पानी की कमी की चुनौती से निपटने के लिए नाले के पानी की सफाई जरूरी : डॉ हर्षवर्धन

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नई दिल्ली। केन्द्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पृथ्वी विज्ञान और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने आज कहा कि आने वाले वर्षों में पानी की कमी की चुनौती से निपटने के लिए नाले के पानी की सफाई जरूरी है। उन्होंने वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों से नाले की सफाई की अपनी तकनीक विकसित करने और इसे देशभर के अपने सभी परिसरों में स्थापित करने का आह्वान किया।

डॉ. हर्ष वर्धन सीएसआईआर-नेशनल एनवायरनमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीच्यूट (एनईईआरआई), नागपुर एवं सीएसआईआर-एनसीएल द्वारा विकसित तथा पुणे के सीएसआईआर –नेशनल केमिकल लेबोरेटरी (एनसीएल) में स्थित पर्यावरण के अनुकूल एवं कुशल फाइटोरिड टेक्नोलॉजी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) का उद्घाटन करने के बाद आभासी माध्यम से सीएसआईआर के वैज्ञानिकों को संबोधित कर रहे थे।

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केन्द्रीय मंत्री ने सीएसआईआर के वैज्ञानिकों द्वारा फाइटोरिड तकनीक का उपयोग करते हुए नाले की सफाई करने की सराहना की और कहा कि यह सफाई की एक प्राकृतिक पद्धति है जिसके द्वारा साफ किये गये पानी को पीने समेत विभिन्न प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जा सकता है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि आज के कार्यक्रम को इस तकनीक को व्यापक उपयोग के लिए आगे ले जाने की प्रतिज्ञा के रूप में लिया जाना चाहिए। उन्होंने जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन अन्य विभागों द्वारा ऐसी कई अन्य परियोजनाओं की भी जानकारी दी जहां अपशिष्ट पानी की सफाई अच्छे उपयोग के लिए की जा रही है।

फाइटोरिड एक उपसतह मिश्रित प्रवाह निर्मित आर्द्रभूमि की प्रणाली है, जिसे सीएसआईआर-एनईईआरआई, नागपुर द्वारा विकसित और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पेटेंट कराया गया है, जो 10 साल से अधिक समय से निरंतर संचालन और सफल प्रदर्शन के साथ एक अनूठे सीवेज ट्रीटमेंट सिस्टम के रूप में मौजूद है।

फाइटोरिड अपशिष्ट पानी की सफाई की एक भरोसेमंद तकनीक है, जो प्राकृतिक आर्द्रभूमि के सिद्धांत पर काम करती है। यह तकनीक कुछ विशिष्ट पौधों का उपयोग करती है जोकि अपशिष्ट पानी से पोषक तत्वों को सीधे अवशोषित कर सकते हैं लेकिन जिन्हें मिट्टी की जरुरत नहीं होती है। ये पौधे पोषक तत्व के सिंकर और रिमूवर के रूप में कार्य करते हैं।

नाले की सफाई के लिए फाइटोरिड तकनीक के उपयोग से बागवानी के प्रयोजन के लिए परिष्कृत किए गए पानी को फिर से प्राप्त करना और उसका दोबारा उपयोग करना संभव है।

सीएसआईआर-एनसीएल, एनईईआरआई की पानी की सफाई की फाइटोरिड तकनीक का उपयोग करने वाली पहली सीएसआईआर प्रयोगशाला है। पारंपरिक प्रक्रियाओं की तुलना में, नाले की सफाई की प्राकृतिक प्रणाली पर आधारित यह फाइटोरिड तकनीक शून्य ऊर्जा और शून्य संचालन एवं रखरखाव (ओ एंड एम) की खूबियों से लैस है।

डॉ. शेखर सी. मंडे, महानिदेशक सीएसआईआर और सचिव, डीएसआईआर इस अवसर पर उपस्थित थे, जबकि डॉ. एस. चंद्रशेखर, निदेशक सीएसआईआर- इंडियन इंस्टीच्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी (आईआईसीटी) और अतिरिक्त प्रभार, निदेशक सीएसआईआर-एनसीएल; प्रोफेसर अश्विनी कुमार नांगिया, पूर्व निदेशक, सीएसआईआर – एनसीएल; डॉ. राकेश कुमार, निदेशक, सीएसआईआर-एनईईआरआई, नागपुर; श्री के. डी. देशपांडे, सीएसआईआर- एनसीएल और विभिन्न सीएसआईआर प्रयोगशालाओं के वैज्ञानिक ऑनलाइन माध्यम से इस समारोह में शामिल हुए।

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