नई दिल्ली। आवासन और शहरी कार्य राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि शहरी भारत का इतिहास और रियल एस्टेट क्षेत्र हमेशा दो चरणों में याद किया जाएगा – ‘रेरा (आरईआरए)से पहले’ और ‘रेरा (आरईआरए) के बाद’। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण मोदी सरकार के लिए विश्वास का एक विषय है। उपभोक्ता किसी भी उद्योग का आधार होते हैं, जिसके वृद्धि और विकास के केन्द्र में उसके हितों की रक्षा होती है।उन्होने कहा, “रेरा ने अब तक एक अनियंत्रित क्षेत्र में शासन प्रणाली को प्रभावित किया है। विमुद्रीकरण और वस्तु और सेवा कर कानूनों के साथ, इसने काफी हद तक रियल एस्टेट क्षेत्र से काले धन का सफाया किया है।”
रेरा के प्रावधानों का उल्लेख करते हुए श्री पुरी ने कहा कि रेरा में परिवर्तनकारी प्रावधान हैं, जो बड़ी ईमानदारी से उन लोगों पर निशाना साधते हैं जो लगातार रियल एस्टेट क्षेत्र को नुकसान पहुंचा रहे थे। इस कानून में प्रावधान किया गया है कि किसी भी परियोजना को सक्षम अधिकारी द्वारा मंजूर परियोजना के नक्शे के बिना बेचा नहीं जा सकता है और नियामक प्राधिकरण में पंजीकृत परियोजना को झूठे विज्ञापनों के आधार पर बेचने की प्रथा को समाप्त किया जा सकता है।
उन्होने कहा कि जिस काम के लिए ऋण स्वीकृत किया गया था, उनके अलावा अन्य उद्देश्यों / गतिविधियों के लिए धनराशि लगाने (फंड डायवर्जन) को रोकने के लिए प्रमोटरों को ‘परियोजना आधारित अलग बैंक खाता’ रखना आवश्यक है। ‘कारपेट एरिया’ के आधार पर यूनिट के आकार की आवश्यक जानकारी देना चालबाजी और बेईमानी से उपभोक्ता को नुकसान पहुंचाने वाली व्यवस्था की जड़ पर वार करती है। श्री पुरी ने कहा कि अगर प्रमोटर या खरीदार भुगतान नहीं कर पाता है तो ब्याज का समान दर पर भुगतान करने का प्रावधान है। उन्होने बताया कि कानून के अंतर्गत ऐसे कई अन्य प्रावधानों ने क्षेत्र में व्याप्त अधिकार की असमानता में सुधार करते हुए उपभोक्ताओं को अधिकार सम्पन्न बना दिया है।
श्री पुरी ने उल्लेख किया कि रेरा सहकारी संघवाद में एक प्रारंभिक प्रयास है। उन्होंने कहा कि हालांकि अधिनियम को केंद्र सरकार द्वारा संचालित किया गया है, लेकिन नियमों को राज्य सरकारों द्वारा अधिसूचित किया जाना है। राज्य सरकारों को नियामक प्राधिकरण और अपीलीय न्यायाधिकरण भी नियुक्त किया जाना है। उन्होंने कहा कि नियामक प्राधिकरणों को परियोजना की जानकारी के लिए एक सक्रिय और सूचनात्मक वेबसाइट का संचालन सहित विवादों का निपटान करने के लिए दिन-प्रतिदिन के संचालन की आवश्यकता होती है।
आवासन और शहरी कार्य मंत्री ने बताया कि मई 2017 में रेरा के पूरी तरह से लागू होने के बाद, 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने रेरा के तह्त नियमों को अधिसूचित किया है। 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरणों की स्थापना की है। उन्होने कहा कि 26 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अपीलीय न्यायाधिकरणों की स्थापना की है। उन्होंने कहा कि 26 नियामक प्राधिकरणों द्वारा परियोजना की जानकारी के लिए एक वेब-पोर्टल का परिचालन शुरू किया गया है। उन्होने कहा कि यह रेरा का केंद्र बिंदु है और यह पूरी परियोजना की पारदर्शिता सुनिश्चित करता है।
श्री पुरी ने बताया कि लगभग 60,000 रियल एस्टेट परियोजनाएं और 45,723 रियल एस्टेट एजेंटों को नियामक प्राधिकरणों के साथ पंजीकृत किया गया है, जो खरीदारों को जानकारी के साथ अच्छे विकल्प चुनने का मंच प्रदान करता है। उपभोक्ता के विवादों का निस्तारण करने के लिए 22 स्वतंत्र न्यायिक अधिकारियों को एक फास्ट-ट्रैक व्यवस्था के रूप में नियुक्त किया गया है, जहां 59,649 शिकायतों का निपटान किया जा चुका है। उन्होने कहा कि इसके साथ-साथ उपभोक्ता अदालतों का बोझ भी कम किया है।
केंद्रीय मंत्री ने जोर देकर कहा कि रेरा की भूमिका वास्तव में रियल एस्टेट सेक्टर के लिए वही है जो सेबी की शेयर बाज़ार के लिए है। इसके कार्यान्वयन से रियल एस्टेट क्षेत्र नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर सकेगा।