परीक्षा पे चर्चा में पीएम मोदी ने बच्चों से अधिक अभिभावकों को दी नसीहत

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सुभाष चौधरी/ मुख्य संपादक

नई दिल्ली :  प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा 2021 प्रोग्राम में देश और विदेश के लाखों विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे यहां एग्जाम के लिए एक शब्द है- कसौटी। मतलब खुद को कसना है, ऐसा नहीं है कि एग्जाम आखिरी मौका है। परीक्षा एक पडाव है अंतिम लक्ष्य नहीं. जीवन में और भी कई अवसर मिलेंगे जब आप  अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकेंगे. एग्जाम तो एक प्रकार से एक लंबी जिंदगी जीने के लिए अपने आप को कसने का उत्तम अवसर है. पढ़ाई के लिए आपके पास दो घंटे हैं तो हर विषय को समान भाव से पढ़िए। पढ़ाई की बात है तो कठिन चीज को पहले लीजिए:.

उन्होंने लगभग पौने दो घंटे के लम्बे अंतराल में देश और विदेश में भी भारतीय स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों से बात की और उनके तीखे और सारगर्भित सवालों के जवाब भी डिजिटल माध्यम से दिए. उन्होंने कहा कि पढ़ाई को लेकर बच्चों पर कभी दबाव नहीं बनाना चाहिए. अगर बाहर का दबाव खत्म हो गया तो परीक्षा का दबाव कभी महसूस नहीं होगा. उन्बका कहन था कि आज कुछ मां-बाप इतने व्यस्त हैं कि अपने बच्चे के सामर्थ का पता परीक्षा का रिजल्ट देख कर लगाते हैं. उन्होंने बल देते हुए कहा कि आवश्यक है कि दसवीं क्लास में, बारवीं क्लास में भी आप अपने आसपास के जीवन को Observe करना सीखिए। आपके आसपास इतने सारे प्रोफेशन हैं, Nature of jobs हैं।

एक बच्चे के सवाल पर पीएम मोदी ने कहा कि ” खाली समय, इसको खाली मत समझिए, ये खजाना है, खजाना.खाली समय, इसको खाली मत समझिए, ये खजाना है, खजाना। ” उन्होंने कहा कि खाली समय एक सौभाग्य है, खाली समय एक अवसर है। आपकी दिनचर्या में खाली समय के पल होने ही चाहिए। परीक्षा जीवन को गढ़ने का एक अवसर है, उसे उसी रूप में लेना चाहिए।

उनका कहना था कि हमें अपने आप को कसौटी पर कसने के मौके खोजते ही रहना चाहिए, ताकि हम और अच्छा कर सकें। हमें भागना नहीं चाहिए। उन्होंने बच्चों से कहा कि आपको डर एग्जाम का नहीं है, आपको डर किसी और का है और वो क्या है ? आपके आस-पास एक माहौल बना दिया गया है कि यही एग्जाम सब कुछ है, यही जिंदगी है। और हम आवश्यकता से अधिक over conscious हो जाते हैं। हम थोड़ा ज्यादा सोचने लग जाते हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि जिंदगी बहुत लंबी है, बहुत पड़ाव आते हैं, परीक्षा एक छोटा सा पड़ाव है। हमें दबाव नहीं बनाना चाहिए, चाहे टीचर हो, स्टूडेंट हो, परिवारजन हो या दोस्त हो। अगर बाहर का दबाव कम हो गया, खत्म हो गया तो एग्जाम का दबाव कभी महसूस नहीं होगा।  जब पढ़ाई की बात हो तो जो कठिन है उसको पहले लीजिए आपका माइंड फ्रेस है, आप फ्रेस हैं, उसको अटेंड करने का प्रयास कीजिए। जब कठिन को अटेंड करेंगे तो सरल तो और भी आसान हो जाएगा।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से कहाँ कहाँ से बच्चों ने किये सवाल ?

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी से आज आयोजित परीक्षा पे चर्चा 2021 के दौरान आध्रप्रदेश, मलेशिया, मणिपुर, कन्या कुमारी, बंगलौर-कर्नाटक , पटना – बिहार, कुवैत, मसूरी – उत्तराखंड, रायपुर – छत्तीसगढ़, पुष्कर- राजस्थान, अहमदाबाद- गुजरात, गोहाटी- आसाम एवं कोलकाता – पश्चिम बंगाल के विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों ने सवाल पूछे. इनमें से कुछ ने लाइव सवाल पूछे तो कुछ ने नरेंद्र मोडी एप पर भी अपने सवाल भेजे थे. प्रधान मंत्री ने लगभग पौने दो घंटे तक विद्यार्थियों से बात खुल कर बात की. बच्चों के सवालों पर कई बार हँसे भी तो कई बार गंभीर भी हुए जबकि ख़ास कर अभिभावकों और शिक्षकों को बच्चों के साथ परिष्कृत व्यवहार करने की नसीहत भी दी.  

परीक्षा पे चर्चा में प्रधान मंत्री क्या बोले ?

प्रधान मंत्री ने खा यह भी ध्यान रखने की जरूरत है कि खाली समय में किन चीजों से बचना चाहिए, नहीं तो वो ही चीज सारा समय खा जाएंगी।

अंत में रिफ्रेश-रिलेक्स होने के बजाए आप तंग हो जाएंगे। थकान महसूस करने लगेंगे।

जब आप खाली समय earn करते हैं तो आपको उसकी सबसे ज्यादा value पता चलती है।

इसलिए आपकी लाइफ ऐसी होनी चाहिए कि जब आप खाली समय earn करें तो वो आपको असीम आनंद दे। बच्चे बड़े स्मार्ट होते हैं।

जो आप कहेंगे, उसे वो करेंगे या नहीं करेंगे, यह कहना मुश्किल है, लेकिन इस बात की पूरी संभावना होती है कि जो आप कर रहे हैं, वो उसे बहुत बारीक़ी से देखता है और दोहराने के लिए लालायित हो जाता है।

अक्सर माता-पिता अपने मन में कुछ लक्ष्य तैयार कर लेते हैं, कुछ पैरामीटर बना लेते हैं और कुछ सपने भी पाल लेते हैं।

फिर अपने उन सपनों, लक्ष्यों को पूरा करने का बोझ बच्चों पर डाल देते हैं.हम अपने लक्ष्यों के लिए बच्चों को जाने अनजाने में instrument मान लेते हैं और जब बच्चों को उस दिशा में खींचने में विफल हो जाते हैं तो ये कहने लगते हैं कि बच्चों में motivation और inspiration की कमी है।

हम अपने लक्ष्यों के लिए बच्चों को जाने अनजाने में instrument मान लेते हैं और जब बच्चों को उस दिशा में खींचने में विफल हो जाते हैं तो ये कहने लगते हैं कि बच्चों में motivation और inspiration की कमी है।

आपका बच्चा पर-प्रकाशित नहीं होना चाहिए, आपका बच्चा स्वयं प्रकाशित होना चाहिए। बच्चों के अंदर जो प्रकाश आप देखना चाहते हैं, वो प्रकाश उनके भीतर से प्रकाशमान होना चाहिए।

किसी को भी motivate करने का पहला पार्ट है- Training.

Proper training एक बार बच्चे का मन train हो जाएगा तब उसके बाद motivation का समय शुरू होगा।

करियर के चुनाव में एक पक्ष ये भी है कि बहुत से लोग जीवन में आसान रूट की तलाश में रहते हैं। बहुत जल्द वाह-वाही मिल जाए, आर्थिक रूप से बड़ा स्टेट्स बन जाए।

ये इच्छा ही जीवन में कभी-कभी अंधकार का शुरुआत करने का कारण बन जाती है।

सपनों में खोए रहना अच्छा लगता है।

सपने देखना अच्छी बात है, लेकिन सपने को लेकर के बैठे रहना और सपनों के लिए सोते रहना ये तो सही नहीं है।

सपनों से आगे बढ़कर, अपने सपनों को पाने का संकल्प ये बहुत महत्वपूर्ण है।

वो बातें जिनसे आप पूरी तरह जुड़ गए हैं, मग्न हो गए हैं।

वो बातें जो आपका हिस्सा बन गई हैं, आपके विचार प्रवाह का हिस्सा बन गई हैं।

उन्हें आप कभी नहीं भूलते हैं, दूसरे शब्दों में कहूं तो ये memorize नहीं हैं, actually ये internalize है।

आपका मन अशांत रहेगाा, चिंता में रहेगा, आप घबराएं हुए रहेंगे तो इस बात की संभावना बहुत ज्यादा होगी कि जैसे ही आप Question Paper देखेंगे, कुछ देर के लिए सबकुछ भूल जाएंगे।

इसका सबसे अच्छा उपाय यही है कि आपको अपनी सारी टेंशन परीक्षा हॉल के बाहर छोड़कर जाना चाहिए।

वो बातें जिनसे आप पूरी तरह जुड़ गए हैं, मग्न हो गए हैं।

वो बातें जो आपका हिस्सा बन गई हैं, आपके विचार प्रवाह का हिस्सा बन गई हैं।

उन्हें आप कभी नहीं भूलते हैं, दूसरे शब्दों में कहूं तो ये memorize नहीं हैं, actually ये internalize है।

आपका मन अशांत रहेगाा, चिंता में रहेगा, आप घबराएं हुए रहेंगे तो इस बात की संभावना बहुत ज्यादा होगी कि जैसे ही आप Question Paper देखेंगे, कुछ देर के लिए सबकुछ भूल जाएंगे।

इसका सबसे अच्छा उपाय यही है कि आपको अपनी सारी टेंशन परीक्षा हॉल के बाहर छोड़कर जाना चाहिए।

कोरोना काल में अगर काफी कुछ खोया है, तो बहुत कुछ पाया भी है।

कोरोना की सबसे पहली सीख तो यही है कि आपने जिस चीज को, जिन-जिन लोगों को मिस किया, उनकी आपके जीवन में कितनी बड़ी भूमिका है, ये कारोना काल में ज्यादा पता चला है।

कोरोना काल में एक बात ये भी हुई है कि हमने अपने परिवार में एक दूसरे को ज्यादा नजदीक से समझा है।

कोरोना ने सोशल डिस्टेंसिंग के लिए मजबूर किया, लेकिन परिवारों में emotional bonding को भी इसने मजबूत किया है।

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