गुरूग्राम , 15 जून। गुरूग्राम के उपायुक्त डा. यश गर्ग ने कहा कि कोरोना संक्रमण को लेकर आमजन को घबराने की नही जरूरत नही है बल्कि इससे बचाव के लिए जरूरी है कि लोग आवश्यक सावधानी बरतें और जल्द से जल्द कोरोना रोधी टीका लगवाएं। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से ज्यादातर मरीज घर पर ही उपचार से ठीक हो जाते हैं। बहुत कम लोगों में यह गंभीर रूप धारण करता है और उन्हें अस्पताल में भर्ती होकर इलाज करवाने की जरूरत पड़ती है। इसमें भी अधिकतर लोग स्वस्थ होकर घर लौटते हैं केवल कुछ फीसदी लोग ही मृत्यु का शिकार बनते हैं।
उन्हांेनें बताया कि कोरोना संक्रमण का सर्वाधिक प्रभाव श्वसन तंत्र पर पड़ता है। फिर भी शरीर के लगभग सभी अंग किसी ने किसी प्रकार से प्रभावित हो जाते हैं। इस संक्रमण से ठीक होने व रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी कुछ लक्षण बने रहते हैं। इसे पोस्ट कोविड सिंड्रोम कहते हैं। यह लक्षण 4 से 6 सप्ताह तक रह सकते हैं। इसमें से कुछ लक्षण साधारण होते हैं जबकि कुछ लक्षण गंभीर रूप ले सकते हैं। खासकर ऐसे रोगी जिन्हे पहले से डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, हृदयरोग, सीओपीडी, मोटापा आदि की समस्या होती है।
’पोस्ट कोविड-19 के सामान्य लक्षण’-
कोरोना संक्रमण से स्वस्थ होने के बाद थकावट एवं मांसपेशियों में कमजोरी बनी रहती है, जिसके कारण कार्य करने की क्षमता कम हो जाती है और वजन में भी गिरावट आती है। ऐसा अधिकतर उन लोगों में होता है जिन्हें लंबे समय तक तेज बुखार रहा हो और खानपान में प्रोटीन पर्याप्त मात्रा में ना लिया हो। हालांकि यह समय के साथ ठीक हो जाता है। हल्के व्यायाम व उचित खानपान ही इसका उपचार है।लगातार सूखी खांसी का बना रहना भी इसी सिंड्रोम का लक्षण है। रोगी को खांसी के दौरे जैसे पडते हैं, जो अपने से ही ठीक होते हैं। इसका मुख्य कारण लंग फाइब्रोसिस व सांस की नली के ऊपरी भाग में सूजन होना है। इसके इलाज में भाप लेना ,गर्म पानी में नमक डालकर गरारे करना प्रभावकारी है। बीच- बीच मे अनियमित बुखार आना भी कुछ रोगियों में देखा गया है, जो कि 2 से 4 सप्ताह तक रह सकता है। अगर तेज बुखार हो तो चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए कि बुखार का कोई अन्य कारण तो नहीं है अन्यथा यह बुखार की दवा से और थोड़े समय पश्चात ठीक हो जाता है।
’अन्य सामान्य लक्षण’ जैसे जोड़ों में दर्द, भूख ना लगना, सिरदर्द, गले में खराश, सीने में दर्द, अवसाद आदि है। अगर चिकित्सक इन्हें पोस्ट कोविड सिंड्रोम की वजह से होना बताएं तो चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। इस अवस्था में भी थोड़े व्यायाम खानपान और मनोबल ऊंचा रखने की आवश्यकता होती है।
’कब करे चिकित्सक से संपर्क‘ –
यदि रोग से स्वस्थ होने के बाद दोबारा सांस की तीव्रता बढ़ने लगे तो चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए, क्योंकि यह लंग फाइब्रोसिस या हार्ड फेल्योर का लक्षण हो सकता है। यदि साथ में ऑक्सीजन का लेवल भी कम होने लगे तो यह अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। कोरोना संक्रमन में खून का थक्का बनने की प्रवृत्ति ज्यादा होती है। इसलिए पैरों में सूजन शरीर के किसी अंग में कमजोरी और चलने में सीने में दर्द जैसे लक्षणों को नजरअंदाज न करें।
इस बीमारी में इलाज के लिए कुछ लोगों को स्टेरॉयड दिया जाता है, लेकिन इसका अनुचित प्रयोग शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है। यह उन मरीजों में और महत्वपूर्ण हो जाता है जो पहले से डायबिटीज या किसी पुराने रोग से ग्रसित हो। इन्हीं कारणों से पोस्ट कोविड मे फेफड़े के संक्रमण, फंगल इनफेक्शन (ब्लैक फंगस, वाइट फंगस, येलो फंगस) होने की प्रवृत्ति बढ़ जाती है। कभी भी पोस्ट कोविड के दौर में नाक व मुंह से रक्तस्राव, आंख मे सूजन, आंख की रोशनी में कमी या शरीर के किसी भी भाग में काले चकत्ते दिखाई दे तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
पोस्ट कोविड सिंड्रोम के अधिकतर लक्षण स्वतः समाप्त हो जाते हैं इसलिए घबराने और चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। हालांकि अपनी से सेहत के प्रति सचेत रहना जरूरी है ताकि कोई समस्या होने पर समय रहते उपचार हो सके और आप अन्य बीमारियों से भी सुरक्षित रह सके।