नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से स्वास्थ्य क्षेत्र में बजट प्रावधानों को प्रभावी तरीके से लागू करने के बारे में आयोजित वेबिनार को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र का आवंटन अप्रत्याशित है और इससे प्रत्येक नागिरक को बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने का सरकार का संकल्प दिखता है। श्री मोदी ने कहा कि पिछला वर्ष महामारी के कारण काफी कठिन और चुनौतीपूर्ण था।उन्होंने चुनौती पर काबू पाए जाने और अनेक लोगों की जान बचाए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने इसका श्रेय सरकार तथा निजी क्षेत्र के संयुक्त प्रयासों को दिया।
प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि कुछ महीनों के अंदर ही देश ने 2500 प्रयोगशालाओं का नेटवर्क स्थापित किया और इस तरह कुछ दर्जनभर जांचों की तुलना में जांच कार्य 21 करोड़ पहुंच गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना महामारी ने हमें यह सबक दी कि हमें न केवल महामारी से लड़ना है बल्कि भविष्य में ऐसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार भी रहना है।इसलिए स्वास्थ्य सेवा से संबंधित प्रत्येक क्षेत्र को मजबूत बनाना समान रूप से आवश्यक है।
उन्होंने कहा किहमें मेडिकल उपकरण से लेकर दवाइओं, वेंटिलेटर से लेकर वैक्सीन, वैज्ञानिक अनुसंधान से लेकर निगरानी संरचना, डॉक्टरों से लेकर महामारी विज्ञानियों सब पर फोकस करना होगा ताकि भविष्य मेंदेश किसी स्वास्थ्य आपदा से निपटने में बेहतर रूप से तैयार हो।
प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर स्वस्थ्य भारत योजना के पीछे यह प्रेरणा है। इस योजना के अंतर्गत यह निर्णय लिया गया है कि देश में ही अनुसंधान से लेकर जांच और इलाज तक एक आधुनिक ईकोसिस्टम विकसित किया जाएगा।यह योजना प्रत्येक क्षेत्र में हमारी क्षमताओं को बढ़ाएगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के अनुसार स्वास्थ्य सेवाओं को ध्यान में रखते हुए स्थानीय निकाय 70,000 करोड़ रुपए प्राप्त करेंगे। उन्होंने कहा कि सरकार न केवल स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में निवेश पर बल दे रही है बल्कि देश के दूर-दराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधा पहुंच बढ़ाने पर भी बल दे रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे निवेश से न केवल स्वास्थ्यमें सुधार हो बल्कि रोजगार के अवसरों में भी वृद्धि हो।
श्री मोदी ने कहा कि विश्व आज भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र की मजबूती और दृढ़ता की खुलकर प्रशंसा कर रहा है। कोरोना महामारी के दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र ने अपने अनुभव और योग्यता को दिखाया है। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में देश के स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रति सम्मान और भरोसा कई गुना बढ़ गया है और इसको ध्यान में रखते हुए देश को भविष्य की दिशा में काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में भारतीय डॉक्टरों, भारतीय नर्सों, भारतीय पारामेडिकल स्टाफ, भारतीय दवाओं तथा भारतीय टीकों की मांग बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि विश्व का ध्यान निश्चित रूप से भारत की मेडिकल शिक्षा प्रणाली पर जाएगा और बड़ी संख्या में विदेशी विद्यार्थी भारत में चिकित्सा अध्ययन करने आएंगे।
श्री मोदी ने कहा कि महामारी के दौरान वेंटिलेटर तथा उपकरण बनाकर बड़ी सफलता के बाद तेजी से काम करना होगा, क्योंकि अब इनकी अंतर्राष्ट्रीय मांग बढ़ रही है।
उन्होंने वेबिनार में भाग लेने वालों से पूछा कि क्या भारत कम लागत पर विश्व को सभी आवश्यक चिकित्सा उपकरण देने का सपना देख सकता है? क्या हम यूजरअनुकूल टेक्नोलॉजी अपनाकर सतत रूप से भारत को किफायती वैश्विक सप्लायर बनाने पर फोकस कर सकते हैं?
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों के विपरीत वर्तमान सरकार स्वास्थ्य को वर्गों में बंटे रूप में देखने के बजाय स्वास्थ्य क्षेत्र को समग्र रूप से देख रही है। इसलिए फोकस केवल इलाज पर नहीं बल्कि आरोग्य पर होना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि रोकथाम से लेकर ठीक होने तक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण अपनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सरकार स्वस्थ्य भारत की दिशा में चौतरफा रणनीति पर काम कर रही है। पहली रणनीति बीमारी रोकथाम और आरोग्य संवर्धन है। स्वच्छ भारत अभियान, योग, गर्भवती महिलाओँ और बच्चों की समय से देखभाल और इलाज जैसे कदम इसके हिस्से हैं।
दूसरी रणनीति गरीब से गरीब को सस्ता और कारगर इलाज प्रदान करना है। आयुष्मान भारत तथा प्रधानमंत्री जन औषधि केंद्र जैसी योजनाएं इस दिशा में काम कर रही हैं।
तीसरी रणनीति स्वास्थ्य संरचना तथा स्वास्थ्य सेवा पेशेवर लोगों की गुणवत्ता और संख्या बढ़ानी है। पिछले छह वर्षों में एम्स जैसे संस्थानों का विस्तार तथा पूरे देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने की दिशा में प्रयास है।
चौथी रणनीति बाधाओं को पार करने के लिए मिशन मोड में काम करना है। मिशन इंद्र धनुष का विस्तार जनजातीय तथा देश के दूरदराज के क्षेत्रों तक किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत ने टीबी उन्मूलन के 2030 लक्ष्य को पांच वर्ष घटाकर 2025 कर दिया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना वारयस की रोकथाम में अपनाए गए प्रोटोकॉल टीबी रोकथाम में भी बनाए जा सकते हैं क्योंकि बीमारी संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉपलेट से फैलती है। उन्होंने कहा कि मास्क पहनना और रोग की जल्द से जल्द जांच और इलाज टीबी की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने कोरोना महामारी के दौरान आयुष क्षेत्र के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि रोग प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने तथा वैज्ञानिक अनुसांन बढ़ाने में आयुष संरचना ने काफी सहायता दी है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए टीकों के साथ पारंपरिक दवाइयों और मसालों के प्रभाव का अनुभव विश्व करने लगा है। उन्होंने घोषणा कि डब्ल्यूएचओ भारत में पारंपरिक औषधि के वैश्विक केंद्र स्थापित करने जा रहा है।
प्रधानमंत्री ने बल देकर कहा कि यह स्वास्थ्य क्षेत्र की पहुंच और किफायत को अगली ऊंचाई पर ले जाने का सही समय है। उन्होंने इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में आधुनिक टेक्नोलॉजी का उपयोगबढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि डिजिटल स्वास्थ्य मिशन जनसाधारण को उनकी सुविधा के अनुसार कारगर इलाज प्राप्त करने में मदद देगा। उन्होंने कहा कि यह परिवर्तन आत्मनिर्भर भारत के लिए काफी अधिक महत्वपूर्ण है।
श्री मोदी ने कहा कि यद्यपि भारत आज विश्व का फार्मेसी बन गया है कि लेकिन अभी भी कच्चे मालों के आयात पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि इस तरह की निर्भरता हमारे उद्योग के लिए अच्छी नहीं है और यह गरीबों को किफायती दवाइयां और स्वास्थ्य सेवा प्रदान करने में बहुत बड़ी बाधा है।
प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि आत्मनिर्भरता के लिए केंद्रीय बजट में चार योजनाएं लॉन्च की गई हैं।
इसके अंतर्गत देश में दवाओं तथा चिकित्सा उपकरणों के उत्पादन से जुड़ा प्रोत्साहन दिया जाता है। इसी तरह दवाओँ और चिकित्सा उपकरणों के लिए मेगा पार्क बनाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश को आरोग्य केंद्रों, जिला अस्पतालों, क्रिटिकल केयर इकाइयों, स्वास्थ्य निगरानी संरचना, आधुनिक प्रयोगशालाओं और टेलीमेडिसिन की जरूरत है। उन्होंने प्रत्येक स्तर पर कार्य और प्रत्येक स्तर पर प्रोत्साहन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि देश के लोगों, चाहे गरीब से गरीब हो या दूरदराज के इलाकों में रह रहे हों, सबको श्रेष्ठ संभव इलाज मिल सके। उन्होंने कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार, राज्य सरकारों तथा देश के स्थानीय निकायों को एक साथ मिलकर काम करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि निजी क्षेत्र, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं का नेटवर्क बनाने और पीएमजेएवाई में सहयोग के लिए पीपीपी मॉडल को समर्थन दे सकते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन, नागरिकों का डिजिटल स्वास्थ्य रिकॉर्ड तथा अत्याधुनिक टेक्नोलॉजीमें साझेदारी की जा सकती है।