नई दिल्ली। केन्द्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास (डोनर), प्रधानमंत्री कार्यालय, जन शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने आज कहा कि निजी क्षेत्र को अपनी क्षमता में सुधार के लिए इसरो की सुविधाओं और अन्य सम्बद्ध सम्पत्तियों का उपयोग करने की इजाजत दी जाएगी।
मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के पहले वर्ष के दौरान अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों की जानकारी देते हुए, डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि मोदी सरकार का आत्मनिर्भर भारत का रोडमैप अपने पर भरोसा रखने वाले भारत की दिशा में है, जिसमें अंतरिक्ष गतिविधयों में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने की कल्पना की गई है जैसा कि वित्त मंत्री ने जानकारी दी थी। भारतीय निजी क्षेत्र, भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र की यात्रा में सह मुसाफिर है।
उपग्रहों, प्रक्षेपणों और अंतरिक्ष आधारित सेवाओं में निजी कंपनियों को बराबर मौका दिया जाना है। निजी क्षेत्र के लिए ग्रहों की खोज और बाहरी अंतरिक्ष यात्रा की भविष्य की परियोजनाएं, खोली जाएंगी।
इसरो द्वारा आरंभ किए गए भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन ‘गगनयान’ के बारे में नवीनतम जानकारी देते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अंतरिक्ष यात्रियों का चयन पूरा हो चुका है और रूस में उनका प्रशिक्षण भी शुरू हो गया है, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इसमें बाधा आई है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना का आगे का कार्य जल्द ही शुरू होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से प्रेरित होकर, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि जो वर्ष अलविदा कह चुका है, इसरो ने युवा स्कूली बच्चों के लिए एक विशेष कार्यक्रम ‘यंग साइंटिस्ट प्रोग्राम– युविका’ शुरू किया। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम का उद्देश्य मुख्य रूप से अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और युवा पीढ़ियों को इसके अनुप्रयोगों पर बुनियादी ज्ञान प्रदान करना है।
कोरोना महामारी के दौरान भी, इसरो के वैज्ञानिक आवश्यक चिकित्सा उपकरण, सुरक्षात्मक किट और अन्य उपकरण प्रदान करने के सर्वोत्तम तरीकों की खोज में लगे हुए हैं।