गुरुग्राम : गुरुग्राम में कोरोना संक्रमित 67 व्यक्ति लापता हो गए, इस बात की चर्चा जोरों पर है. इसकी जानकारी न तो जिला प्रशासन के पास है और न हीं स्वास्थ्य विभाग के पास. इस अति संगीन मामले पर जिला प्रशासन मौन है जबकि इसका खुलासा होने के बाद ही सीएमओ के पद से डॉक्टर जे एस पुनिया को गुरुग्राम से हटा दिया गया. आशंका इस बात की प्रबल है कि गायब हुए 67 कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति शहर में खुलेआम घूम रहे हैं और संक्रमण को बढ़ावा दे रहे हैं. अभी तक जिला प्रशासन ने इस मामले की जवाबदेही तय नहीं की है कि आखिर यह किसकी लापरवाही से हुआ. संकेत है कि उन सभी लोगों की खोज के लिए कमेटी बनाई गई है लेकिन उक्त कमेटी में कौन-कौन अधिकारी शामिल हैं यह भी जिला प्रशासन बताने की स्थिति में नहीं है. इस मामले पर अब तक ना तो जिला उपायुक्त अमित खत्री और ना ही डिविजनल कमिश्नर अशोक सांगवान ने स्थिति स्पष्ट की है.
हरियाणा का सबसे प्रमुख और देश के भी प्रमुख औद्योगिक शहरों में से एक गुरुग्राम को किसी की नजर लग गई है. हालांकि कोविड-19 वायरस संक्रमण के खतरे से पूरा देश परेशान है लेकिन गुरुग्राम कोरोना संक्रमण और प्रशासनिक खामी दोनों प्रकार के रोग से परेशान है. देशव्यापी लॉकडाउन के प्रथम चरण के दौरान प्रदेश सरकार की नजर में अपनी तथाकथित सक्रियता दिखा कर खुद की पीठ थपथपाने वाले जिले के प्रशासनिक अधिकारियों की गैर जिम्मेदारियों की एक एक पडतें खुलने लगी हैं.
पहले कंटेनमेंट जोन को लेकर बरती गई लापरवाही का परिणाम यह रहा कि शहर में संक्रमण पिछले 1 माह से भी अधिक समय से बेतहाशा बढ़ने लगा. प्रतिदिन औसतन 100 से 150 से संक्रमित नए मरीज सामने आने लगे. इनकी स्वास्थ्य सुरक्षा की बद इंतजामी भी सामने आई. और अब पिछले 1 सप्ताह से शहर में कोविड-19 वायरस संक्रमित 67 व्यक्तियों के लापता होने की खबर ने शहर के लोगों को परेशान कर रख दिया है. जिला प्रशासन मौन है. स्वास्थ्य विभाग में नए सीएमओ डॉ वीरेंद्र यादव के पदभार ग्रहण करने के बाद स्थिति में परिवर्तन देखने को मिलने लगे हैं लेकिन अभी तक गायब हुए लोगों का पता नहीं चल पाया है.
उल्लेखनीय है कि गत 10 जून को डिविजनल कमिश्नर अशोक सांगवान की अध्यक्षता में जिले के उन सभी अधिकारियों की बैठक हुई थी जो कोविड-19 वायरस संक्रमण की रोकथाम में आरंभ से ही तैनात किए गए हैं. बैठक में नगर निगम की एडिशनल कमिश्नर जसप्रीत कौर भी शामिल हुई थी. चर्चा यह है बैठक में जसप्रीत कौर की ओर से 67 पॉजिटिव लोगों के गत 9 जून से ही गायब होने की सूचना दी गई. उन्होंने बताया कि 9 जून को कोरोना संक्रमित 300 पॉजिटिव मरीजों की रिपोर्ट सामने आई थी जिनमें से 67 लोगों का पता नहीं चल पा रहा है.
बताया जाता है कि इस सूचना से डिविजनल कमिश्नर श्री सांगवान सहित सभी अधिकारी हैरान थे. श्री सांगवान ने इस अति संवेदनशील मामले पर सख्त नाराजगी व्यक्त की थी और स्वास्थ्य विभाग के काम करने के तौर-तरीके को लेकर तल्ख लहजे में उन्होंने सवाल जवाब किया था. खबर यह है कि मामला प्रकाश में आने के बाद डिविजनल कमिश्नर ने पुलिस को उन संक्रमित 67 मरीजों की खोज करने को कहा और संभवतय इसकी मॉनिटरिंग की दृष्टि से एक कमेटी का भी गठन किया. हालांकि उक्त कमेटी में कौन-कौन अधिकारी हैं उसको लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है लेकिन मरीजों के गायब होने की सूचना तो गुरुग्राम के प्रशासनिक हलकों में लगातार तैर रही है.
इस घोर लापरवाही से यह बात स्पष्ट हो चुकी है की इस मामले में केवल स्वास्थ्य विभाग ही नहीं बल्कि प्रशासन के अधिकारी भी पूरी तरह से जिम्मेदार हैं जिन्हें पॉजिटिव मरीज मिलने वाले इलाके की मॉनिटरिंग के लिए नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी दी गई थी. दूसरी तरफ इससे यह भी स्पष्ट हो रहा है कि उक्त मरीजों की सैंपल लेने से पहले आईसीएमआर एवं केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय की गाइड लाइन के अनुसार आवश्यक जानकारी व आधार कार्ड या फिर अन्य पहचान पत्र की तस्दीक करने या उसके संपर्क सूत्र व पता की पूरी जानकारी लेने में भी गंभीर खामियां बरती गई.
दूसरी तरफ अब इस गंभीर घटना से प्रशासन पर कई सवाल खड़े हो गए हैं . क्या उन सभी 67 संक्रमित व्यक्तियों ने जानबूझकर अपने बारे में गलत सूचना दी ? क्या उन सभी लोगों को इस बात की जानकारी है कि वह कोविड-19 वायरस से संक्रमित हैं ? क्या उन मरीजों के मोबाइल में आरोग्य सेतु एप डाउनलोड किया गया था ? अगर हां तो फिर उनकी ट्रेसिंग अब तक क्यों नहीं हो पाई ? क्या स्वास्थ्य विभाग की ओर से अधिकृत डॉक्टर या स्वास्थ्य कर्मियों ने उनके मोबाइल को आरोग्य सेतु की दृष्टि से जांच की थी या नहीं ? अगर जांच नहीं की थी तो इस लापरवाही के लिए अब तक प्रशासन की ओर से क्या कार्यवाही की गई है ? यदि वह सभी व्यक्ति गुरुग्राम में ही रहकर बिना किसी सावधानी के बरते स्वतंत्र रूप से आवाजाही कर रहे हैं तो उनसे अब तक शहर में कितने लोगों को वायरस संक्रमण की सौगात मिली होगी ?
जिले के लोग इस खबर से हतप्रभ है और जानना भी चाहते हैं कि आखिर किस स्तर पर इस प्रकार की संवेदनहीनता बरती गई. क्योंकि व्यवस्था के अनुसार जांच से पहले ही संक्रमण की आशंका वाले व्यक्ति से पहचान पत्र लेना आवश्यक है जबकि प्राइवेट लैब में जांच कराने के लिए मरीज के मोबाइल पर ओटीपी को वेरीफाई करना भी अनिवार्य है.
अब स्वास्थ्य विभाग की ओर से यह तो मान लिया गया है कि गुरुग्राम में 67 पॉजिटिव मरीज गायब हैं लेकिन उसकी खोज में कितनी कामयाबी मिली है यह सवाल मुंह बाए खड़ा है.