मेडिसिटी हॉस्पिटल के मेडिसिनल डिपार्टमेंट की हेड को डायरेक्ट डॉक्टर सुशीला कटारिया ने लोगों को दिए कोरोना से बचाव के माकूल टिप्स

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सुभाष चौधरी

गुरुग्राम : मेडिसिटी हॉस्पिटल के मेडिसिनल डिपार्टमेंट की हेड को डायरेक्ट डॉक्टर सुशीला कटारिया ने आज कोरोना संक्रमण से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर फेसबुक पर लाइव बातचीत की. उन्होंने संक्रमण के इस दौर में लोगों से स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति सतर्कता और सावधानी बरतने की अपील की. उन्होंने कोरोना के लक्षण, ईलाज, वैक्सीन और इससे होने वाले नुकसान की विस्तार से जानकारी दी. लोगों के दर्जनों सवालों का बेहद सरल भाषा में सीधे जवाब देने के क्रम में उन्होंने अन्य गंभीर रोग ग्रस्त व्यक्तियों को वैक्सीन अवश्य लगवाने पर बल दिया. आम लोगों के लिए उनकी सलाह उपलब्ध करवाने की यह पहल भारतीय जनता पार्टी हरियाणा के परदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ की ओर से की गई थी.

मास्क अवश्य और अच्छी तरह पहनें

डॉ सुशीला कटारिया ने कोरोना से बचाव पर कहा कि मास्क जरूर पहने यह आपका पहला हथियार है. इसे सही तरीके से पहनें यह बहुत जरूरी है. आपका मुंह और नाक पूरी तरह इस से ढका हुआ होना चाहिए. कई लोग इसकी शिकायत करते हैं कि मास्क पहनने से उन्हें सांस लेने में दिक्कत होती है. जब भी आप नई चीज की शुरुआत करते हैं तो उससे थोड़ी दिक्कत होती है. लेकिन धीरे-धीरे आप उसके अभ्यस्त हो जाते हैं इसलिए आपको मास्क पहनने की आदत डालनी चाहिए। इससे आप संक्रमित होने से बचेंगे.

सोशल डिस्टेंस मेंटेन करना दूसरा सबसे बड़ा हथियार

उन्होंने बताया कि कोरोना से बचने का दूसरा सबसे बड़ा हथियार है. सोशल डिस्टेंस मेंटेन करना. उन्होंने कहा कि मेरी यह सलाह है कि वर्तमान समय में सोशल गैदरिंग करने से बचें. शादी, ब्याह, अंत्येष्टि में शामिल होना या फिर शोक प्रकट करने जाना या फिर बच्चों के मुंडन या अन्य धार्मिक या पारिवारिक आयोजन करने से बचें. क्योंकि अभी यह आवश्यक नहीं है बल्कि आवश्यक है कि हम अपने जीवन को कैसे सुरक्षित रख सके। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमें अभी किसी भी तरह की सोशल गैदरिंग का हिस्सा नहीं बनना चाहिए जब तक कि वह हमारे जीवन के लिए आवश्यक न हो। आज की तारीख में सबसे ज्यादा संक्रमण शादियों में हो रहे हैं जहां लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं या फिर शोक प्रकट करने जाते और घंटों बैठकर बातें करते हैं. चाय पानी पीते हैं इस दौरान ही वह किसी न किसी व्यक्ति से संक्रमित हो जाते हैं।

वैक्सीन लगवाने वाले को आईसीयू जाने की कोई आवश्यकता नहीं

डॉक्टर कटारिया ने कहा कि जब हम अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रखने के लिए सावधानी की बात करते हैं तो फिर वैक्सीनेशन की बात न करें तो यह सही नहीं होगा.

डॉक्टर कटारिया ने कहा कि इस प्रकार की आशंका पैदा करने वाले सवाल बहुत उठाए गए हैं कि टीके लगवाने से क्या फायदा ? टीके लगवाने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं ? या फिर इसके कुछ साइड इफेक्ट हो सकते हैं ? लेकिन मैं आप सभी को आश्वस्त करना चाहती हूं कि जिन्होंने टीके लगवाए हैं उनमें से 90 परसेंट से अधिक ऐसे लोग हैं जिनमें संक्रमित होने के बावजूद किसी भी प्रकार के लक्षण नहीं पाए गए. यानी उन्हें नुकसान न्यूनतम होने की संभावना रहती है. उनको अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं रहती है. उन्हें आईसीयू जाने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती. उनमें मृत्यु की संभावना नगण्य रहती है. अंततः इस महामारी को फैलने के लिए इसे रोकने के लिए और स्वास्थ्य व्यवस्था पर कम से कम जोर डालने के लिए वैक्सीनेशन बेहद आवश्यक है.

उन्होंने कहा कि जो भी वैक्सीन देश में लगाए जा रहे हैं सभी पूरी तरह से रिसर्च किए गए और टेस्ट किए गए हैं. आप जब भी व्यक्ति वैक्सीन सेंटर पर जाए तो मास्क  अवश्य पहनें. मास्क घर से ही पहन कर जाएं और घर पर आने के बाद ही उसे उतारें. वैक्सीनेशन इस बीमारी से निकलने का हमारे लिए बेहद कारगर उपाय है. इसलिए अब 1 मई से 18 साल से अधिक उम्र के लोगों को भी टीके लगवाए जाएंगे।

बार-बार टेस्ट ना करवाएं

उन्होंने कहा कि इसके बाद तीन महत्वपूर्ण बातें हैं जिसका उल्लेख करना भी मैं आवश्यक समझती हूं. उन्होंने सलाह दी कि ऐसा भी कहा जाता है कि टेस्ट सभी लोगों का नहीं हो पा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि कई व्यक्ति बार-बार अपनी टेस्ट करवा रहे हैं जो कि अनावश्यक है. इसलिए मेरी सलाह यह है कि अगर आपने एक बार टेस्ट करवा ली है उसकी रिपोर्ट आ गई है तो फिर आप बार-बार टेस्ट ना करवाएं. इससे अन्य दूसरे इनफेक्टिव व्यक्ति को भी टेस्ट कराने का मौका मिलेगा. जिनकी टेस्ट एक बार हो चुकी है उन्हें अपने इलाज करवाने के 2 हफ्ते के बाद ही दोबारा टेस्ट कराना चाहिए. उन्होंने कहा कि कई लोग जो एसिंप्टोमेटिक होते हैं वह कुछ ही दिनों में दोबारा फिर अपना टेस्ट कराने लगते हैं और चाहते हैं कि उसकी रिपोर्ट नेगेटिव आ जाए जिससे वह फिर बाहर घूमने फिरने लगेंगे. यह धारणा सही नहीं है. उन्होंने कहा कि संक्रमण को रोकने के लिए सभी को ईमानदारी से 14 दिन की अवधि का होम आइसोलेशन या हॉस्पिटल आइसोलेशन या फिर इंस्टीट्यूशनल आइसोलेशन का पालन अवश्य करना चाहिए।

उनका कहना था कि कई लोग लैब पर भी दबाव बढ़ा रहे हैं और अपना टेस्ट पांच पांच बार करवा रहे हैं. इससे व्यवस्था पर काफी असर पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि कई बार डेड वायरस के कारण भी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है और 14 दिन के बाद अगर वायरस डेड भी हो जाए तब भी पॉजिटिव आ सकती है. इसलिए 2 सप्ताह तक सावधानी बरतना जरूरी है और इस दौरान मिलने जुमले से परहेज करें।

ऑक्सीजन लेवल 93%-94% से अधिक तो क्या करें

डॉ कटारिया ने कहा कि लोग अस्पताल में भर्ती होने की कोशिश में जुट जाते हैं. जो जरूरतमंद हैं उन्हें जगह नहीं मिल पाती है. ऐसे लोग जिनको तत्काल इमरजेंसी मेडिकल ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है वह एक अस्पताल से दूसरी जगह चक्कर काटते रहते हैं. उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि अगर उनका ऑक्सीजन लेवल 93%-94% से अधिक है तो फिर उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की कोई आवश्यकता नहीं है. अगर हम अस्पताल की सुविधाओं का सही इस्तेमाल करेंगे तो फिर बेड की कमी नहीं होगी.उन्होंने कहा कि जिन लोगों की हॉस्पिटल में आने से जान बच सकती है उन्हें बेड मिल सकेंगे. इसलिए अगर आप एसिंप्टोमेटिक हैं या फिर माइल्ड सिंप्टोमेटिक है तो अपना पौष्टिक भोजन ले, ब्रीडिंग एक्सरसाइज करें और जब डॉक्टर आपको सलाह दें तभी आप एडमिट होने की बात सोचें. केवल भय के मारे आप स्वयं अस्पताल में भर्ती होने की कोशिश ना करें।

रेमेडीसिविर इंजेक्शन और प्लाजमा थेरेपी रामबाण नहीं

डाक्टर कटारिया ने कहा कि आज लोग इतने घबराए हुए हैं कि रेमेडीसिविर इंजेक्शन और प्लाजमा थेरेपी के लिए भी भगदड़ मची हुई है. लोग इसे खरीद कर पहले से ही घर पर रख रहे हैं. इसकी कालाबाजारी भी शुरू हो गई है. यह कोई अमृत नहीं है या कोई रामबाण नहीं है कि इससे कोरोना से छुटकारा मिल जाएगा. यह कोई शत-प्रतिशत इलाज नहीं है. उन्होंने कहा कि यह इंजेक्शन केवल पहले 10 दिन में ही लगाए जाते हैं. उसके बाद लगाने से इसका कोई फायदा नहीं है. और अगर माइल्ड इन्फेक्शन है तो उसमें भी लगाने का कोई फायदा नहीं है. इसी तरह प्लाज्मा को भी किसी भी समय नहीं लगा सकते. इसे बीमारी के पहले सप्ताह में ही लगाना होता है और यह हाई एंटीबॉडी टायड वाला होना चाहिए. उन्हीं लोगों को लगाया जाना चाहिए जिनकी उम्र बहुत ज्यादा है।

10% ऐसे संक्रमित मरीज होते हैं जिनके चेस्ट में इंफेक्शन

उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन को लेकर भी हाय तौबा मचा हुआ है. स्पष्ट बताना चाहूंगी कि 10% ऐसे संक्रमित मरीज होते हैं जिनके चेस्ट में इंफेक्शन हो जाता है. जिन्हें इनकी जरूरत होती है. जिनको ऑक्सीजन की जरूरत है यह उनके लिए जीवनदायिनी है लेकिन जिन को इसकी जरूरत नहीं है उसके लिए यह वेस्टिज है. इसलिए बहुत सारे लोग डर के कारण अपने घर पर ही ऑक्सीजन लगाने लगते हैं. या फिर ऑक्सीजन खरीद कर घर पर रख रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस तरीके से अगर प्रत्येक घर में कम से कम एक सिलेंडर अगर रखे जाने लगे तो फिर इससे ऐसे लोग जिनको बेहद आवश्यकता है उनकी जान बचानी मुश्किल होगी. इसे अनावश्यक अपने घर पर रख कर वेस्ट ना बनाएं और ऐसे लोगों को भी वंचित न करें जिनको इनकी सख्त आवश्यकता है। इसलिए हमें ऐसे जरूरतमंद लोगों के प्रति दयालुतापूर्ण भाव रखते हुए ऑक्सीजन की कालाबाजारी नहीं करनी चाहिए। इसमें सामाजिक भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण है. एक दूसरे की मदद करने का भाव रखना चाहिए और जिनको इसकी आवश्यकता नहीं है उसे जरूरतमंद व्यक्ति को यह सुविधा देनी चाहिए.

ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है

डाकटर कटारिया ने बताया कि अगर आपको ऑक्सीजन की कमी महसूस होती है तो आप चित्त होकर ना सोए. बल्कि औंधे मुंह हो कर सोयें जिससे आप के लंग्स खुल जाते हैं और इनफेक्टेड लंग्स में भी जगह बनती है. लंग्स में ऑक्सीजन/ हवा अपने आप आने लगती है. इसलिए ऐसे व्यक्ति जो बीमार हैं वह पेट के बल लेटने का अभ्यास करें. हां जब आपका पेट भरा हुआ हो, आपने भोजन किया हो तब ऐसे ना लटें. अगर खाना खाए हुए 2 घंटे का अंतराल हो चुका है तो आप पेट के बल लेटें। अगर कोई औंधे मुंह नहीं लेट सकते हैं तो फिर टेबल पर तकिया रखकर अपना सिर उस पर रखें तब भी आपको मदद मिलेगी. उन्होंने सभी को प्राणायाम करने की सलाह दी।

वैक्सीन के दोनों डोज एक साथ लेने का सवाल

डाक्टर कटारिया ने लोगों के दर्जनों सवालों का भी जवाब दिया. जब एक व्यक्ति ने उनसे वैक्सीन के दोनों डोज एक साथ लेने का सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि इसे एक साथ नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दोनों डोज के बीच में एक निश्चित गैप रखा जाता है. क्योंकि वैक्सीन का काम होता है कि आपके शरीर को इम्यूनिटी के बारे में समझाना और फिर लगभग 4 सप्ताह के बाद दूसरी डोज से उनके शरीर की इम्यूनिटी बूस्टआप होती है। उन्होंने कहा कि पहली डोज शरीर को यह बताने में कामयाब होती है कि आपके लिए दुश्मन कौन है और फिर दूसरी डोज उसे मजबूती प्रदान करती है। इसीलिए वैक्सीन के दो डोज के बीच में 4 सपताह का गैप रखा जाता है।

संक्रमण से लड़ने में आसानी

उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगने से शरीर इंफेक्शन को पहचानने लगता है. इससे संक्रमण से लड़ने में आसानी हो जाती है. बहुत सारे ऐसे व्यक्ति हैं जिनको वैक्सीन लगने के बाद भी इंफेक्शन हो जाता है लेकिन इंफेक्शन का बुरा असर उनके शरीर पर बहुत कम पड़ता है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन लोगों को ठीक करने में 40 से 50% तक सक्षम है जबकि खतरनाक स्थिति से बचाने में 98% तक सक्षम है। इसलिए सभी को वैक्सीनेशन जरूर करवानी चाहिए.

वैक्सीन के शरीर पर साइड इफेक्ट

एक सवाल के जवाब में डाक्टर कटारिया ने बताया कि वैक्सीन लगाने के बाद प्रत्येक व्यक्ति के शरीर पर साइड इफेक्ट अलग-अलग प्रकार के होते हैं. किसी के जोड़ों में दर्द होता है. किसी की मांसपेशियों में दर्द होता है. किसी की पूरे शरीर में हल्का दर्द महसूस होता है. या किसी को ठंड लगती है. या फिर बुखार आ जाता है. किसी को सिर दर्द भी हो सकता है. यह सभी सामान्य साइड इफेक्ट हैं. यह 2 से 3 दिन के अंदर महसूस होते हैं। उन्होंने कहा कि वैक्सीन लगने के बाद भूख बढ़ने जैसे लक्षण की जानकारी अभी तक किसी ने हमें नहीं दी है. हो सकता है यह बहुतायत में से किसी एक को होने वाला साइड इफेक्ट हो. उन्होंने कहा कि अगर भूख अच्छी लग रही है तो यह अच्छी बात है।

खासी की समस्या का उपाय

एक व्यक्ति ने उनसे खासी की समस्या का उपाय जानना चाहा. उन्होंने कहा कि कई बार संक्रमण से खांसी ज्यादा बढ़ जाती है तो उन्हें ऐसी चीजें खाने से बचना चाहिए जिससे गले पर ज्यादा असर पड़ता हो. खासकर अचार, खट्टा, सिरका, नहीं लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें गरम पानी या सूप, हल्का-हल्का लेना चाहिए, अगर किसी को डायबिटीज नहीं है तो वह गुड़ भी ले सकते हैं या अदरक की चाय पी सकते हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि अगर खांसी आए तो फेफड़े को बाहर निकालकर नहीं खांसना चाहिए. हल्का हल्का खांसने  की कोशिश करनी चाहिए।

फॉल्स पॉजिटिव टेस्ट रिपोर्ट आने का सवाल

एक व्यक्ति ने उनसे फॉल्स पॉजिटिव टेस्ट रिपोर्ट आने का सवाल पूछा. उन्होंने कहा कि हां फॉल्स पॉजिटिव टेस्ट भी आने की संभावना रहती है. हालांकि कोशिश की जाती है कि किसी भी बीमार व्यक्ति की प्रत्येक बीमारी के बारे में पक्की जानकारी मिल जाए और किसी निरोग व्यक्ति को कोई बीमारी ना बताया जाए. लेकिन कई बार टेस्ट शत-प्रतिशत मुकम्मल नहीं होती. उन्होंने कहा कि rt-pcr टेस्ट में 30% फॉल्स नेगेटिव रिपोर्ट आने का चांस रहता है जबकि दो से तीन परसेंट फॉल्स पॉजिटिव आने का चांस रहता है. इसलिए इस बारे में अगर किसी प्रकार का संशय हो तो तत्काल अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

अस्थमेटिक पेशेंट के बारे में सवाल

एक व्यक्ति ने उनसे अस्थमेटिक पेशेंट के बारे में सवाल किया. इस पर उन्होंने कहा कि इसके अलावा अगर किसी व्यक्ति को हार्ट की बीमारी है, डायबिटीज है या अन्य कोई कॉम्प्लिकेशन है या ब्लड प्रेशर की शिकायत है तो उन्हें वैक्सीन अवश्य लगवानी चाहिए. क्योंकि इस बात की संभावना अधिक रहती है कि अगर उन्हें कोविड-19 संक्रमण हो गया तो बहुत खतरनाक स्थिति तक पहुंच सकते हैं। इसलिए अस्थमेटिक पेशेंट को वैक्सीन अवश्य लेनी चाहिए. केवल ऐसे व्यक्ति को जिन्हें वैक्सीन के किसी कंपोनेंट से अगर पहले कोई एलर्जी हुई है तो उन्हें व्यक्ति नहीं लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए वैक्सीन अभी अप्रूव नहीं की गई है तो इसे नहीं ले. 18 साल से अधिक उम्र के अधिकतम उम्र सीमा के व्यक्ति को वैक्सीन लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति स्टेरॉयड ले रहे हैं तो उन्हें अपने डॉक्टर से संपर्क कर उनसे सलाह लेने के बाद ही वैक्सीन की मात्रा लेनी चाहिए।

कौन सी वैक्सीन सबसे अच्छी

एक व्यक्ति ने उनसे पूछा कि भारत में दो वैक्सीन लगाई जा रही हैं इनमें से कौन सी वैक्सीन सबसे अच्छी है ? डॉक्टर कटारिया ने कहा कि यह दोनों दो आंखों की तरह है जिसमें आप यह जज नहीं कर सकते कि कौन सी आंखें आपकी सबसे अच्छी है. क्योंकि दोनों ही अलग-अलग प्रकार से आपके शरीर को एंटीबॉडी की दृष्टि से मजबूत करती हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके अस्पताल में दोनों ही वैक्सीन के लगभग 50000 लोगों को डोज दी जा चुकी है. दोनों ही सर्वोत्तम है. उनका कहना था कि केवल साइड इफेक्ट को लेकर जरूर दोनों में कुछ अंतर हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि साइड इफेक्ट की दृष्टि से कोविशिल्ड में थोड़े ज्यादा है जिसमें बुखार की आशंका रहती है. लेकिन दूसरी डोज में दोनों ही वैक्सीन एक समान हैं. जहां तक बुखार आने का सवाल है तो यह अच्छा लक्षण है कि वैक्सीन आपके शरीर में लड़ रही है और एंटीबॉडी क्रिएट कर रही है।

डायबिटीज रोगी को संक्रमण से बचाव

जब उनसे डायबिटीज रोगी को संक्रमण से बचाव के लिए उपाय पूछा गया तो उनका कहना था कि यह अधिकतम नुकसान पहुंचाने वाला कारण हो सकता है. इसलिए आपको डायबिटीज पर कंट्रोल रखना जरूरी है. उन्होंने कहा कि डायबिटिक पेशेंट को वैक्सीनेशन जरूर लेना चाहिए. बाहर जब भी निकलें मस्स्क पहन कर निकलें  और सोशल गैदरिंग में जाने से बचें।

बच्चों को कोविड-19 होने की आशंका

बच्चों को कोविड-19 होने की आशंका पर भी सवाल किया गया. उन्होंने कहा कि हालांकि पहले फेज में बच्चों को इस प्रकार का संक्रमण होने की आशंका कम दिखी थी लेकिन सेकंड फेज में काफी बच्चे इनफेक्टेड हो रहे हैं. अगर बच्चों को तीन- 4 दिन तक बुखार हो रहा है तो उसमें माइल्ड इंफेक्शन हो सकता है. बच्चे संक्रमित होकर अपने माता-पिता या दादा दादी को भी संक्रमित कर सकते हैं. इसलिए बच्चों के लिए भी सावधानी बरतना बहुत जरूरी है.

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