नई दिल्ली : केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास विभाग (डीओएनईआर), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज इस निर्णय पर संतोष व्यक्त किया कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की क्रांतिकारी पहल के तहत भारत के 23 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में सरकारी नौकरियों के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया समाप्त कर दी गई है।
नव नियुक्त केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) सचिव दीपक खांडेकर के साथ नवीनतम जानकारी का आदान-प्रदान करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि केंद्रीय कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) की जिम्मेदारियों में से एक केंद्रीय मंत्रालय द्वारा शुरू किए गए बड़े और महत्वपूर्ण सुधारों को लागू करने के लिए विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकारों को समझाने का भी दायित्व है। श्री दीपक खांडेकर ने आज ही नॉर्थ ब्लॉक में अपना कार्यभार संभालने के तुरंत बाद डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात की।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2015 को लाल किले की प्राचीर से स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में सरकारी नौकरियों के लिये साक्षात्कार की प्रक्रिया को समाप्त करने की घोषणा की थी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने 1 जनवरी 2016 से ही केंद्र सरकार में सभी ग्रुप-बी के गैर राजपत्रित पद और ग्रुप-सी के पदों के लिए साक्षात्कार की प्रक्रिया समाप्त करने के आदेश जारी कर यह प्रक्रिया पूरी कर ली थी। उन्होंने कहा कि हालाँकि, कुछ राज्य सरकारों के पास यह निर्णय लागू न करने के अपने कुछ कारण थे, लेकिन उन्हें यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा लगातार समझाए जाने के बाद, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों की अधिकांश सरकारों ने इस निर्णय को मान लिया है और अंत में इसे लागू करने का निर्णय लिया है।
यहाँ तक कि जम्मू-कश्मीर में भी, जहाँ सरकार ने शुरू में इस नियम को लागू नहीं किया था लेकिन केंद्र शासित प्रदेश में उप राज्यपाल के शासन संभालने के बाद, लिखित परीक्षा में योग्यता के आधार पर इन पदों पर चयन करने के लिये अब आदेश जारी किए गए हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, साक्षात्कार प्रक्रिया को को समाप्त करने का फैसला लोक हित के लिये बडा निर्णय साबित हुआ है और यह निचले सामाजिक-आर्थिक स्तर से आने वाले उम्मीदवारों के लिए एक बराबरी का अवसर प्रदान करने का निर्णय है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय सरकारी नौकरियों में नियुक्तियों में भाई-भतीजावाद या भ्रष्टाचार की संभावना को भी समाप्त करता है।
खाण्डेकर को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के सचिव के रूप में एक सार्थक कार्यकाल की बधाई देते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने आशा व्यक्त की कि एक के बाद एक बडे सुधारों की प्रक्रिया शुरू करने की प्रक्रिया नए सचिव के कुशल नेतृत्व में जारी रहेगी। उन्होंने कहा, कुछ ऐसे सुधार जिनकी कुछ साल पहले तक कभी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के समर्थन और व्यक्तिगत हस्तक्षेप के कारण डीओपीटी के लिये लागू करना संभव हो सका है।
कुछ अन्य ऐतिहासिक सुधारों का उल्लेख करते हुए, जो भारत में प्रशासन का रूप ही बदल देंगे, डॉ. जितेंद्र सिंह ने विभिन्न मंत्रालयों और विभागों में नौकरियों में नियुक्ति के लिए सन्युक्त पात्रता परीक्षा (कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट-सीईटी) आयोजित करने के लिए राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) के गठन का उल्लेख किया। सिविल सेवा क्षमता निर्माण के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में “मिशन कर्मयोगी” के बारे में भी डॉ जितेंद्र सिंह ने बातचीत की है। उन्होने कहा कि इसी तरह, मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए) ने सिविल सेवा प्रशिक्षुओ के लिए “आरम्भ” नाम से कॉमन फाउंडेशन कोर्स शुरू किया था।