नई दिल्ली। पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (स्वतंत्र प्रभार) प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, पेंशन एवं परमाणु ऊर्जा तथा अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) द्वारा हाल ही में लाए गए कुछ प्रमुख सुधारों के बारे में जानकारी दी। डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नवनियुक्त आईएएस अधिकारियों को राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों में उनके कैडर में भेजने से पहले केंद्रीय प्रतिनियुक्त देना शासन में बड़ा सुधार है।
इस बारे में विस्तार से बताते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि 2015 से शुरू होकर, 2013 बैच के अधिकारियों को लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी (एलबीएसएनएए) में चरण-II का प्रशिक्षण पूरा होने पर सहायक सचिव के पद के साथ 3-महीने के केंद्रीय कार्य के लिए तैनात किया गया था। उन्होंने कहा कि मूल उद्देश्य इन युवा आईएएस अधिकारियों को उनके करियर के शुरुआती चरण में चरण-II का प्रशिक्षण पूरा होने के बाद भारत सरकार और इसकी प्राथमिकताओं के कामकाज के बारे में बताना था।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह खुशी की बात है कि इस प्रयोग का युवा आईएएस अधिकारियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया है और यहां तक कि बाद के वर्षों में भी वे केंद्रीय नेतृत्व और भारत सरकार के मार्गदर्शन और आगे के रास्ते के लिए अपने मेंटर्स की मदद लेते रहे। विशेष कर कोविड महामारी के दौरान पाया गया कि भारत के विभिन्न जिलों के कलेक्टर और उपायुक्त, जो इस प्रक्रिया से गुजरे थे, को पूरे भरोसे के साथ फैसला लेते हुए देखा गया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर शुरू किए गए कार्यक्रम के अनुसार सहायक सचिवों को भारत सरकार के विभिन्न मंत्रालयों / विभागों में विभिन्न मुख्य कार्यक्रमों में सुधार के लिए अपने इनपुट देने की उम्मीद है। इससे न केवल उन्हें अपने कौशल और प्रतिभा को प्रदर्शित करने का अवसर मिलता है, बल्कि भारत के प्रधानमंत्री के सामने एक प्रस्तुति देने का भी अवसर मिलता है, जो एक ऐसा अवसर है जो शायद अपने सीनियर बैच के टालमोटल वाले रवैये से अलग करता है।
इसकी शुरुआत के बाद से यह योजना सफलतापूर्वक जारी है और 2014, 2015, 2016 और 2017 बैच के अधिकारियों को क्रमशः 2016, 2017 और 2018 में तैनात किया गया था। हालांकि, 2018 बैच के आईएएस अधिकारियों के कार्यक्रम को कोविड-19 के कारण देरी हुई।