चण्डीगढ, 28 फरवरी। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हरियाणा के इतिहास में आज पहली बार बतौर वित्त मंत्री राज्य का वर्ष 2020-2021 के बजट अनुमानों को प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने कहा कि यह बजट शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और स्वावलंबन पर अधिक केन्द्रित होगा। उन्होंने कहा कि आज हरियाणा की वित्तीय प्रबंधन बेहतर हैं तथा हरियाणा की जीडीपी वृद्धि देश के बडे राज्यों में सबसे अधिक है।
मुख्यमंत्री आज यहां विधानसभा में बजट सत्र के दौरान बतौर वित्त मंत्री राज्य के वर्ष 2020-2021 के बजट अनुमानों को प्रस्तुत करने के उपरांत विधानसभा में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे। इस मौके पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजेश खुल्लर, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद, स्वर्ण जयंती हरियाणा राजकोषीय प्रबंधन संस्थान के महानिदेशक विकास गुप्ता और सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के निदेशक पीसी मीणा सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
उन्होंने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि शिक्षा, स्वास्थ्य, सामाजिक सुरक्षा और स्वावलंबन जैसे मुख्य क्षेत्रों में सरकार ने इस वर्ष बजट में काफी वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष शिक्षा में 31.7 प्रतिशत, स्वास्थ्य में 23.17 प्रतिशत, स्वावलंबन अर्थात खेती इत्यादि में 36.7 प्रतिशत और सामाजिक सुरक्षा में 37 प्रतिशत बजट की वृद्धि की गई है।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि कर्ज को कम करने के लिए तीन प्रकार के तरीके हैं, एक टैक्स लगाया जाए, जोकि हमने नहीं लगाया, क्योंकि इससे जनता पर बोझ पडता है। दूसरा है पूंजीगत व्यय में कमी करके, परंतु इससे राज्य के विकास कार्य प्रभावित होते हैं, इसलिए यह भी व्यवहारिक नहीं हैं और तीसरा है उधार लेकर, लेकिन राज्य के विकास के लिए यह जरूरी हैं क्योंकि दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाओं में यह किया जाता है लेकिन यहां पर हमने जीएसडीपी अनुपात के तहत एफआरबीएम एक्ट की 25 प्रतिशत तक कर्ज लेने की सीमा रखी है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कर्ज की अलार्मिंग स्थिति नहीं हैं लेकिन खर्च लगातार बढता जा रहा है जिनमें से कुछ चीजें ऐसी हैं जिन्हें बंद नहीं किया जा सकता है, जैसे कि पेंशन, सामाजिक सुरक्षा संबंधी भत्ते और वेतन इत्यादि। उन्होंने उदाहरण देेते हुए कहा कि ये खर्चें लगातार बढते रहते हैं जैसे कि पेंशन पर वर्ष 2014-15 में 4600 करोड रूपए खर्च होते थे जो अब बढकर 9000 करोड रूपए हो गये हैं। इसी प्रकार, वेतन पर वर्ष 2014-15 में 13900 करोड रूपए खर्च होते थे जो अब बढकर 27000 करोड रूपए हो गया है।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर उन्होंने कहा कि हम वित्तीय मामलों में मुकेदमेबाजी को कम करने पर भी बल दे रहे हैं और यह राज्य के हित में हैं तथा इससे हितधारकों के पास जो बकाया है, उसकी वसूली जल्द हो पाएगी। उन्होंने बताया कि इसके अलावा, सरकार वन टाइम सैटलमेंट स्कीम लाने की योजना भी बना रही हैं ताकि राज्य की वित्तीय स्थिति को मजबूत किया जा सकें।
संवाददाताओं से बातचीत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार पंचायती राज संस्थाओं व शहरी स्थानीय निकायों को स्वायतत्ता देने के लिए कृतसंकल्प हैं और इस दिशा में हमने हाल ही में हर विधानसभा क्षेत्र में 80 करोड रूपये की दर से 7200 करोड रूपए वार्षिक धनराशि उपलब्ध करवाने का प्रावधान रखा है। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत इन संस्थाओं को विकास कार्य करवाने के लिए नियमित तौर पर धनराशि मिलती रहेगी ताकि गांवों पंच-सरपंच, जिला परिषद के सदस्य और शहरों में पार्षद अपने-अपने क्षेत्र के विकास की योजनाएं स्वयं बना सकेंगें और उन्हें स्वायतता मिलेगी।
एक अन्य प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि मैंने बतौर वित्त मंत्री राज्य का बजट प्रस्तुत करने से पहले विभिन्न क्ष़ेत्रों के हितधारकों और सभी दलों के विधायकों से प्री-बजट परामर्श किया और इसके तहत समय के अनुकूल न रहने वाली विभिन्न योजनाओं को बंद करने और आज की जरूरत के अनुसार ही नई योजनाओं को लागू करने की पहल की हैं और इससे कर्मचारियों के सुव्यवस्थीकरण में सहयोग मिलेगा। उन्होंने बताया कि बजट के लिए तीन दिन तक चली प्री बजट चर्चा में लगभग 300 सुझाव आए हैं और जिनमें से 52 विधायकों के सुझावों को बजट में सम्मिलित किया गया है।
उन्होंने कहा कि सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के प्रशिक्षण हेतू एक व्यापक कार्यक्रम चलाया जाएगा और हर नए भर्ती हुए कर्मचारी को समग्र रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा तथा हर कार्यरत कर्मचारी को अगले तीन सालों में उसकी आवश्यकता के अनुसार प्रशिक्षित भी किया जाएगा।
एक सवाल के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि गौसंवर्धन व गौसरंक्षण योजना के तहत उन्हीं गौशालाओं को सरकारी अनुदान दिया जाएगा, जो अपनी गौशालाओं में अपनी क्षमता के अनुसार एक तिहाई बेसहारा गायों को आसरा प्रदान करेंगी।