पलवल, 8 अगस्त। पलवल जिला प्रशासन ने एक कलम से जिला के 18 गांवों के शहीदों के नाम पर उनके गांव के राजकीय विद्यालयों का नामकरण करके नई पहल की है। प्रशासन की इस पहल से जहां एक ओर शहीदों को सम्मान मिला है वहीं दूसरी ओर इन स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थी भी शहीदों के जीवन से प्रेरणा लेकर सेना में भर्ती होने के लिए प्रेरित होंगे।
यह मामला पलवल के उपायुक्त नरेश नरवाल के संज्ञान में उस समय आया जब शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट आशीष तंवर के आश्रितों को राज्य सरकार की तरफ से दी जाने वाली 50 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने में देरी हुई। जिला पलवल के गांव डिगोत के फ्लाइट लेफ्टिनेंट आशीष तंवर पिछले वर्ष जून में अरुणाचल प्रदेश में शहीद हो गए थे। मामला संज्ञान में आते ही उपायुक्त श्री नरवाल ने सरकार में उच्च अधिकारियों से बात करके शहीद आशीष तंवर के आश्रितों को तत्परता से अनुग्रह राशि दिलवाई।
इसके बाद जो हुआ, वह एक दिलचस्प किस्सा है जिसने उपायुक्त को जिला के 18 राजकीय विद्यालयों का नामकरण उन गांवों के शहीदों के नाम पर करने के लिए प्रेरित किया। हुआ यूं कि शहीद आशीष तंवर का मामला संज्ञान में आने के बाद उपायुक्त श्री नरवाल ने जिला सैनिक बोर्ड के सचिव से पूरे जिला पलवल के सभी शहीदों की सूची मांग ली। उससे पता चला कि जिला के 39 शूरवीर देश सेवा में अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे चुके हैं।
उपायुक्त ने सचिव के साथ शहीदों के आश्रितों के कल्याण को लेकर विस्तार से चर्चा की, जिस दौरान पता चला कि 39 में से 18 स्कूलों का नाम अभी तक बदला नहीं गया है जबकि इस बारे में सरकार की हिदायतें वर्ष 2013 में ही आ चुकी थी, जिसमें उपायुक्त को सरकारी अथवा एडिट शिक्षण संस्थान का नामकरण शहीद के नाम पर करने के लिए अधिकृत किया गया था। इसके लिए ग्राम पंचायत अथवा नगर पालिका या परिषद से प्रस्ताव लेना होता है कि उनके क्षेत्र में स्थित राजकीय अथवा एडिड शैक्षणिक संस्थान का नामकरण शहीद के नाम पर कर दिया जाए। तदनुसार उपायुक्त श्री नरवाल ने सभी ग्राम पंचायतों से इस बारे में प्रस्ताव देने का आग्रह किया और प्रस्ताव मिलते ही उन्होंने एक कलम से जिला के सभी 18 राजकीय विद्यालयों का नामकरण शहीदों के नाम पर करने की हिदायत जिला शिक्षा अधिकारी तथा जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को दी।
उपायुक्त नरेश नरवाल का कहना है कि यह उनके लिए बड़ी संतुष्टि का विषय है कि शहीदों के नाम पर उनके गांव के राजकीय विद्यालयों का नाम रखा गया है। इन शहीदों में 1962 भारत-चीन युद्ध से लेकर 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध, ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन पवन, करगिल संघर्ष, ऑपरेशन रक्षक तथा अन्य उग्रवाद विरोधी ऑपरेशंस के शहीद शामिल हैं।
श्री नरवाल ने बताया कि जिला प्रशासन ने अब 15 अगस्त से पहले इन सभी शहीदों के प्रत्येक के गांव में जाकर उनके परिजनों को सम्मानित करने का निर्णय लिया है। प्रत्येक विद्यालय में पौधारोपण करने की योजना तैयार की गई है। इस कड़ी में नरेश अग्रवाल ने 7 अगस्त को पलवल जिला के गांव दिगोत, मित्रोल, फुलवड़ी और बहरोला का दौरा कर वहां के शहीदों के परिजनों को सम्मानित किया और स्कूलों में छायादार तथा फलों के पौधे लगाए। प्रशासन की पहल से शहीदों के परिजनो ने गौरवान्वित महसूस किया तथा वे अपने परिवार के शहीद को याद कर भावुक भी हो गए। गांव बहरोला के शहीद सिपाही लायक राम की वीरांगना श्रीमती विद्यावती ने स्मरण करते हुए बताया कि 1962 में जिस दिन उनका विवाह लायक राम से हुआ, उससे अगले दिन ही उसे बॉर्डर पर बुला लिया गया और वहां पर वह मातृभूमि के लिए शहीद हो गया। विद्यावती अब 74 वर्ष की हैं और लायक राम की शहादत के बाद उन्होंने विवाह नहीं करने का निर्णय लिया। वे अपने शहीद पति को याद करते हुए तब से गांव में ही रह रही हैं। उपायुक्त श्री नरवाल जिन शहीदों के गांव में गए उनके परिजनों ने भी स्कूल में पौधारोपण अभियान में भाग लिया। इस दौरान उपायुक्त ने ग्रामीणों की समस्याएं भी सुनी और मौके पर ही उनके निवारण के आदेश संबंधित अधिकारियों को दिए।
उपायुक्त नरेश अग्रवाल ने जिला शिक्षा अधिकारी तथा जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को भी यह निर्देश दिए हैं कि वे हर वर्ष शहीदों की याद में, उनके जन्मदिन या शहीदी दिवस पर, बच्चों के पेंटिंग अथवा निबंध लेखन या भाषण प्रतियोगिता का आयोजन करवाएं ताकि उन स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अपने गांव के वीर रणबांकुरों की बहादुरी से प्रेरणा ले सकें।
पलवल जिला प्रशासन ने सभी शहीदों के गांवों के स्कूलों में उन शहीदों की प्रतिमाएं लगवाने का भी निर्णय लिया है। यह कार्य पंचायत या स्थानीय ग्राम समिति के माध्यम से किया जाएगा ताकि शहीदों का बलिदान उनके गांव के लोगो को याद रहे। यही नहीं, उपायुक्त श्री नरवाल ने जिला सैनिक बोर्ड के सचिव को निर्देश दिए हैं कि वह पलवल में एक शहीद गैलरी बनाने की संभावनाओं का पता लगाए, जहां पर शहीदों के जीवन और उनके बलिदान से जुड़े तथ्य और प्रसंग पब्लिक डोमेन में प्रदर्शित किए जाएं जिससे कि लोग विशेषकर युवा वर्ग प्रोत्साहित होता रहे।