एनजीटी ने मुख्य सचिव को अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने को कहा
बिना Environmental Clearance (EC) के किया कालोनी का निर्माण
पार्क एवं ग्रीन एरिया के लिए निर्धारित ( 45% एरिया ) जगह भी बेच दी
गुरुग्राम , 14 फरवरी : नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अंसल प्रोपर्टीज के खिलाफ मामले की सुनवाई करते हुए प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव को आदेश दिया है कि इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। एनजीटी ने अपने आदेश में टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग के तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ भी कार्यवाही करने का आदेश दिया है जिन्होंने अंसल को इतने बड़े घोटाले को अंजाम देने में मदद की। एनजीटी ने अपने आदेश में लिखा है कि इतना बड़ा घोटाला टाउन एवं कंट्री प्लानिंग के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता।एनजीटी ने इस पूरे मामले की रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश भी दिए हैं। अगली सुनवाई आगामी 17 अप्रैल को होगी।
क्या है मामला
अंसल प्रोपर्टीज़ ने लगभग 600 एकड़ में सुशांत लोक फेज 1 गुड़गाँव में एक कालोनी develop की थी। नियम के अनुसार बिल्डर को 45% एरिया पार्क, रोड आदि के लिए छोडना अनिवार्य है। लेकिन बिल्डर ने टाउन एवं कंट्री प्लानिंग के अधिकारियों की मिलीभगत के चलते पार्क एवं ग्रीन एरिया के लिए निर्धारित जगह बेच दी। इतना ही नहीं इतनी बड़ी कालोनी का निर्माण बिना Environmental Clearance (EC) के कर दिया। सुशांत लोक फेज 1, गुड़गाँव के निवासियों ने एक पिटिशन इस बावत एनजीटी में दायर की जिसका संज्ञान लेते हुए एनजीटी ने उक्त ऑर्डर पास किया।
क्या कहते हैं शिकायतकर्ता के वकील यतिश कुमार गोयल….
शिकायतकर्ता के वकील यतिश कुमार गोयल ने बताया कि हांलाकि संबन्धित अधिकारियों ने सुशांत लोक फेज़ 1, गुड़गाँव की अभी तक नपाई नहीं की है जो एनजीटी के आदेश के अनुसार अनिवार्य है ताकि एनवायरनमेंटल डमेज को असेस किया जा सके, लेकिन अन्य Environmental Violations के लिए अंसल प्रॉपर्टीज़ पर लगभग 17 करोड़ का जुर्माना लगाया गया है। जब इलाके की पैमाइश की जाएगी तो यह environmental damage सैंकड़ों करोड़ में पहुंचेगा क्योंकि अंसल ने बड़े पैमाने पर environment को नुकसान पहुंचाया है और जिन अधिकारियों के कंधे पर पर्यावरण के संरक्षण करने का दायित्व है वो मुकदर्शक बने बैठे हैं। इतनी violations के बावजूद बिल्डर को पार्ट completion certificate कैसे मिला यह सवाल एनजीटी ने चीफ़ सेक्रेटरी से पूछा है। एनजीटी ने चीफ़ सेक्रेटरी से रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है। ।