रांची। झारखंड की हेमंत सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गई 41 कोयला ब्लॉकों की वर्चुअल नीलामी के खिलाफ बड़ी लड़ाई का ऐलान कर दिया है. हेमंत सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच गयी है. सरकार ने इस नीलामी पर रोक लगाने की मांग की है. केंद्र सरकार की इस नीलामी में शामिल 41 कोल ब्लॉक में से झारखंड में ही अकेले 22 खदाने है. जिनपर इस फैसले से बड़ा असर होगा.
हेमंत सरकार का मानना है की कोयला खदानों के व्यावसायिक खनन से आदिवासियों की जिंदगी बड़े पैमाने पर प्रभावित होगी. झारखंड सरकार ने कहा है कि कोयला खनन का झारखंड की बड़ी आबादी और वन भूमि पर सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव के निष्पक्ष मूल्यांकन की आवश्यकता है. राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र की नीलामी के इस फैसले से इन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की संभावना है.
आधे से ज्यादा कोयला खदाने झारखंड की है :
केंद्र की मोदी सरकार ने 18 जून को कोयला ब्लॉकों की ऑनलाइन नीलामी की प्रक्रिया शुरू की थी. जिन 41 कोयला खदानों की नीलामी होनी है उनमे से 22 झारखंड में स्थित है, यानी आधे से ज्यादा. इस नीलामी प्रक्रिया में देश के साथ विदेशी कंपनियां भी भाग ले सकेंगी.
कोयला ब्लॉक खरीदने के लिए सरकार ने 100 फीसदी विदेशी निवेश की छूट दे दी है. जाहिर है इस नीलामी से पहले झारखंड में इससे पड़ने वाले पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव के आंकलन करना बेहद जरूरी है. ऐसे में केंद्र सरकार के इस फैसले से आने वाले समय में झारखंड को बड़ा नुकसान हो सकता है.
इसके अलावा विदेशी कंपनियों द्वारा झारखंड में कोयला खदान लेने से विस्थापन और कोयला क्षेत्र में बड़ी कंपनियों के एकाधिकार जैसे विषयो को भी नजरअंदाज किया गया है. इस फैसले पर पुनर्विचार की जरूरत है.