नई दिल्ली। केंद्रीय संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद तथा संचार और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्य मंत्री संजय शामराव धोत्रे ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय टेलीकॉम स्किल एक्सीलेंस अवार्ड प्रदान किए। इन पुरस्कारों में 50,000 रुपये और 30,000 रुपये के नकद पुरस्कार शामिल हैं। इन विजेताओं को नई दिल्ली स्थित सीजीओ कॉम्पलेक्स के इलेक्ट्रॉनिक्स निकेतन में आयोजित समारोह में पुरस्कार दिये गये। इस अवसर पर डिजिटल संचार आयोग, एएस (टी) के सदस्य और दूरसंचार विभाग के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
टेलीकॉम स्किल इकोसिस्टम को प्रेरित करने के लिए दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने 2017 में पंडित दीनदयाल उपाध्याय टेलीकॉम स्किल एक्सीलेंस पुरस्कारों की शुरुआत की। इसका उद्देश्य टेलीकॉम स्किलिंग, टेलीकॉम सर्विसेज, टेलीकॉम मैन्युफैक्चरिंग, टेलीकॉम एप्लीकेशन्स के क्षेत्रों में अपना विशेष योगदान के लिए सफल दूरसंचार कुशल लोगों को पुरस्कृत करना है। इनके योगदान के माध्यम से कृषि, वाणिज्य, स्वास्थ्य, शिक्षा आदि विभिन्न क्षेत्रों के लिए दूरसंचार आधारित क्षेत्रीय समाधान प्रदान करना है। इस पुरस्कार का नामकरण पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के नाम पर उनकी जन्म शताब्दी के अवसर पर किया गया था। इसके लिए पहली बार वर्ष 2018 में नामांकन आमंत्रित किए गए थे। इस पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा 8 सितंबर, 2020 को दूरसंचार विभाग द्वारा की गई।
बेंगलुरु के श्रीनिवास कर्णम को ब्रांड ‘सी मोबाइल’ के तहत एक लागत प्रभावी अनुकूलित तकनीकी समाधान विकसित करने में उनके योगदान हेतु प्रथम पुरस्कर के लिए चुना गया। इसका उपयोग गहरे समुद्र में संचार के लिए, केरल तट पर काम करने के लिए, मछुआरों को संचार की सुविधा प्रदान करने और मौसम संबंधी चेतावनी जारी करने के लिए किया जाता है। यह सेवा जीएसएम कवरेज क्षेत्र से बाहर होने की स्थिति में मछुआरों को वॉयस कॉल, ग्रुप कॉल, एसएमएस, लोकेशन सर्विसेज और आपातकालीन सेवाओं के लिए सक्षम बनाती है। यह सेवा केरल तट के साथ तिरुअनंतपुरम से कालीकट तक लगभग 500 किलोमीटर के दायरे में उपलब्ध है। वहीं इस सेवा से संबंधित उपकरण को लगभग 900 मोटर नौकाओं में लगाया गया है।
नई दिल्ली के प्रोफेसर सुब्रत कर को द्वितीय पुरस्कार के लिए चुना गया है। उनका चयन ट्रेन-पशु टकराव को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर सेंसर नेटवर्क और उपकरणों के विकास और उनकी तैनाती के अभिनव समाधान के लिए किया गया। यह पशुओं के प्राकृतिक गति/व्यवहार में हस्तक्षेप किए बिना काम करता है। इससे वन्यजीव संरक्षण में मदद मिलती है। प्रारंभिक चरण के तहत इस प्रणाली को उत्तराखंड के राजाजी राष्ट्रीय पार्क में स्थापित किया गया है, जिससे ट्रेन-हाथी टकराव की वजह से हाथियों की मौतों को रोका जा सके।
केंद्रीय मंत्रियों ने मछुआरों के फायदे और वन्यजीव संरक्षण के लिए अपने अभिनव विचारों के माध्यम से दूरसंचार प्रौद्योगिकी का लाभ प्राप्त करने के लिए दोनों पुरस्कार विजेताओं के प्रयासों की सराहना की।
संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद ने श्रीनिवास कर्णम के साथ संवाद में कहा कि इस प्रणाली को दूसरे राज्यों जैसे, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा के तटीय क्षेत्रों में शुरू किया जा सकता है, जिससे अधिक मछुआरों को इसका लाभ मिल सके, क्योंकि केरल तट पर इसका संचालन सफलतापूर्वक हो रहा है। वहीं प्रोफेसर सुब्रत कर के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि अन्य गलियारों में भी इस तरह के सेंसर नेटवर्क की जरूरत है। इन गलियारों में आम तौर पर जंगली हाथी और दूसरे जानवर रेलवे की पटरियों को पार करते हैं और तेज गति वाली ट्रेन से टकराव होने की स्थिति में अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठते हैं।
संचार राज्य मंत्री संजय धोत्रे ने प्रोफेसर सुब्रत कर के साथ संवाद में उनसे किसानों के लाभ के लिए कई राज्यों के गांवों में हाथियों के झुंड द्वारा फसल की बर्बादी का पता लगाने के लिए इस विचार को आगे बढ़ाने की अपील की।
इसके अलावा दूरसंचार विभाग ने हाल ही में वर्ष 2019 के पुरस्कारों के लिए नामांकन आमंत्रित किया है। इसकी अंतिम तिथि 23 फरवरी, 2021 है। इस बारे में विस्तृत जानकारी डीओटी की वेबसाइट www.dot.gov.in पर उपलब्ध है।