मानेसर में अलियर गांव के दबंगों का प्रवासी मजदूरों पर दिनदहाड़े जानलेवा हमला, डंडे व सरिए से मचाया तांडव, एक का सिर फटा, कई घायल, पारस में भर्ती, पुलिस की कार्यशैली आशंका के घेरे में !

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सुभाष चंद्र चौधरी

गुरुग्राम। गुरुग्राम के औद्योगिक क्षेत्र आईएमटी मानेसर में मारुति सहित कई बड़ी कंपनियों में काम करने वाले एवं आईटीआई का प्रशिक्षण लेने वाले बिहार और यूपी के युवा श्रमिकों पर अलवर गांव के दबंगों ने लाठी सरिया से जमकर हमला बोला। इस हमले में एक व्यक्ति का सिर फटा है जबकि कई अन्य को हाथ, पैर और छाती में चोट पहुंची है। अलीगढ़ गांव से आए 40 से 50 लोगों के समूहों ने अचानक धावा बोलकर आईएमटी मानेसर के एक बिल्डिंग में जबरन घुस कर दिनदहाड़े तांडव मचाया। अपने गृह राज्य से लगभग पंद्रह सौ किलोमीटर दूर रहकर हरियाणा में काम कर रहे इन श्रमिकों की जान खतरे में है और इस अमानवीय एवं विभत्स घटना से सभी भयभीत हैं । पुलिस ने बेहद देरी से घटना के तूल पकड़ने के भय से काफी आनाकानी के बाद मामला दर्ज किया और वह भी बेहद हल्की धाराओं में जबकि घटना में एक  व्यक्ति पर लोहे के रॉड से जानलेवा हमला किया गया।

मानेसर में अलियर गांव के दबंगों का प्रवासी मजदूरों पर दिनदहाड़े जानलेवा हमला, डंडे व सरिए से मचाया तांडव, एक का सिर फटा, कई घायल, पारस में भर्ती, पुलिस की कार्यशैली आशंका के घेरे में ! 2

बताया जाता है कि दिन के लगभग 11:30 बजे के आसपास हुई इस घटना में गंभीर रूप से घायल मारुति कम्पनी मानेसर में ट्रेनिंग करने आये कृष्ण कुमार पुत्र सुरेश प्रसाद, स्थायी निवासी नौसन थान , जिला सिवान, बिहार का रहने वाला है। उसे घायल अवस्था में उनके साथियों ने स्थानीय रॉकलैंड अस्पताल पहुंचाया जहाँ से उसकी गंभीर हालत को देखते हुए गुरुग्राम के पारस अस्पताल रेफर कर दिया गया। सरिए से उसके सिर पर अलियर गांव के दबंगों ने इस कदर बेरहमी से हमला बोला है कि उसके सिर पर एक दर्जन से अधिक टांके लगे हैं और उसकी हालत गंभीर बनी हुई है। पांच अन्य श्रमिकों व प्रशिक्षु श्रमिकों को इलाज के बाद घर भेज दिया गया।

मानेसर में अलियर गांव के दबंगों का प्रवासी मजदूरों पर दिनदहाड़े जानलेवा हमला, डंडे व सरिए से मचाया तांडव, एक का सिर फटा, कई घायल, पारस में भर्ती, पुलिस की कार्यशैली आशंका के घेरे में ! 3


आश्चर्यजनक बात यह है कि बकौल चश्मदीद, अलियर गांव के दबंगो की इस काली करतूत की सूचना जब आईएमटी मानेसर पुलिस थाने को दी गयी तो पुलिस घटना स्थल पर लगभग दो से ढाई घंटे बाद पहुंची। इससे यह समझना आसान है कि जब प्रदेश में एपिडेमिक कानून, डिजास्टर मैनेजमेंट कानून, धारा 144 सहित कई अन्य सख्त प्रावधान लागू है तब गुरुग्राम जिला के आई एम टी थाने की पुलिस कितनी सक्रिय और संवेदनशील है। एक तरफ प्रदेश के सीएम से लेकर जिला उपायुक्त तक और सभी जिले के नोडल अधिकारी इस बात की कोशिश में लगे हैं कि प्रदेश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले प्रवासी मजदूरों  को किसी भी प्रकार की कठिनाई का सामना नहीं करना पड़े। देश के सुप्रीम कोर्ट ने प्रवासी मजदूरों की सुरक्षा से लेकर स्वास्थ्य और भोजन व रहने की व्यवस्था का मुक्कमल इंतजाम करने का निर्देश दिया है। केंद्र सरकार की ओर से केबिनेट सचिव राजीव गौवा लगातार प्रदेश के मुख्य सचिवों व डीजीपी से प्रवासी मजदूरों का पूरा ख्याल रखने को कह रहे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर भी राज्यों को लगातर इस संबंध में एडवाइजरी जारी की गई है।

मानेसर में अलियर गांव के दबंगों का प्रवासी मजदूरों पर दिनदहाड़े जानलेवा हमला, डंडे व सरिए से मचाया तांडव, एक का सिर फटा, कई घायल, पारस में भर्ती, पुलिस की कार्यशैली आशंका के घेरे में ! 4


इस आलोक में श्रमिकों की हालत देखने हरियाणा के श्रम मंत्री अनूप धानक मंगलवार 7 अप्रैल को स्वयं गुरुग्राम आये और श्रमिकों से बात की व अधिकारियों को इस संबंध में और सक्रिय होने को कहा। उनके गुरुग्राम दौरे के एक दिन बाद ही आई एम टी मानेसर में बिहार व यूपी के मारुति कंपनी में काम करने वाले मजदूरों पर बेवजह डंडे व सरिए से जानवर की तरह दिनदहाड़े हमला बोलने की यह घटना बेहद चौकाने वाली और चिंता पैदा करने वाली है। इस घटना ने मानेसर के इलाके में रह रहे हजारों श्रमिकों में भय व्याप्त कर दिया है। सभी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि हरियाणा सरकार अगर हमारी सुरक्षा नहीं कर पा रही है तो हमें अपने प्रदेश जाने की अनुमति दे। क्योंकि इस हालत में जब उनका खाना और पानी भी बंद कर दिया गया है वे कैसे रह सकेंगे। इस घटना को अंजाम देकर अलियर गांव के दबंगों ने प्रदेश सरकार व श्रम मंत्री के प्रयासों पर पानी फेरने का काम किया।

मानेसर में अलियर गांव के दबंगों का प्रवासी मजदूरों पर दिनदहाड़े जानलेवा हमला, डंडे व सरिए से मचाया तांडव, एक का सिर फटा, कई घायल, पारस में भर्ती, पुलिस की कार्यशैली आशंका के घेरे में ! 5

हद तो तब हो गई जब आईएमटी थाने ने ऊक्त घटना की एफ आई आर कई घंटे बाद दर्ज की। घायल मजदूरों को न तो पुलिस ने अस्पताल पहुंचाया और न ही किसी प्रकार की मदद दी। पीड़ितों का कहना है कि मामला दर्ज करने में भी पुलिस की ओर से पूरी आनाकानी की गई और जब दर्ज किया गया तो बेहद हल्की धाराओं में।

thepublicworld.com ने जब संबंधित थाने के एसएचओ से इस सम्बंध में बात की तो उनके पास स्पष्ट जवाब नहीं था। वे यह कहते हुए मामले को रफादफा करने के मूड में दिखे की कोई बड़ी घटना नहीं है। उन्होंने   कहा कि ” युवकों में थोड़ी उठापटक हुई है। फिर एक दो जवान लड़के है उन्होंने मार दी, उसकी एफ आई आर दर्ज कर दी है हमने” । जब उनसे यह पूछा गया कि आपने मामले में कितने लोगों को नामजद किया है तो उन्होंने बताया कि कोई नामजद नहीं किया गया है, सीसीटीवी की फुटेज खंगाल कर गिरफ्तारी की जाएगी। जब उनसे यह सवाल किया गया कि श्रमिकों का कहना है कि अलियर गांव के एक नेता और उसके कुनबे इन लोगों पर जबरन अपनी दुकानों से महंगी कीमत पर खाद्य वस्तुएं खरीदने को मजबूर करते हैं और मारुति कंपनी द्वारा श्रमिकों को दिए जाने वाले भोजन भी अलियर गांव के दबंगों में जबरन बंद करवा दिए तो एस एच ओ का कहना था कि ऐसा कुछ नहीं है। मारुति के पास खाना मिलने से सोशल डिस्टेंसिंग का सिस्टम खराब हो रहा था इसलिए भोजन की व्यवस्था तीन जगह बंटवा दी गई। उन्होंने दावा किया कि ऊक्त गांव में जहां यह बिल्डिंग है 24 घंटे लंगर चल रहा है। जब श्रमिकों को लॉक डाउन के दौरान मारुति कंपनी से पेयजल भी रोकने की शिकायत के संबंध में बताया गया तो उन्होंने यह कह कर इसे खारिज करने की कोशिश की कि वह स्थान उससे दूर है। उन्होंने पानी वहीं उपलब्ध करवाने की बात की।


जानलेवा हमला करने में गांव के किसी नेता के परिवार के शामिल होने के सवाल पर उन्होंने इससे इनकार किया और कहा कि सीसीटीवी फुटेज देख कर ही गिरफ्तारी करेंगे। फुटेज से हमलावरों की पहचान कर गिरफ्तार करेंगे।


चश्मदीदों का कहना है कि बुधवार दिन के लगभग 11:30 बजे 40 से 50 लोग अलियर गांव से लाठी डंडे व लोहे के रॉड लेकर आये और अचानक ही श्रमिकों पर धावा बोल दिया। हैवान दबंगों ने दरबाजे खोल खोल कर श्रमिकों को बेवजह पीटना शुरू कर दिया। जो बाथरूम में था उसे वहीं जाकर पीटा तो जो किचन में था उसे वहीं जाकर निशाना बनाया। कमरे में घुस कर डंडे व लाठियां जमकर भांजी। इसी बीच कृष्ण कुमार अपने कमरे से बाहर निकल था उसके सिर और रॉड दे मारी और वह वहीं फर्श पर लहूलुहान होकर गिर पड़ा। आव देखा न ताव हमलावरों ने पूरी बिल्डिंग में अपने तांडव से कोहराम मचा दिया। जब कृष्ण कुमार बेहोश होकर गिर पड़ा तो सभी हमलावर उसकी हालत देख कर यह कहते हुए भाग गए कि अगर एक भी बाहर दिखा तो फिर सबको मार दूंगा।


अफरातफरी में कृष्णकुमार को उसके साथी जिनमें से तीन अन्य लड़कों को भी डंडे से पीटा गया था बाहर आया और उसके सिर पर पट्टी बांध कर रॉकलैंड अस्पताल ले गया जहां से उसे पारस अस्पताल रेफर किया गया। पुलिस इस घटना की जानकारी पाकर भी बेखबर बनी रही और आई तो मामले में त्वरित कार्रवाई की बाजय लीपापोती में लगी रही।

दरअसल इस घटना के पीछे अलियर गाँव का ही एक नेता है जो वहां आसपास किराए पर रहने वाले मजदूरों को अपने गांव की दुकानों से राशन व अन्य जरूरी सामान लेने को मजबूर करता है। जिस बिल्डिंग में यह हमला किया गया उसके श्रमिकों को भी पिछले कई दिनों से अलियर गांव के दबंग उनकी दुकानों से ही सामान नहीं खरीदने पर उनके साथ मारपीट करने की धमकी दे रहे थे। लोग भयभीत थे। यहाँ तक कि सब्जी वाले को शाम छह बजे के बाद आसपास नहीं देने की धमकी देते हैं। पास की एक सब्जी की दुकान भी उन लोगों ने दबाव डाल कर बंद करवा दी। अलियर के लोकल दुकानदार सामान की कीमत भी अनापशनाप मांगते हैं । जिला प्रशासन द्वारा निर्धारित रेट पर कोई भी दुकानदार सामान नहीं बेचता है और लोगों को खरीदने को मजबूर करता है।
ऊक्त बिल्डिंग में रह रहे एक श्रमिक का कहना है कि लॉक डाउन के दौरान भोजन की दिक्कत होने पर मारुति प्रबंधन किनोर से श्रमिकों को पका भोजन देने की व्यवस्था की गई थी जिसे सोशल डिस्टेंसिंग के नाम पर बंद केवल इसलिए करवा दिया गया क्योंकि श्रमिक मजबूर होकर अलियर की दुकानों से ही महंगे सामान खरीदे। इस ओछी मानसिकता के कारण अलियर के दबंगों ने मारुति कंपनी से पेयजल तक लेना बंद करवा दिया क्योंकि ऊक्त गांव में लगे पानी के एटीएम से पानी खरीदने को मजबूर हो।


पानी के एटीएम की कहानी भी चौकाने वाली है। ऊक्त एटीएम से कार्ड रिचार्ज करवा कर कोई भी पानी ले सकता है लेकिन वहां इसका भी अवैध धन्धा चल रहा है। श्रमिकों के कार्ड रिचार्ज नहीं कर उन्हें कैस से ही पानी लेने को वहां के दबंग मजबूर करते हैं। बताया जाता है कि सरकारी रेट के अनुसार 4 रु में 10 लीटर पानी मिलता है लेकिन दबंग उनसे 10 रु कैश वसूलते हैं और केवल कैश से ही पानी लेने की इजाजत देते हैं। इस प्रकार का अमानवीय खेल वहाँ लंबे समय से चल रहा है और लॉक डाउन में काली कमाई करने की मन्शा से ऊक्त गांव के लोगों की प्रवासी श्रमिकों के साथ यह ज्यादती और बढ़ गई।


पूरे घटनक्रम का दुखद पहलू यह है कि इस मामले पर पुलिस निष्क्रिय रही और जानलेवा हमले को साधारण घटना बात कर हमलावरों को बचाने की अनैतिक कोशिश की गई। जाहिर है इससे श्रमिकों में भय व्याप्त होना लाजिमी है।


कहा तो यहाँ तक जाता है कि पीड़ित पक्ष पर ऊक्त गांव के दबंगों ने दबाव डाल कर मामला दर्ज कराने से भी रोका। लेकिन मामला हरियाणा से बाहर बिहार के सीएम कार्यालय तक पहुंचने के कारण पुलिस ने कार्रवाई की औपचारिकता पूरी की लेकिन खबर लिखे जाने तक मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं कि गई। गुरुग्राम पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पुलिस टीम के साथ घटना स्थल का दौरा किया और पीड़ितों से पूछताछ की। पुलिस ने कम से कम चार चश्मदीद श्रमिकों के बयान भी लिए और एस एच ओ के अनुसार आई पी सी की धारा  148, 149, 323, 452 व 506 के तहत मामला दर्ज किया है। श्रमिकों का कहना है कि उन्हें अब भी धमकियां मिल रहीं हैं और देखना यह है कि इस मामले में  पुलिस धनकोट मस्जिद में गोली चलने की घटना जैसी ही त्वरित कार्रवाई करती है या फिर श्रमिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है।

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