नई दिल्ली। भारत में जल्द ही कई कोविड-19 रैपिड जांच तकनीक से चुनने का विकल्प होगा जिनपर वर्तमान समय में स्टार्ट-अप्स काम कर रहे हैं। छोटे क्लीनिकों, हवाई अड्डों के प्रवेश द्वार पर या छोटी प्रयोगशालाओं में, में तेजी से आणविक परीक्षण करने की तकनीक रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के लिए जल्द ही एक जांच किट उपलब्ध होगी जिसमें संदिग्ध कोविड नमूनों में प्रत्यक्ष एंटीजन जांच करने की क्षमता होगी।
राष्ट्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी उद्यमिता विकास बोर्ड (एनएसटीईडीबी), विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग की एक पहल के साथ कोविड-19 स्वास्थ्य संकट से युद्ध के लिए केंद्र (कवच-सीएडब्ल्यूएसीएच) से समर्थन के साथ कुछ स्टार्ट-अप्स द्वारा कोविड-19 के लिए विकसित तकनीकों को फिर से तैयार और विस्तारित किया गया है। इसे सोसाइटी फॉर इनोवेशन एंड एंटरप्रेन्योरशिप (एसआईएनई), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बम्बई द्वारा लागू किया गया है।
विभिन्न कोविड-19 समाधानों को विकसित करने के लिए चुनी गई 51 कंपनियों में से 10 कंपनियों को जांच किट और उपचार समाधानों के निर्माण और बडे पैमाने पर उपयोग के लिये सहायता प्रदान की गई है। अधिकांश प्रौद्योगिकियां भारतीय आयुर्विग्यान अनुसंधान संस्थान-आईसीएमआर से मान्यता के के लिये विचाराधीन हैं और सत्यापन और अनुमोदन प्रक्रिया पूरी होने और स्वीकृत होने के बाद इसे उपयोग के लिये उपलब्ध काराया जा सकता है।
ओमिक्स अनुसंधान और जांच प्रयोगशाला ने अपने ओमीएक्स-एएमपी प्लेटफॉर्म का विस्तार किया, जो डीएसटी के समर्थन से लूप-मध्यस्थता आइसोथर्मल एम्प्लिफिकेशन (एलएएमपी) नामक तकनीक की मदद से कम लागत वाले आणविक कोविड-19 जांच को तेजी से पूरा करने के लिए उपयुक्त बनाता है। एलएएमपी परीक्षण एक इन-बिल्ट मशीन लर्निंग एल्गोरिदम के साथ एक रंग का पता लगाने वाले उपकरण में चलाया जाता है, जो नमूनों को सकारात्मक या नकारात्मक रूप में पहचानता है। छोटे क्लिनिकों और हवाई अड्डों के प्रवेश के बिंदुओं या छोटी प्रयोगशालाओं में उप्योग किया जा सकता है
ओएमआईएक्स-एएमपी प्लेटफॉर्म और उपयोग में आसान एलएएमपी आधारित 5 जांच किट वर्तमान में आईसीएमआर द्वारा मान्यता प्राप्त करने के लिये विचाराधीन हैं। एलएएमपी तकनीक आणविक परीक्षण में आरटी-पीसीआर के लिए एक सरल और आसान विकल्प प्रदान करती है और व्यापक रूप से अधिक सटीक आणविक परीक्षण के लिये उपयोग की अनुमति देती है।
एकल ट्यूब किट कमरे के स्थिर तापमान प्रारूप में सभी अभिकर्मकों दृव्य के साथ पहले से तैयार आती हैं। इसके अलावा डिवाइस और इन-बिल्ट मशीन लर्निंग एल्गोरिदम सकारात्मक और नकारात्मक मामलों की स्वचालित पहचान के साथ कम लागत वाली जांच प्रणाली (50,000 रुपये से कम) प्रदान करते हैं।
पैथशोध हेल्थकेयर ने 2015 में नवाचार और विकास समिति, भारतीय विग्यान संस्थान-आईआईएससी बैंगलोर में कोविड-19 रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट के लिए अनुपैथ नामक पाम प्लेटफॉर्म पर एक प्रयोगशाला तैयार की थी।
पैथशोध अपनी तरह का एक अनूठा समाधान है, जिसमें डिस्पोजेबल परीक्षण स्ट्रिप्स के साथ इलेक्ट्रॉनिक रीडर का उपयोग किया जाता है और इस प्रकार परिणामों की व्याख्या करने में मानवीय त्रुटियों को समाप्त करता है। यह अधिकांश केवल आईजीजी परीक्षणों के विपरीत पूरी तरह से एंटीबॉडी परीक्षण (आईजीएम और आईजीजी दोनों) है। यह एक मात्रात्मक परीक्षण है और बाजार में उपलब्ध गुणात्मक परीक्षणों के विपरीत है, जो प्रतिरोधक क्षमता स्तर का आकलन करने में बहुत महत्वपूर्ण है। पता लगाने की सीमा 10 नैनोमीटर एकाग्रता तक है। जांच परिणाम को आधार नंबर, और आरोग्य सेतु ऐप से जोड़ा जा सकता है।
उन्होंने कोडिड-19 के निर्माण के लिए सीडीएससीओ जांच का लाइसेंस प्राप्त किया है। परीक्षण परख पूरी तरह से रक्त नमूनों से प्राप्त कोविड-19 एंटीबॉडी पर मान्य है। वास्तविक रोगी के नमूनों पर प्रारंभिक जांच परिणाम बहुत उत्साहजनक रहे हैं और अगले कुछ दिनों में और परीक्षण किए जाएंगे। उन्होंने 30 सितंबर तक आईसीएमआर से सत्यापन और अनुमोदन के लिए परीक्षण किट जमा करने की योजना बनाई है।
प्रांताए सॉल्यूशंस ओपीसी ने संदिग्ध कोविड नमूनों में प्रत्यक्ष एंटीजन जांच के लिये एक रीडर के साथ परीक्षण किट को विकसित किया है। यह लोकलाइज़्ड सरफेस प्लास्मोन रेजोनेंस एन्हांसमेंट नामक तकनीक पर आधारित है जो 100पीजी से कम सांद्रता पर प्रोटीन की मात्रात्मक माप को सक्षम बनाता है। यह प्रौद्योगिकी आरटी-पीसीआर का एक वैकल्पिक समाधान है और इसे स्वास्थ्य देखभाल केंद्र पर उपयोग किया जा सकता है।
कोविड-19 जांच किट वी 2.0 हुवेल में कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए तीन ओलीगो मिश्रण उपयोग करने के लिए तैयार होते हैं। इसमें एक वर्ष के जीवन काल वाले एकल ट्यूब आरटी क्यूपीसीआर प्रवर्धन के लिए रिवर्स ट्रांसक्रिपटेस एंजाइम मौजूद होते हैं।
चिमेरा ट्रंस्लेशनल रिसर्च फ्रेटर्निटी ने कोविड-19 मरीज़ों के इलाज के लिए प्लाज्मा की एक मानकीकृत चिकित्सीय खुराक देने के लिए एक तकनीक विकसित की है कि जिसमें रोगी को सही मात्रा में खुराक दी जाती है। द लाइफोलाइज़्ड -कोविड एंटीबॉडी रिच प्रोडक्ट (एल-सीएआरपी) जो उन्होंने विकसित किया है, एक सुरक्षित चिकित्सा प्रदान करता है और एक स्क्रीनिंग प्रक्रिया की मदद से एक रणनीतिक दानकर्ता द्वारा संक्रमण के प्रसार से बचा जाता है। अंतिम समय में प्लाज्मा को खोजने, स्क्रीनिंग और वापस लेने में देरी और परेशानी से बचने के लिए, उन्होंने एल-कार्प का एक बैंक विकसित किया है।
एसआईएनई आईआईटी बम्बई, एफआईआईटी, आईआईटी दिल्ली, एसआईआएसी, आईआईटी कानपुर, एचटीआईसी, आईआईटी मद्रास, वेंचर सेंटर, पुणे, आई के पी नॉलेज पार्क, हैदराबाद, के आई आई टी-टीबीआई, भुवनेश्वर जैसे इनक्यूबेटरों ने तकनीकी प्रगति के बारे में समय पर सलाह दी, स्टार्ट अप्स का अनुसरण करने के लिए स्टार्ट अप्स को सभी आवश्यक दिशा-निर्देश और समझौता ग्यापन पर हस्ताक्षर के लिये निर्देशित किया।