अंतरराष्ट्रीय रेत कला उत्सव में जनहित के मुद्दे उछाल कर पर्यटकों के दिलों में अविस्मरनीय छवि बना गए बिहार के युवा सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र

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नीरज कुमार सिंह

मोतिहारी/कोणार्क : अंतरराष्ट्रीय रेत कला उत्सव के अंतिम दिन बिहार के पूर्वी चंपारण जिले के घोड़ासहन बिजबनी गांव निवासी प्रख्यात युवा सैंड आर्टिस्ट मधुरेन्द्र ने मास्क पहनने के सही तरीके के बारे में जागरूकता बढ़ाने की कोशिश की. इसके लिए ने उन्होंने ओडिशा के चन्द्रभागा समुन्द्र तट पर रेत कला के माध्यम से एक ऐसी सजीव आकृति का निर्माण किया जिससे लोगों को मास्क के प्रयोग के प्रति सजग किया जा सके. पांच दिनों में उन्होंने जनहित से जुड़े मुद्दे को ही अपनी कला का आधार बनाया और रचनात्मकता का शानदार परिचय दिया. एक मंजे हुए सैंड आर्टिस्ट के रूप में विभिन्न विषयों के सहारे इस बार इन्होने लोगों को अपनी कला का लोहा मनवाया जबकि जबरदस्त ख्याति भी हासिल की.एक तरफ पर्यावरण संरक्षण का सन्देश दिया दूसरी तरफ कोरोना महामारी के खतरे से लोगों को सतर्क किया. इन्होंने तमिलनाडू के लोकप्रिय त्यौहार जल्लीकट्टू के जीवंत चित्रण से पर्यटकों को वर्षो पुरानी परम्परा से परिचय करवाया जबकि महात्मा बुद्ध की शानदार आकृति उकेर कर विश्व में शांति व भाईचारा का सन्देश फैलाया.

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मधुरेन्द्र कहते हैं कि वे दुनिया भर में कोविड-19 जैसी जानलेवा महामारी से मरने वाले लोगों के लिए काफी दुखी हैं। उनके अनुसार दुनिया आज इस संक्रमण से त्रस्त है. अब तक की खोज में वैज्ञानिक इससे बचने के एक मात्र उपाय के रूप में सोशल डिस्टेंस मेंटेन करना और मास्क पहनने को ही प्राथमिकता दे रहे हैं. इसलिए उन्होंने भी कोरोना से बचने के एक मात्र इस उपाय को ही वे अपनी कला के माध्यम से जन जन तक पहुँचाना चाहते हैं. उन्होंने कोणार्क फेस्टिवल के पाचवें दिन दुनियां भर के पर्यटकों से जीवन रक्षा के लिए फेस मास्क को सही ढंग से पहनने की अपील करने की सोची और अपनी कलाकृति को इसी सोच के तहत निर्मित किया। कोरोना महामारी से बचने के लिए बालू पर आकृति उकेर कर लोगों से कोविड-19 के नियमों को पालन करने के प्रति सतर्क किया ।

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6 फिट की दूरी, मास्क हैं जरूरी

बता दें कि इसके पूर्व भी गुरुवार को  रेत कलाकार मधुरेन्द्र ने बालू पर “6 फिट की दूरी, मास्क हैं जरूरी” लिख कर मास्क पहनने, समय से अपने हाथों को सेनेटाइज करने व 6 फिट की दूरी पर रहने का संदेश लोगों को दिया था। ताकि इस महामारी से इंसानों के जीवन की रक्षा हो सके। मौके पर उपस्थित विभागीय कई वरीय अधिकारियों व अन्य राज्यों के सैकड़ों पर्यटकों समेत स्थानीय आमजनों ने भी बिहार के कलाकार मधुरेन्द्र की कलाकृति की सराहना करते कोविड-19 नियमों का पालन करने की शपथ ली। सभी ने बिहार के इस मशहूर कलाकार मधुरेन्द्र की कलाकृति की सराहना करते हुए उन्हें इस सुन्दर और आकर्षक व संदेशपरक प्रदर्शन के लिए बधाई दी।

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भगवान बुद्ध की भव्य प्रतिमा की ओड़िसा के प्रधान सचिव ए के के मिना की सराहना

मधुरेन्द्र की कला को देख ओड़िसा सरकार के प्रधान सचिव ए के के मिना भी झूम उठे और शाबाशी देने  से अपने आप को रोक नहीं पाये। बता दे की उत्सव के चौथे दिन ही सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ने बालू की रेत पर बिहार के बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर की जानकारी दुनिया भर के पर्यटकों को दी. इसके माध्यम से उन्होंने बताया कि बिहार में बोधगया वह धरती हैं जहां से भगवान बुद्ध को सत्य अहिंसा और ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। बोध गया के मंदिर में विश्व भर के पर्यटक भगवान बुद्ध का दर्शन करने आते हैं। यह सजीव कलाकृति पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना रहा। लोग कोविड-19 के नियमों को पालन करते हुए इस महोत्सव में बालू से बनी बोधगया के भगवान बुद्ध प्रतिमा को देखने के लिए उमड़ पड़े।

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गौरतलब है कि सैंड आर्टिस्ट मधुरेंद्र ऐसे ही कुछ अलग काम करके दुनिया में अपने नाम का डंका बजा रहे हैं। मौके पर उपस्थित पद्मश्री सुदर्शन पटनायक व विभागीय कई वरीय अधिकारियों व देश-प्रदेश के पर्यटकों तथा आम नागरिकों ने भी उनके इस हुनर की कल्पनाशीलता और सन्देश के साथ सजीव चित्रण करने की अपार क्षमता की जमकर सरहना की ।

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