नई दिल्ली। केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डी.बी.सदानंद गौड़ा ने कहा कि फार्मास्यूटिकल विभाग ने फार्मा क्षेत्र में घरेलू क्षमता के विकास के लिए उचित माहौल बनाने के लिए कई उपाय किए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अभी हाल में कहा है कि भारत का फार्मा उद्योग न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक संपत्ति है। इस उद्योग ने विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए दवाइयों की कीमत घटाने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
सीआईआई के 12वें मेडटेक ग्लोबल समिट के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए श्री गौड़ा ने कहा कि भारत की दवा सुरक्षा को मजबूत बनाने के लिए सरकार फार्मा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह समिट मेडटेक मार्ग की आत्मनिर्भर भारत तक रूपरेखा तैयार करता है। सरकार ने देश में तीन बड़े ड्रग पार्कों और चार चिकित्सा उपकरण पार्कों के विकास के लिए योजनाएं शुरू की हैं। इन पार्कों में आम बुनियादी ढांचा सुविधाओं के विकास के लिए केंद्रीय सहायता बढ़ाने के अलावा केंद्र सरकार इन पार्कों में बल्क ड्रग्स और चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) भी प्रदान करेगी।
श्री गौड़ा ने कहा कि सरकार वित्त वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक के पांच वर्षों के दौरान कुल 3420 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ पांच प्रतिशत की दर से बढ़ी हुई बिक्री पर प्रोत्साहन उपलब्ध कराएगी। फार्मास्यूटिकल विभाग ने 27 जुलाई,2020 को इस योजना के लिए इकाइयों के चयन हेतु पहले ही आकलन मानदंड जारी कर दिया है। आवेदन करने के लिए 120 दिन की समयावधि दी गई है। उन्होंने कहा कि यही समय है कि कंपनियां इस योजना का लाभ उठा सकती हैं। उत्पादन को प्रोत्साहन देने और सामान्य बुनियादी ढांचा सृजन की दो तरफा रणनीति उत्पादन की उच्च लागत की भरपाई करेगी। इससे घरेलू कंपनियां अपनी विदेशों में साथी कंपनियों की तरह प्रतिस्पर्धी बनेंगी और समानता उपलब्ध कराएंगी। दो-तीन वर्ष की अवधि में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार की सही नीतियों के कारण फार्मा क्षेत्र न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करने के रूप में बल्कि उच्च गुणवत्ता की दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों की कम दाम पर वैश्विक मांग को पूरा करने में भी आत्मनिर्भर बन जाएगा।
श्री गौड़ा ने बताया कि बल्क ड्रग और चिकित्सा उपकरण पार्कों की योजनाओं से लगभग 77,900 करोड़ रुपये का संचयी निवेश आकर्षित होने और लगभग 2,55,000 रोजगार जुटाए जाने की उम्मीद हैं। अकेले चिकित्सा उपकरण क्षेत्र के लिए ही 40,000 करोड़ रुपये का निवेश और 1,40,000 नये रोजगार अवसर जुटाए जा सकते हैं।