प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में भारतीय खिलौने बनाने और देशी नस्ल के कुत्ते पालने पर दिया बल

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नई दिल्ली। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मन की बात कार्यक्रम में देश में पर्व त्योहार के दौरान सावधानी बरतने व स्वास्थ्य व पोषण के प्रति संवेदनशील होने का आह्वान किया। प्रत्येक जिले में खास फसल के उत्पादन व मौसमी खेती, खिलौना उद्योग और भारतीय नस्ल के कुत्ते जैसे विषयों का उल्लेख करते हुए लोगों को आत्मनिर्भर भारत के लिए काम करने पर बल दिया। उन्होंने बताया कि विश्व में खिलौना उद्योग 7 लाख करोड़ से भी अधिक का व्यापार करता है। उन्होंने यह कहते हुए चिंता व्यक्त की कि 7 लाख करोड़ रुपयों के इतने बड़े वैश्विक कारोबार में भारत का हिस्सा बहुत कम है। यह हमसबके लिए विचारणीय तथ्य है जिसमे अपने लिए संभावना खोजने और काम करने की आवश्यकता है।

प्रधान मंत्री ने सवाल किया कि जिस राष्ट्र के पास इतने विरासत हो, परम्परा हो, क्या खिलौनों के बाजार में उसकी हिस्सेदारी इतनी कम होनी चाहिए ? उन्होंने याद दिलाई की हमारे देश में Local खिलौनों की बहुत समृद्ध परंपरा रही है। उनके अनुसार कई प्रतिभाशाली और कुशल कारीगर हैं, जो अच्छे खिलौने बनाने में महारत रखते हैं। भारत के कुछ क्षेत्र Toy Clusters यानी खिलौनों के केन्द्र के रूप में भी विकसित हो रहे हैं।

उन्होंने कहा कि खिलौने जहां activity को बढ़ाने वाले होते हैं, तो खिलौने हमारी आकांक्षाओं को भी उड़ान देते हैं। खिलौने केवल मन ही नहीं बहलाते, खिलौने मन बनाते भी हैं और मकसद गढ़ने वाले भी होते हैं। उनका कहना था कि खिलौनों के साथ हम दो चीजें कर सकते हैं – अपने गौरवशाली अतीत को अपने जीवन में फिर से उतार सकते हैं और अपने स्वर्णिम भविष्य को भी संवार सकते हैं।

पीएम मोदी ने कहा कि भारतीयों के innovation और solution देने की क्षमता का लोहा हर कोई मानता है और जब समर्पण भाव हो, संवेदना हो तो ये शक्ति असीम बन जाती है।

उन्होंने आज खास तौर से उन कुत्ते की चर्चा की जो देश की सुरक्षा में अपने जान की बाजी लगाते हैं। इस संदर्भ में उनका कहना था कि सुरक्षा बलों, सेना और पुलिस बलों द्वारा अक्सर विदेशी कुत्ते ही रखने की परम्परा है लेकिन इस मामले में आत्मनिर्भर होने की जरूरत है। इस दिशा में सुरक्षा बलों ने काम करना शुरू कर दिया है और अब देशी नस्ल के कुत्ते ही शामिल किये जाने लगे हैं क्योंकि इनके लालन पालन व रख रखाव में अपेक्षाकृत काफी कम खर्च होता है और काम भी शानदार करते हैं।।इसलिए उन्होंने देशवासियों को अब स्वदेशी नस्ल वाले कुत्ते ही पालने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि इस मामले पर देश में रिसर्च भी शुरू हो गया है।

आने वाले माह में आयोजित होने वाले पर्व त्योहार की चर्चा करते हुए प्रधान मंत्री ने कहा कि हम बहुत बारीकी से अगर देखेंगे, तो एक बात अवश्य हमारे सामने आएगी- हमारे पर्व और पर्यावरण। इन दोनों के बीच एक बहुत गहरा नाता है। साथ ही मौसमी खान पान भी हमारे देश की विशेषता है।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां के बच्चे, हमारे विद्यार्थी, अपनी पूरी क्षमता दिखा पाएं, अपना सामर्थ्य दिखा पाएं, इसमें बहुत बड़ी भूमिका nutrition की भी होती है। पूरे देश में सितम्बर माह को पोषण माह के रूप में मनाया जाएगा।  Nutrition के इस आंदोलन में people participation भी बहुत जरुरी है। उनका कहना था कि जन-भागीदारी ही इसको सफल करती है। पिछले कुछ वर्षों में इस दिशा में, देश में काफी प्रयास किए गए हैं।

भारत  एक विशाल देश है, खान-पान में ढेर सारी विविधता है। इसीलिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हर क्षेत्र के मौसम, वहां के स्थानीय भोजन और वहां पैदा होने वाले अन्न, फल और सब्जियों के अनुसार एक पोषक, nutrient rich, diet plan बने। उन्होंने कहा कि प्रत्येक जिले में पैदा होने वाले खास अनाज, फल व सब्जियों की सूची तैयार की जा रही है।

उन्होंने कोरोना संक्रमण के प्रति सदैव सजग रहने की नसीहत देते हुए कहा कि बिहार के पश्चिमी चंपारण में सदियों से थारू आदिवासी समाज के लोग 60 घंटे के लॉकडाउन, उनके शब्दों में ‘60 घंटे के बरना’ का पालन करते हैं। प्रकृति की रक्षा के लिए बरना को थारू समाज के लोगों ने अपनी परंपरा का हिस्सा बना लिया है और ये सदियों से है।

उन्होंने ऋगवेद में एक मंत्र को उधृत करते हुए कहा कि – अन्नानां पतये नमः, क्षेत्राणाम पतये नमः
अर्थात अन्नदाता को नमन है। किसान को नमन है। किसानों ने कोरोना जैसे कठिन समय में अपनी ताकत को साबित किया है। हमारे देश में इस बार खरीफ की फसल की बुआई पिछले साल के मुकाबले 7 प्रतिशत ज्यादा हुई है।

मन की बात की वीडियो देखें :

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