नई दिल्ली।।केंद्रीय शिक्षा मंत्री, रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने आज आईआईटी रोपड़ के स्थायी परिसर को देश को समर्पित किया। इस अवसर पर शिक्षा राज्यमंत्री, संजय धोत्रे भी मौजुद थो। इस कार्यक्रम में आईआईटी रोपड़ के निदेशक, प्रो. सरित के. दास एवं आईआईटी रोपड़ के रजिस्ट्रार, रविंद्र कुमार एवं अन्य गणमान्य लोगों ने भी हिस्सा लिया।
प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए, श्री पोखरियाल ने आईआईटी रोपड़ बिरादरी को शुभकामनाएं प्रदान की और उन्होंने भारत को वैश्विक रूप से एक मजबूत एवं जीवंत राष्ट्र के रूप में परिवर्तित करने की दिशा में आवश्यक कदम उठाने के लिए छात्रों और शोधकर्ताओं की सराहना की। केंद्रीय मंत्री ने इस बात पर बल दिया कि प्राचीन काल से ही भारत ज्ञान के क्षेत्र में एक समृद्ध राष्ट्र रहा है और वैश्विक स्तर पर समृद्ध विरासत एवं संस्कृति वाले देश के रूप में जाना जाता रहा है। छात्रों को राष्ट्र का योद्धा बताते हुए मंत्री ने उनसे राष्ट्र के विकास में योगदान देने का आग्रह किया।
श्री पोखरियाल ने इस बात पर प्रकाश डाला कि आईआईटी रोपड़, देश और विदेश के शीर्ष स्थान रखने वाले शिक्षण संस्थानों के बीच में लगातार प्रदर्शन करता रहा है। उन्होंने कहा कि भारत में आईआईटी रोपड़, आईआईएससी बैंगलोर के बाद, टाइम्स हायर एजुकेशन वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग, 2021 में 351-400 रैंक लाने में शीर्ष स्थान पर रहा है। उन्होंने आगे बताया कि शोध प्रशस्ति पत्र में आईआईटी रोपड़ को दुनिया में प्रथम स्थान प्रदान किया गया है। एनआईआरएफ में, आईआईटी रोपड़ ऑल इंडिया इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग 2019-20 में 25वें स्थान पर रहा है। उन्होंने कहा कि क्यूएस इंडिया रैंकिंग 2020 में भारत में 25वें स्थान प्राप्त करने के साथ ही आईआईटी रोपड़ अनुसंधान गुणवत्ता में सभी आईआईटी से आगे रहा है और यह प्रति पेपर प्रशस्ति पत्र में उच्चतम अंक है।
मंत्री ने एनईपी 2020 के संदर्भ में बात करते हुए एनईपी 2020 में क्रेडिट बैंक पर प्रकाश डाला, जो कि वैश्विक शिक्षा कार्यक्रम के अनुसार है। इसके अलावा, एनईपी 2020 के साथ व्यावसायिक पाठ्यक्रम को भी लाया जाने पर भी, जो आत्मनिर्भर भारत बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और भारतीय छात्रों के लिए वैश्विक प्रदर्शन को ज्यादा सुविधाजनक बनाने के लिए शिक्षा क्षेत्र को खोलेगा।
उद्घाटन समारोह के दौरान संबोधित करते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा, “एनईपी 2020 एक आत्मनिर्भर भारत का आधार बनेगा और हमें वास्तविक रूप में आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता प्रदान करेगा।”
उन्होंने कहा कि “एनईपी 2020 के साथ भारत शिक्षा शक्ति के क्षेत्र में एक केंद्र के रूप में उभरकर सामने आएगा और मंत्रालय द्वारा पूरी दुनिया के छात्रों को आकर्षित करने के साथ-साथ देश की विरासत को बढ़ावा देनेके लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कई मोर्चों पर काम किया जा रहा है।”
मंत्री ने कोविड-19 महामारी के दौरान आईआईटी रोपड़ द्वारा अपनाए गए पहलों की सराहना की। उन्होंने कहा कि विभिन्न तकनीकों में आइसोलेशन वार्ड और परीक्षण प्रयोगशालाओं में हवा के माध्यम से कोविड-19 का संचरण रोकने के लिए नकारात्मक दबाव कक्ष शामिल हैं, इस प्रकार से यह चिकित्सा कर्मचारियों को संक्रमित होने से भी बचाता है। इसके पास एम्बुलेंस में सेवारत स्वास्थ्य कर्मियों के लिए खतरा उत्पन्न हुए बिना, कोविड-19 से संक्रमित लोगों को अस्पताल ले जाने के लिए नकारात्मक दबाव एम्बुलेंस भी उपलब्ध है। उन्होंने आगे बताया कि आईआईटी रोपड़ में यूवीजीआई आधारित कक्ष कीटाणुशोधन उपकरण, यूवीसेफ की भी स्थापना की गई है। यह अद्वितीय पेटेंट डिज़ाइन, जीरो-शैडो 360 डिग्री कीटाणुशोधन सुनिश्चित करता है और इसका उपयोग आईपीएल, दुबई में किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के रोगियों को संक्रमित रोगियों और दूषित परिवेश में रहने वाले स्वास्थ्य कार्मियों के संपर्क में कम से कम आने के उद्देश्य से, कम कीमतों वाली दो स्वायत्त वाहनों, “मेडी-सारथी” और “अल-पावर्ड ट्रॉली” को इसके साथ जोड़ा गया है। मंत्री द्वारा नवाचार और अनुसंधान पर लगातार ध्यान केंद्रित करते हुए ‘मेक इन इंडिया’ पहल की दिशा में आगे बढ़ने के लिए आईआईटी रोपड़ द्वारा उठाए गए कदमों की सराहना की गई।
इस अवसर पर श्री संजय धोत्रे ने कहा कि, “आईआईटी को पूरी दुनिया में अकादमिक उत्कृष्टता के प्रमुख संस्थानों के रूप में मान्यता प्राप्त है।” उन्होंने यह भी कहा कि मंत्रालय द्वारा आईआईटी की धारणा को बढ़ावा देने की दिशा में काम किया जा रहा है जिससेवैश्विक रैंकिंग में आईआईटी शीर्ष स्थान पर रहे।
श्री धोत्रे ने कृषि एवं जल के क्षेत्र में “टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच)”स्थापित करने के लिए आईआईटी रोपड़ कोडीएसटी द्वारा 110 करोड़ रुपये की अनुदान राशि प्रदान करने की सराहना की। अग्रणी एवं अद्वितीय, यह संरचना इंटरडिसिप्लिनरी साइबर फिजिकल सिस्टम्स (एनएम-आईसीपीएस) पर राष्ट्रीय मिशन की संरचना का एक हिस्सा है।
प्रो सरित के. दास, निदेशक, आईआईटी रोपड़ ने एक दशक की स्थिरता के साथ संस्थान की सफलता की कहानी को साझा किया, जो कि कैंपस मास्टर प्लान की एक अनिवार्य विशेषता रही है। उन्होंने ग्रीन कैंपस का एक वीडियो भी साझा किया जिसमें विभिन्न स्थिरता वाली सुविधाओं पर बहुत बल दिया गया है, जिसमें सौर ऊर्जा, पर्यावरण अनुकूलन आवागमन विकल्प, कुशल जल प्रबंधन, स्वस्थ अपशिष्ट प्रबंधन अभ्यास, शून्य-निर्वहन एवं कई अन्य उपाय शामिल हैं। आईआईटी रोपड़ कैंपस को, कैंपस मास्टर प्लान के लिए इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट फॉर लार्ज डेवलपमेंट्स (जीआरआईएचए एलडी) के लिए 5-स्टार ग्रीन रेटिंग प्राप्त हुई है। उन्होंने कहा कि संस्थान को विभिन्न रैंकिंग में कई पुरस्कार प्राप्त हुए हैं और यह संस्थान शुरूआत से ही अनुसंधान एवं विकास में सक्रिय रूप से शामिल रहा है। उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए विभिन्न प्रौद्योगिकी आधारित समाधान विकसित किए गए हैं और उन्हें बड़े स्तर पर समाज के साथ साझा किया गया है।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रोपड़ की स्थापना 2008 में की गई थी और यह सतलुज नदी पर अवस्थित है। इसका परिसर 500 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। संस्थान के स्थायी परिसर के लिए 2008 को भूमि सौंपी गई थी, जिसका निर्माण 15 जनवरी, 2015 से शुरू हुआ था और यह संस्थान 2017 में अत्याधुनिक भवनों एवं प्रयोगशालाओं के साथ अपने स्थायी परिसर में जा चुका है।1.37 लाख वर्गमीटर में निर्मित क्षेत्र पर अत्याधुनिक बुनियादी संरचना के साथ, 2,324 छात्रों, 170 संकाय सदस्यों और 118 सहयोगी कर्मचारियों के लिए आवास, एक शानदार प्रवेश द्वार, अत्याधुनिक प्रयोगशालाएं, पुस्तकालएं, खेल सुविधाएं, अन्य अतिरिक्त एवं सह-पाठयक्रम गतिविधियों के लिए रिक्त स्थान एवं बड़े स्तर पर रिक्त स्थानों के साथ छात्रावासों का अद्वितीय डिजाइन शामिल किए गए हैं और अब यह संस्थान जीवंत रूप ले चुका है। संस्थान 2,500 छात्रों, 220 संकाय सदस्यों और 250 सहायक कर्मचारियों को आवास की सुविधा प्रदान करने के लिए वर्ष 2021 तक 2.32 लाख वर्गमीटर का निर्माण कार्य पूरा करने की दिशा में अग्रसर है।
कुल 4.76 लाख वर्ग फुट क्षेत्र में एक उत्कृष्ट शैक्षणिक ब्लॉक के रूप में 7 अकादमिक विभागों को रखा गया है। 800 लोगों की बैठने की क्षमता वालेएक केंद्रीय पुस्तकालय और सभागार 2020 की सर्दियों तक तैयार हो जाएंगे। आईआईटी रोपड़ द्वारा 2017 में एक नवीनएवं अद्वितीय पाठ्यक्रम की शुरूआत की गई है, जिसमें मानविकी, सामाजिक विषय एवं परियोजना-आधारित शिक्षा को मजबूती प्रदान करने के साथ ही शिक्षण के लिए अंतःविषय दृष्टिकोण पर बल दिया गया है।