एफ़ आई आई हरियाणा चैप्टर के प्रधान हरभजन सिंह ने उद्योग में 75% आरक्षण का किया विरोध

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सरदार हरभजन सिंह
प्रदेश अध्यक्ष

नई दिल्ली :  फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री हरियाणा चैप्टर के प्रधान हरभजन सिंह ने हरियाणा सरकार द्वारा आज कैबिनेट की मीटिंग में  लिए उस फैसले का विरोध किया जिसमें हरियाणा प्रदेश में सभी औद्योगिक इकाइयों में 75% हरियाणा वासियों को ही नौकरी पर रखना अनिवार्य करने का निर्णय लिया गया है. श्री सिंह का कहना है कि इस तरह के फैसले उद्योगों को पतन की ओर ले जाएंगे. इससे हरियाणा की इंडस्ट्री में डर का माहौल पैदा होगा.

उल्लेखनीय है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में आज हुई हरियाणा केबिनेट की बैठक में हरियाणा के उद्योगों में 75 प्रतिशत नौकरियां स्थानीय युवाओं के लिए आरक्षित करने के प्रस्ताव को सैद्धांतिक मजूरी दी है. इसको लेकर उद्योग जगत में तीखी प्रतिक्रिया हुई है.

प्रदेश सरकार के इस निर्णय पर सरदार हरभजन सिंह ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा इंडस्ट्री पहले ही वैश्विक मंदी और कोरोना लॉक डाउन से उत्पन्न विषम परिस्थिति के कारण बड़े बुरे दौर से गुजर रही है. अब इस तरह के फैसले प्रदेश और उद्योग जगत के हित में नहीं होंगे. उन्होंने आशंका व्यक्त की कि इससे हरियाणा से उद्योग पलायन कर जाएंगे.

फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री हरियाणा चैप्टर के प्रधान ने जोर देते हुए कहा कि इस समय उद्योगों को पुनर्जीवित करने के लिए सरकार के सहयोग की आवश्यकता है ना कि इस तरह के फैसले थोप कर उद्योगों में डर का माहौल पैदा किया जाए. इससे उद्योग जगत की उत्पादकता को बनाये रखने के लिए दक्ष प्रोफेशनल्स और वर्क फ़ोर्स के चयन की स्वतंत्रता बेहद आवश्यक है. उन्होंने कहा कि उद्योग जगत रोजगार सृजन व आर्थिक उत्थान के लिए हमेशा सरकार के साथ कदम से कदम मिला कर चलने को तैयार है लेकिन इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट के लिए सबसे आवश्यक है प्रशिक्षित कर्मी जिसमें हरियाणा सरकार को उद्योग की आवश्यकता के अनुरूप प्रशिक्षण देने की व्यवस्था करनी होगी.

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दीपक मैनी
प्रदेश महासचिव

फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री हरियाणा चैप्टर के महासचिव दीपक मैनी ने प्रदेश सरकार के इस फैसले को अव्यवाहारिक करार दिया है. उन्होंने तर्क दिया कि एक तरफ तो भारत सरकार एक देश एक कानून को प्राथमिकता दे रही है. जम्मू कश्मीर में पूरे भारत वासियों को नागरिकता देने पर काम किया जा रहा है. श्री मैनी ने कहा कि हरियाणा सरकार द्वारा लिए गए इस तरह के फैसले उद्योगों के हित में नहीं है.

उन्होंने बताया उद्योगों में आरक्षण से किसी का भला नहीं होने वाला. इससे अच्छा है कि हरियाणा के युवाओं को को उद्योग की जरूरतों के अनुसार आधुनिक ट्रेनिंग दी जाए ताकि हरियाणा ही नहीं बाकी प्रदेशों की इंडस्ट्री भी हरियाणा के लोगों को रोजगार देने के लिए अपने यहां बुलाए. उन्होंने मांग की कि हरियाणा के लोगों को इतना सक्षम बनाया जाए की उद्योग उन्हें खुद ब खुद अपने यहां काम करने के लिए आमंत्रित करें. निजी क्षेत्र में काम की गुणवत्ता से समझौता करने के मतलब है अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में पिछड़ना. इसलिए सरकार इस फैसले पर पुनर्विचार करे और गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण की व्यवस्था कर हरियाणा के युवाओं को राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर का प्रोफेशनल्स बनाये.

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