गुरूग्राम, 11 फरवरी। प्रदेश का सूचना, जनसम्पर्क एवं भाषा विभाग, गुरुग्राम व फरीदाबाद मंडलों के अंतर्गत आने वाले जिलों में विभाग की भजन पार्टियों तथा खण्ड प्रचार कार्यकर्ताओं की चार दिवसीय कार्यशाला 12 फरवरी से आयोजित करने जा रहा है। यह कार्यशाला सैक्टर-15 पार्ट-1 के सामुदायिक केन्द्र में आयोजित की जाएगी। चार दिवसीय इस कार्यशाला में भजन पार्टियों, अनुबंधित प्रचार अमले व खंड प्रचार कार्यकर्ता (बीपीडब्लयू) को अपनी प्रतिभा को निखारने के गुर सिखाए जाएंगे।
इस बारे में सूचना , जनसपंर्क एवं भाषा विभाग के संयुक्त निदेशक एनसीआर आर एस सांगवान ने बताया कि कार्यशाला में पब्लिसिटी सैल के चेयरमैन राॅकी मित्तल सामाजिक कुरीतियों विशेषकर नशे के खिलाफ गीत बनाने के लिए प्रचार अमले को प्रेरित करेंगे ताकि हरियाणा प्रदेश के युवा सही रास्ते पर चलकर प्रदेश की उन्नति में योगदान दे सकें। इसके अलावा, श्री मित्तल पुराने वाद्य यंत्रों व धुनों को अब नए अंदाज में प्रस्तुत कर उन्हें और प्रभावी बनाने के तरीकें बताएंगे। उन्होंने बताया कि इस कार्यशाला में हरियाणवी आर्केस्ट्रा के जन्मदाता, विख्यात रंगकर्मी व कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय के कलचरल अफेयर्स के पूर्व निदेशक अनूप लाठर भी प्रचार अमले का प्रदेश की सांस्कृतिक विधाओं पर मार्गदर्शन करेंगे।
श्री सांगवान ने बताया कि प्रचार अमले को संगीत के सुर व ताल के बारे में प्रशिक्षण देने के लिए संगीत प्राध्यापक लोकेश शर्मा भी पहुंचेंगे। कार्यशाला में सेवानिवृत सांग एंड ड्रामा आॅफिसर राजबीर भारद्वाज, प्रख्यात रंगकर्मी महेश वशिष्ठ भी प्रचार अमले का मार्गदर्शन करेंगे। आरसीटीओ रोहतक से सेवानिवृत मांगेराम खत्री जिन्होंने हरियाणवी फिल्मों के लोकप्रिय गीतों की रचना की है, भी कार्यशाला में विभागीय लोक कलाकारों को टिप्स देंगे। कार्यशाला के समापन अवसर पर सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के अतिरिक्त निदेशक कुलदीप सैनी बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेंगे।
उन्होंने बताया कि विभागीय प्रचार अमला धरातल स्तर पर आम लोगों से जुड़ा होता है और ग्रामीणों को उन्ही की सरल भाषा में सामाजिक कुरीतियों से दूर रहने के साथ साथ राज्य सरकार की नीतियों व कार्यक्रमों से अवगत करवाता है। यही नही, यह प्रचार अमला गांव के लोगों का मार्गदर्शन भी करता है कि सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए उन्हें किस कार्यालय में संपर्क करना है। ऐसे में प्रचार अमला पारंपरिक प्रचार के तरीकों में नए तौर तरीकों का समावेश कर उसे कैसे प्रभावी बना सकता है, इस पर मंथन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि समय की मांग के अनुसार विभाग के प्रचार अमले को अपडेट करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि विभाग का प्रचार अमला मूल रूप से प्रदेश की लोक कलाओं को जीवित रखता है और लोक कलाओं के माध्यम से ही ग्रामीण अंचल में प्रचार करता है। अब समय की जरूरत के अनुसार लोक कलाओं के साथ साथ प्रचार के नए तरीके भी खोजने की आवश्यकता है ताकि प्रचार को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके। इन्ही विषयो पर मंथन करने और विभागीय प्रचार अमले को अपडेट करने के लिए यह कार्यशाला आयोजित की जा रही है। इस कार्यशाला में पारंपरिक वाद्य यंत्रो से संगीत तथा प्रचार को नया आयाम देने के प्रयास किए जाएंगे और इसके लिए व्याख्यान देने को विशेषज्ञो को आमंत्रित किया गया है।