नई दिल्ली। राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (एनजेजेएम) ने राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के लिए एक एडवाइजरी जारी की है, जिसमें उन्हें पूरे देश में सभी गांवों के हर घर और सार्वजनिक संस्थानों में पीने योग्य जल सुनिश्चित करने के लिए जल गुणवत्ता निगरानी और निरीक्षण (डब्ल्यूक्यूएम एंड एस) गतिविधियों की शुरूआत करने के लिए कहा गया है। कोविड-19 महामारी को ध्यान में रखते हुए, निवारक कार्य सहित सार्वजनिक स्वास्थ्य के महत्व को अच्छी तरह से समझा जा सकता है, बेहतर सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित पेयजल, बेहतर सफाई और बेहतर स्वच्छता पहली आवश्यकता है। इसके अलावा जल गुणवत्ता की नियमित जांच और उचित समय पर उपचारात्मक कार्रवाई से कई प्रकार की जल से होने वाली बीमारियों को रोका जा सकता है। एडवाइजरी में यह भी आग्रह किया गया है कि जल गुणवत्ता निगरानी और निरिक्षण से न केवल लोगों, विशेष रूप से बच्चों को बीमार पड़ने से रोका जा सकेगा बल्कि बहुमूल्य जीवन को बचाने में भी मदद मिलेगी।
जल जीवन मिशन का कार्यान्वयन राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों के साथ मिलकर किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य 2024 तक प्रत्येक ग्रामीण घर में नल द्वारा जल आपूर्ति सुनिश्चित करना है। जेजेएम के अंतर्गत, कुल आवंटित निधि का 2 प्रतिशत तक जल गुणवत्ता की निगरानी और निरीक्षण गतिविधियों पर उपयोग किया जाना है, जिसमें मुख्य रूप से विभाग द्वारा प्रयोगशाला परीक्षण के माध्यम से जल गुणवत्ता निगरानी और समुदाय द्वारा फील्ड टेस्ट किट (एफटीके) का उपयोग करके स्थानीय जल स्रोतों का परीक्षण शामिल है। सभी पेयजल स्रोतों का, वर्ष में एक बार रासायनिक संदूषण और वर्ष में दो बार जीवाणु मानकों (प्री और पोस्ट मानसून) के लिए परीक्षण किया जाना है। इस बात पर भी बल दिया गया है कि इस निधि का उपयोग प्रयोगशालाओं की स्थापना, इनके उन्नतीकरण, मानव संसाधनों को काम पर रखने, एफटीके/शीशियों, उपकरण/कांच के बर्तनों की खरीद, प्रशिक्षण/क्षमता निर्माण, आईईसी गतिविधियां आदि के लिए तत्काल आधार पर करने के लिए होना चाहिए।
स्थानीय समुदाय को जल गुणवत्ता निरीक्षण में सशक्त बनाने के उद्देश्य से राज्यों को सलाह दी गई है कि वे प्रत्येक गांव के स्थानीय समुदाय में से 5 व्यक्तियों, विशेष रूप से महिलाओं को चिन्हित करें और उन्हें प्रशिक्षित करें अर्थात आशा कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, वीडब्ल्यूएससी/पानी समिति सदस्यों, शिक्षकों, एसएचजी सदस्यों आदि, जिससे ग्रामीण स्तर पर, स्कूलों और आंगनबाड़ी केन्द्रों में एफटीके/जीवाणु शीशियों का उपयोग करके जल गुणवत्ता का परीक्षण किया जा सके। प्रत्येक पंचायत को नियमित आधार पर परीक्षण करने में सक्षम बनाने के लिए एफटीसी/शीशियों की खरीदारी की जाती है और उन्हें प्रदान की जाती है।
इसके अलावा, जल जीवन मिशन – जल गुणवत्ता प्रबंधन सूचना प्रणाली (जेजेएम-डब्ल्यूक्यूएमआईएस) को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर), स्वास्थ्य अनुसंधान विभाग (डीएचआर) के साथ साझेदारी में जल गुणवत्ता प्रबंधन के लिए मोबाइल एप्लिकेशन के साथ-साथ एक ऑनलाइन पोर्टल के रूप में विकसित किया गया है। जल गुणवत्ता परीक्षण के सभी डेटा यानी नमूना संग्रह, जांच परिणाम, मोबाइल प्रयोगशालाओं सहित प्रयोगशालाओं में और पानी गुणवत्ता परीक्षण किट के माध्यम से इस पोर्टल पर अपलोड किए जाते हैं। पानी की गुणवत्ता से संबंधित सभी आंकड़ों की उपलब्धता एक ही स्थान पर प्राप्त होने से प्रत्येक पेयजल स्रोत के इतिहास तक पहुंच आसानी से प्राप्त करने और उसका पता लगाने में सहायक साबित होगी, जिसके माध्यम से प्रत्येक घर के लिए उचित समय पर उपचारात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जा सकेगी। इस पोर्टल तक पहुंचने का लिंक https://jaljeevanmission.gov.in/ या https://neer.icmr.org.in/website/main.php है।
एडवाइजरी में यह भी कहा गया है कि प्रत्येक राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश में कम से कम एक राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश स्तर की प्रयोगशालाएं और बड़े राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में क्षेत्रिय स्तर की प्रयोगशालाएं होनी चाहिए, जिससे आसपास के सभी स्त्रोतों का नियमित रूप से परीक्षण किया जा सके। इसी प्रकार, सभी जिलों में जिला स्तरीय प्रयोगशालाएं होनी चाहिए और इसकी स्थापना को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जानी चाहिए। सभी राज्य/ क्षेत्रीय और जिला स्तरीय प्रयोगशालाओं को पूर्ण रूप से कार्यशील बनाया जाना चाहिए और उनके लिए एनएबीएल मान्यता प्राप्त करना अनिवार्य है। सभी उप-मंडल/ ब्लॉक स्तरीय प्रयोगशालाओं का एनएबीएल द्वारा सत्यापन किया जाना चाहिए और उन्हें एनएबीएल से मान्यता प्राप्त होनी चाहिए।
इसके अलावा सभी प्रयोगशालाओं को जनता के लिए खोला जाना चाहिए, जिससे उनके पानी के नमूनों का मामूली दर पर परीक्षण किया जा सके। इससे जनता के बीच आपूर्ति किए जा रहे पानी की गुणवत्ता में विश्वास उत्पन्न होगा और इस प्रकार जल शुद्धिकरण उपकरणों की मांग में कटौती होगी।
जल जीवन मिशन का उद्देश्य आदर्श सेवा प्रदान करना है न कि केवल अवसंरचना का निर्माण करना। सशक्त और सक्षम पंचायत के साथ-साथ समुदाय के लोग, जो अंतत: इस सृजित अवसंरचना के संरक्षक होंगे, अपने गांव की संपूर्ण डिजाइन चक्र के लिए बनाई गई जलापूर्ति प्रणाली को संचालित करने, भरण-पोषण करने और उसे बनाए रखने में सक्षम होंगे।