मुजफ्फरपुर : मुजफ्फरपुर स्थित श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसकेएमसीएच) में लावारिस लाशों का मांस नोचकर हड्डियों का सौदा करने का मामला उजागर हुआ है। इसके लिए स्वास्थ्य मंत्री व स्वास्थ्य सचिव सहित 11 लोगों को जिम्मेदार बताते हुए मुजफ्फरपुर के भाजपा नेता चंद्रकिशोर ने मुकदमा दायर किया है। मुजफ्फरपुर के सीजेएम कोर्ट में इसपर कल सुनवाई होगी।
इस बीच तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त अतुल प्रसाद ने एसकेएमसीएच के प्राचार्य विकास कुमार से पूरे मामले में रिपोर्ट मांगी है। आयुक्त एसकेएमसीएच की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष भी हैं। प्राचार्य ने एफएमटी और एनाटॉमी विभागाध्यक्षों को जांच सौंपी है।
सफाइकर्मी बेंचते कंकाल
बताया जाता है कि मुजफ्फरपुर सहित बिहार के विभिन्न मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के सफाईकर्मी अंतिम संस्कार के लिए रखी लावारिश लाशों से कंकाल निकालकर बेचते हैं। कहने को तो लाशों की अंत्येष्टि के लिए कमेटी है, पर ये लाशें मॉर्चरी से सफाईकर्मियों के हाथ में, फिर वहां से कंकाल में तब्दील होकर मेडिकल स्टूडेंट्स के पास पहुंच रही हैं।
मेडिकल की पढ़ाई में होता उपयोग
विदित हो कि एमबीबीएस के फर्स्ट ईयर में एनाटॉमी के दो पेपर होते हैं। इनमें मानव शरीर के विभिन्न पार्ट्स के बारे में बताया जाता है। इसमें स्केल्टन सिस्टम की भी पढ़ाई होती है। इसके लिए स्टूडेंट्स बाजार से बोन खरीदते हैं। आर्टिफिशियल बोन भी बाजार में उपलब्ध हैं।
लाशों से ऐसे बनाते नरकंकाल
बताया जाता है कि सफाइकर्मी लावारिस लाशों से मांस नोंचकर हटा देते हैं। फिर, उसे तेजाब सके साफ करने के बाद हड्डियों को उबालते हैं। इसके बाद उपयोग लायक नरकंकाल बनता है। सूत्रों की मानें तो सफाइकर्मी एक कंकाल के लिए करीब 10 हजार रुपए लेते हैं, जिसमें उपर से नीचे तक सबों का कमीशन फिक्स रहता है।
प्राचार्य ने किया जानकारी से इंकार
एसकेएमसीएच के प्राचार्य डॉ. प्रो. विकास कुमार ने ऐसी किसी जानकारी से इंकार किया। उन्होंने कहा कि संस्थान में नरकंकाल की खरद-बिक्री नहीं होती। फिर भी वे जांच कराई जा रही है। तिरहुत प्रमंडल के आयुक्त अतुल प्रसाद ने भी मामले की जांच के बाद कार्रवाई का आश्वासन दिया।