का आदेश दिया है. जानकारी मिली है कि सीबीडीटी के अध्यक्ष को गुरुवार को लिखे एक पत्र में आयोग ने कहा है कि उसने इस साल फरवरी और 15 दिसंबर के बीच 255 पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियों को असूचीबद्ध कर दिया है. आयोग ने कहा है कि जांच में यह पता चला है कि कुछ पार्टियों का अब अस्तित्व भी नहीं है जबकि कुछ काम नहीं कर रहीं है.

 

चुनाव आयोग ने सीबीडीटी से कहा है कि यदि कोई राजनितिक दल कानून का उल्लंघन करते पाया जाए तो जनप्रतिनिधित्व कानून, 1951 की धारा 29-बी और 29-सी के प्रावधानों के मद्देनजर कानूनी कार्रवाई की जाए. उल्लेखनीय है कि धारा 29-बी के प्रावधान के अनुसार यदि कोई व्यक्ति या कंपनी, सरकारी कंपनी को छोड़कर, किसी राजनीतिक पार्टी को स्वेच्छा से कितनी भी रकम चन्दा देना चाहे तो राजनीतिक पार्टी ऐसे चंदे को स्वीकार कर सकती है.

 

धारा 29-सी में यह कहा गया है कि राजनीतिक पार्टी का कोषाध्यक्ष या पार्टी की ओर से अधिकृत व्यक्ति हर वित्तीय वर्ष में ऐसे चंदों पर एक रिपोर्ट तैयार करेगा जिसमें किसी व्यक्ति ने 20,000 रूपए से ज्यादा की रकम दी हो, और जिसमें किसी कंपनी, सरकारी कंपनी को छोड़कर, ने 20,000 रूपए से ज्यादा की रकम दी हो. आयोग के पास किसी राजनीतिक पार्टी को पंजीकृत करने का अधिकार तो है, लेकिन चुनावी कानूनों के तहत उसके पास किसी पार्टी को अपंजीकृत करने का अधिकार नहीं है. किसी पार्टी को अपंजीकृत करने का अधिकार दिए जाने की आयोग की मांग कानून मंत्रालय में लंबित है. हालांकि, आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत मिले अधिकारों का इस्तेमाल कर निष्क्रिय हो चुकी और लंबे समय से चुनाव नहीं लड़ने वाली पार्टियों को असूचीबद्ध कर दिया है।

1780 से ज्यादा पंजीकृत दल 

देश में 1780 से ज्यादा पंजीकृत, लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक पार्टियां हैं. इसके अलावा, सात राष्ट्रीय पार्टियां हैं जिनमें भाजपा, कांग्रेस, बसपा, तृणमूल कांग्रेस, भाकपा, माकपा और एनसीपी शामिल हैं. देश में 58 राज्य स्तरीय पार्टियां हैं.

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