सुभाष चन्द्र चौधरी/सम्पादक
पटना : भारी हंगामे के बीच एनडीए के विजय कुमार सिन्हा को बहुमत के आधार पर बिहार विधान सभा के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित घोषित किया गया. विपक्ष ने अवध विहारी चौधरी को इस पद के लिए प्रत्याशी बनाया था. श्री सिन्हा के पक्ष में 126 मत पड़े जबकि विपक्ष में 114 मत डाले गए. प्रोटेम स्पीकर जीतना राम मांझी की ओर से सदन में अध्यक्ष पद के चुनाव की घोषणा करते ही विपक्ष के विधायकों ने हंगामा खड़ा कर दिया और वे विधान परिषद् के सदस्यों जिनमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हैं को सदन से बाहर भेजने की मांग करने लगे. विपक्ष की इस मांग को प्रोटेम स्पीकर ने अस्वीकार कर दिया क्योंकि मुख्यमंत्री सदन के नेता होते हैं और उन्हें दोनों सदनों में उपस्थित रहने का अधिकार है. विपक्ष के जोरदार हंगामे के कारण सदन की बैठक एक बार स्थगित भी करनी पड़ी.
इससे पूर्व बिहार विधानसभा के तीसरे दिन की कार्यवाही शुरू हुई। तीसरे दिन शेष बचे चार सदस्यों का शपथ ग्रहण हुआ। इसके बाद विधान सभा अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई। प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने अध्यक्ष पद के चुनाव को लेकर प्रक्रिया शुरू कराई। प्रोटेम स्पीकर ने पहले सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद के चुनाव करने को कहा, लेकिन विपक्ष ने इसे खारिज कर दिया। इस सम्बन्ध में माले के विधायक महबूब आलम ने सर्वसम्मति से अध्यक्ष पद का चुनाव कराने का प्रस्ताव दिया था. लेकिन इस मुडी पर विपक्ष सहमत नहीं हुआ.
प्रोटेम स्पीकर जीतन राम मांझी ने राघोपुर विधानसभा क्षेत्र से राजद विधायक के रूप में चुन कर आये तेजस्वी यादव को अपना मत प्रकट रखने का मौका दिया. तेजस्वी यादव ने सरकार पर हमला बोलना अशुरु किया जिसपर सत्ता पक्ष के लोगों ने आपत्ति जताई. सदन में इसको लेकर हंगामा खड़ा हो गया. श्री मांझी ने काई बार तेजस्वी यादव को टोका और अध्यक्ष पद के चुनाव तक उनके विचार सीमित रखने की नसीहत दी. विपक्ष की ओर से कांग्रेस विधान मंडल दल के नेता व भागलपुर से चुन कर आये आजीत शर्मा ने बारम्बार सर्वसम्मत्ति से अध्यक्ष के चुनाव के प्रस्ताव को नाकारा और गुप्त मतदान कराने की मांग की पर बल देते रहे. श्री मांझी ने अजीत शर्मा की गुप्त मतदान की मांग को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस मामले में गुप्त मतदान की कोई संवैधानिक परम्परा नहीं है. साथ ही आज की बैठक बिहार विधान सभा के सेन्ट्रल हाल में होरही है इसलिए यहाँ इस प्रकार की सुविधा भी नहीं है.
कांग्रेस नेता आजीत शर्मा ने मतदान में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को न्यूनतम करने के लिए विधायकों की हाजिरी रिजस्टर मंगवा कर मतदान सुनिश्चित कराने की भी मांग की लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने इसे भी सिरे से खारिज कर दिया.
इस बीच विपक्ष के अधिकतर विधायक सदन के वेल में आग गए और नारेबाजी करते हुए मुख्यमंत्री सहित विधान परिषद् के सदस्यों को बाहर निकालने की मांग पर बल देते रहे. जीतन राम मांझी ने इस मांग को नियम विरुद्ध करार दिया. लेकिन विपक्षी विधायक मानें को तैयार नहीं थे. यहाँ तक कि राजद विधान मंडल दल के नेता तेजस्वी यादव भी अपने विधायकों के साथ सीट छोड़ कर अध्यक्ष की कुर्सी के सामने खड़े होते देखे गये. कई विपक्षी विधायक सदन के वेल में बैठा कर नारेबाजी करने लगे.
इसके बाद मतदान की प्रक्रिया शुरू हुई। एनडीए के उम्मीदवार विजय कुमार सिन्हा के पक्ष में समर्थक विधायकों से खड़े होने को कहा गया. उनकी गिनती हो ही रही थी कि विपक्ष की ओर से पुनः हंगामा शुरू कर दिया गया और सदन की बैठक स्थगित करने की मांग की जाने लगी. अंततः प्रोटेम स्पीकर मांझी ने सदन की बैठक 5 मिनट के लिए स्थगित कर दी.
सदन की बैठक दोबारा शुरू होने पर भी विपक्ष का हंगामा चलता रहा. प्रोटेम स्पीकर ने पुनः चुनाव की प्रक्रिया शुरू की. पक्ष व विपक्ष में खड़े विधायकों की गिनती काफी देर तक चलती रही. इस बीच श्री मांझी विपक्ष से आसन पर बैठने को कहते रहे. काफी जद्दोजहद के बाद प्रोटेम स्पीकर ने मत विभाजन का निर्णय हंगामे की बीच सुनाया.
उन्होंने एनडीए प्रत्याशी विजय कुमार सिन्हा को बिहार विधान सभा का अध्यक्ष निर्वाचित घोषित किया. श्री सिन्हा को 126 मत मिले जबकि विपक्ष में 114 मत पड़े.
श्री सिन्हा के निर्वाचित घोषित होने के बाद परम्परा के अनुसार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद नेता तेजस्वी यादव ने उन्हें अध्यक्ष के आसन तक पहुंचाया. इस पूरी प्रक्रिया के दौरान सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच भारी कटुता देखने को मिली जिसका नजारा आगे भी जारी रहने के आसार हैं.