केंद्र सरकार आंदोलनरत किसानों से वार्ता का मार्ग करे प्रशस्त : वीरेंद्र सिंह

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गुडग़ांव, 24 जून : दिल्ली की सीमाओं पर पिछले 7 माह से कृषि बिलों को वापिस कराने के लिए धरने पर डटे किसानों से केंद्र सरकार को वार्ता का
मार्ग प्रशस्त करना चाहिए, ताकि समस्या का समाधान निकल सके और किसान अपने घरों को वापिस जा सकें। केंद्र सरकार को वार्ता के लिए मध्यस्थता का मार्ग भी अपनाना चाहिए।

यह कहना है भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी वीरेंद्र सिंह का, जो उन्होंने वीरवार को भाजपा महिला मोर्चा की जिला प्रभारी सुमन दहिया के सिविल लाईन स्थित आवास पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि किसान भी अपने ही हैं, वे अन्नदाता हैं। उनके कार्यों को भुलाया नहीं जा सकता। किसानों व सरकार में जो गतिरोध पैदा हो गया है, इस गतिरोध को केंद्र सरकार व किसानसंगठनों को मिलकर ही दूर करना होगा और यह तभी दूर हो सकता है, जब वार्ता का मार्ग प्रशस्त हो। उनका कहना है कि किसान आंदोलन में नेतृत्व की कमी महसूस की जा रही है। यदि किसानों में नेतृत्व का अभाव न हो तो किसान किसी भी पार्टी को शिकस्त देने की हिम्मत रखते हैं।

उन्होंने अगले वर्ष पंजाब में होने जा रहे चुनावों को लेकर भविष्यवाणी की कि पंजाब में सभी राजनैतिक दल जनता में विश्वास पैदा नहीं कर पाए हैं। किसान आंदोलन पंजाब से ही शुरु हुआ था और दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब के किसान अधिक संख्या में डेरा डाले पड़े हैं। हो सकता है कि किसान संगठन किसान पार्टी का गठन कर चुनाव लड़ें तो सभी पार्टियों का सफाया भी पंजाब के विधानसभा चुनाव
में हो सकता है।

अपनी बेबाकी के लिए मशहूर चौधरी वीरेंद्र सिंह ने प्रदेश सरकारों की कार्यप्रणाली पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हरियाणा
प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहरलाल की छवि बेदाग मुख्यमंत्री के रुप में रही है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों को जिस कुशलता से कार्य करना चाहिए था, वह नहीं हो रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला की सजा पूरी हो जाने के बाद उनका कहना है कि चौटाला कुशल प्रशासक रहे हैं और उन्होंने अपने कार्यकाल में जनहित के भी बहुत कार्य किए हैं। उनकी सक्रियता पार्टी के भीतर कितनी बढ़ती है, यह तो आने वाला समय ही बताएगा और अन्य राजनैतिक दलों पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, इसके बारे में अभी कुछ नहीं कहा जा सकता।

उन्होंने इशारों ही इशारों में कहा कि इनेलो और जजपा एक दूसरे के पूरक ही हैं। यदि असर पड़ता भी है तो जजपा के कार्यकर्ताओं पर पड़ेगा। अब उन्हें यह देखना होगा कि वे इनेलो के साथ रहें या फिर जजपा के साथ। हालांकि जजपा के कार्यकर्ताओं ने विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ ही मतदान किया था। चौधरी वीरेंद्र सिंह का बड़ी ही गर्मजोशी के साथ मोर्चा के पदाधिकारियों ने स्वागत किया। इस अवसर पर प्राची खुराना, राजबाला श्योराण, श्याम सुंदर, सुरेश कटारिया, लीला भल्ला, विधु कालरा, संदीप अनेजा, भूषण मेहता, आशा चांदना, सुनीता यादव, रोहताश आदि भी मौजूद रहे।

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