अब कुछ ही मिनटों में कोरोना वायरस को मारने वाला वज्र कवच आ गया, पीपीई किट, मास्क व दस्ताने का कर सकते हैं दोबारा उपयोग

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वज्र कवच के जरिए उपयोग के बाद पीपीई एवं मास्क को संक्रमण रहित बनाने और उनके दोबारा उपयोग की सुविधा संभव


“पीपीई, एन95 मास्क कुछ ही मिनटों में संक्रमण रहित हो जायेंगे, वायरल लोड में 99.999% की कमी होगी”

“पर्यावरण के अनुकूल उपाय, जैव – चिकित्सीय अपशिष्ट के उत्पादन में कमी लाएगा”

नई दिल्ली। वज्र कवच नाम का एक उत्पाद हमारे कोरोना योद्धाओं द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले उपकरणों से वायरल कणों के संकट को दूर करता है। जी हां, मुंबई स्थित स्टार्टअप इंद्रा वाटर द्वारा विकसित यह कीटाणु शोधन प्रणाली व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पर्सनल प्रोटेक्शन इक्विपमेंट), एन 95 मास्क, कोट, दस्ताने और गाउन से बीमारी पैदा करने वाले सार्स – कोव -2 वायरस के किसी भी संभावित निशान को मिटा देती है। इस प्रकार, यह प्रणाली स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले पीपीई और अन्य सामग्रियों के दोबारा उपयोग को संभव बनाती है। इस प्रकार यह प्रणाली न केवल स्वास्थ्यकर्मियों, बल्कि जैव चिकित्सीय अपशिष्ट के उत्पादन में कमी लाकर हमारे पर्यावरण को भी सुरक्षित करने में मदद करती है। यह प्रणाली व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों को अधिक उपलब्ध, किफायती और सुलभ भी बना रही है।

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“आपकी सामग्री कुछ ही मिनटों में संक्रमण रहित हो जाएगी”

जो बात इसे बेहद उपयोगी बनाती है वो यह कि इसके जरिए कीटाणुशोधन का काम कुछ ही मिनटों में हो जाता है। इस प्रणाली का निर्माण मुंबई के भिवंडी स्थित इंद्रा वाटर के कारखाने में किया जा रहा है, जहां से इसे अस्पतालों में पहुंचाया जाता है।

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भिवंडी स्थित कारखाना

वायरल लोड में एक लाख गुणा कमी

इंद्रा वाटर के सह-संस्थापकों में से एक अभिजीत वीवीआर गर्व से बताते हैं कि “हमारी प्रणाली सूक्ष्मजीवों की संख्या में 1,00,000 गुणा कमी लाने में सक्षम है। वैज्ञानिक शब्दों में, परीक्षणों से पता चला है कि हमने वायरस और बैक्टीरिया में 5 लॉग (99.999%) रिडक्शन हासिल की है।” ‘लॉग रिडक्शन’ एक ऐसा शब्द है जिसका इस्तेमाल जीवित रोगाणुओं, जोकि कीटाणु शोधन जैसी प्रक्रिया के बाद खत्म हो जाते हैं, की सापेक्ष संख्या को दर्शाने के लिए किया जाता है।

इस प्रणाली का सत्यापन और परीक्षण आईआईटी बॉम्बे के बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग द्वारा किया गया। “वज्र कवच सत्यापन और परीक्षण की एक बहुत लंबी प्रक्रिया से गुजरा। इसका एस्चेरिचिया वायरस एमएस2 (एकल-स्ट्रेन वाला आरएनए वायरस और इन्फ्लूएंजा वायरस एवं कोरोनावायरस जैसे मानव श्वसन तंत्र को नुकसान पहुंचाने वाले वायरस का एक प्रसिद्ध समकक्ष) और ई.कोली स्ट्रेन सी3000 के साथ परीक्षण किया गया। एक पीपीई पर वायरस और बैक्टीरिया के नमूनों का पूरा भार रखा गया। इसके बाद उस पीपीई को वज्र कवच के अंदर रखा गया। कीटाणुशोधन चक्र के समय के बाद, पीपीई को बाहर निकाला गया और वायरस की वृद्धि दर और लॉग रिडक्शन का आकलन करने के लिए नमूने की फिर से जांच की गई।” अभिजीत ने बताया कि इस प्रणाली में पीपीई पर मौजूद वायरस, बैक्टीरिया और अन्य माइक्रोबियल स्ट्रेन को निष्क्रिय करने के लिए उन्नत ऑक्सीकरण, कोरोना डिस्चार्ज और यूवी-सी लाइट स्पेक्ट्रम से युक्त कई चरणों वाली एक कीटाणुशोधन प्रक्रिया का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे 99.999% से अधिक दक्षता हासिल होती है।

वज्र कवच का विचार

अभिजीत ने पीआईबी को बताया कि कैसे इस उत्पाद का विचार फेंकने के बजाय दोबारा उपयोग के एक सरल लेकिन शक्तिशाली और मितव्ययी सोच से निकला। “वज्र कवच की परिकल्पना मार्च 2020 में देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान की गई थी। हमने यह सोचना शुरू किया कि इस महामारी से लड़ने में देश की मदद करने के लिए हम वास्तव में क्या कर सकते हैं। हमने महसूस किया कि पीपीई किट और एन95 मास्क की भारी मांग है और देश हमारे स्वास्थ्यकर्मियों को आवश्यक चिकित्सा उपकरण प्रदान करने के लिए संघर्ष कर रहा है। तभी हमारे जेहन में एक विचार आया– एक सरल कीटाणुशोधन प्रक्रिया जो हमारे कोरोना योद्धाओं को अपने मास्क और पीपीई का दोबारा उपयोग करने में सक्षम बनाए।”

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एएससीआई (एडमिनिस्ट्रेटिव स्टाफ कॉलेज ऑफ इंडिया) के सहयोग से तेलंगाना के वारंगल स्थित जीडब्ल्यूएमसी कार्यालय मेंग्रेटर वारंगल नगर निगम, तेलंगाना सरकार की आयुक्त सुश्री पामेला सत्पथी द्वारा वज्र कवच का शुभारंभ।

विचार से क्रियान्वन तक

अभिजीत बताते हैं किइस विचार को लागू करने के लिए, इंद्रा वाटर ने अपनी जल शोधन तकनीक को संशोधित किया और पूरी तरह से एक स्वदेशी कीटाणुशोधन प्रणाली को अपनाया। उन्होंने कहा कि “इस कीटाणुशोधन प्रणाली के निर्माण में उपयोग किया जाने वाला प्रत्येक अवयव भारत में बना है। बाहर से कुछ भी नहीं मंगवाया गया है।”

इंद्रा वाटर की स्थापना पानी के क्षेत्र में नवाचारों के साथ उतरने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के निधि-प्रयास अनुदान (सोसाइटी फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप, आईआईटी बॉम्बे के जरिए) से की गई थी। इंद्रा वाटर उन 51 स्टार्टअप में से एक है, जिन्हें सेंटर फॉर ऑगमेंटिंग वॉर विथ कोविड -19 हेल्थ क्राइसिस (सीएडब्ल्यूएसीएच) के तहत वित्त पोषित और समर्थित किया गया था, जोकि राष्ट्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड (एनएसटीईडीबी), विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी), भारत सरकारकी एक पहल है।

स्वास्थ्यकर्मी इसे बहुत उपयोगी पाते हैंनया संस्करण जल्द ही

आईआईटी बॉम्बे अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर निशा शाह कहती हैं कि “वज्र कवच का पीपीई का यूवी कीटाणुशोधन प्रणाली सुरूचिपूर्ण, उपयोगकर्ता के अनुकूल और सुविधाजनक है। यह प्रणाली हमारे 25 बिस्तरों वाले कोविड केयर सेंटर के लिए पर्याप्त है। यह हमें कम पीपीई का उपयोग करने में मदद करेगा। ”मुंबई का कामा अस्पताल, छत्रपति शिवाजी महाराज अस्पताल, सेंट जॉर्ज अस्पताल जैसे मुंबई के कुछ अन्य अस्पताल हैं जहां वज्र कवच कीटाणुशोधन प्रणाली स्थापित की गई है। अभिजीत बताते हैं कि वारंगल के एक अस्पताल में भी यह प्रणाली स्थापित है। “मुंबई के विभिन्न अस्पतालों में लगभग 10 वज्र कवच पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं। बहुत सारे स्वास्थ्यकर्मियों से बात करने के बाद, हमें पता चला कि उनके द्वारा इस प्रणाली का उपयोग न केवल N95 मास्क और पीपीईकिट को संक्रमण रहित बनाने, बल्कि आईसीयू में लैब कोट, मास्क, एप्रन, फेस शील्ड, स्टेशनरी सामग्री को और बुनियादी चिकित्सा उपकरण, गियर और अन्य चिकित्सा कपड़ा सामग्रियों को भी संक्रमण रहित करने के लिए किया जा रहा है।”

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अभिजीत ने बताया कि वे अब इस प्रणाली का एक दूसरा संस्करण लेकर आ रहे हैं – कॉम्पैक्ट और उपयोगकर्ता के अधिक अनुकूल। “चूंकि पीपीई किट आकार में बड़ी होती है, इसलिए हमें अपनी प्रणाली में इसके लिए पर्याप्त जगह उपलब्ध करानी थी। हालांकि, हम इस प्रणाली को कॉम्पैक्ट बनाने की योजना बना रहे हैं।”

इंद्रा वाटर एक 20-सदस्यीय स्टार्टअप है जिसका मुख्य काम अपार्टमेंट, उद्योग, कारखानों आदि से निकलने वाले अपशिष्ट जल का शोधन और उसे कीटाणु रहित बनाना है। इस फर्म से [email protected] के जरिए संपर्क किया जा सकता है।

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