न्यायाधीश की पत्नी व पुत्र की हत्या : दोहरे हत्याकांड में कब-कब क्या-क्या हुआ

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ध्रुव कर गया था मरते-मरते अंगदान

न्यायाधीश की पत्नी व पुत्र की हत्या : दोहरे हत्याकांड में कब-कब क्या-क्या हुआ 2गुडग़ांव, 7 फरवरी : जिला अदालत में कार्यरत तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश कृष्णकांत की पत्नी रितु व पुत्र ध्रुव को उनके ही सुरक्षाकर्मी ने गोली मारकर 13 अक्टूबर 2018 को घायल कर दिया था। न्यायाधीश की पत्नी रितु को जब अस्पताल ले जाया गया तो उसे मृत घोषित कर दिया गया था और गंभीर रुप से घायल पुत्र धु्रव कई दिनों तक जिंदगी और मौत से लड़ता रहा था, अंत में उसने भी दम तोड़ दिया था।

कब-कब क्या-क्या हुआ?

इस दोहरे हत्याकांड की अदालती कार्यवाही की जानकारी देते हुए जिला उप न्यायवादी अनुराग हुड्डा व अभियोजन पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता विशाल गुप्ता ने बताया कि 13 अक्टूबर 2018 को जब महीपाल ने न्यायाधीश की पत्नी व पुत्र को गोली मार दी थी तो पुलिस ने कुछ ही घंटों में गुडग़ांव-फरीदाबाद रोड से आरोपी महीपाल को गिरफ्तार कर लिया था। 14 अक्टूबर को तत्कालीन पुलिस आयुक्त केके राव के दिशा-निर्देश पर पुलिस ने एसआईटी का गठन कर जांच शुरु कर दी थी। वर्ष 2018 की 15 दिसम्बर को पुलिस ने मामले की जांच कर चालान
तैयार कर लिया था और 27 दिसम्बर को चालान अदालत में पेश किया गया था।

वर्ष 2019 की 9 जनवरी को आरोपी महीपाल पर तत्कालीन जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरके सौंधी की अदालत ने चार्ज फ्रेम किए थे। उन्होंने बताया कि इस मामले में पुलिस ने कुल 81 गवाह बनाए थे, जिनमें से 64 गवाहों की गवाहियां अदालत में गत वर्ष एक फरवरी से 7 दिसम्बर तक अदालत में कराई गई।इन गवाहों में 2 चश्मदीद गवाहों के अलावा 3 न्यायाधीशों ने भी गवाही दी थी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश आरके सौंधी का स्थानांतरण हो जाने के कारण उनके स्थान पर आए सत्र न्यायाधीश एमएम धौंचक ने इस मामले को सुनवाई के लिए अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश सुधीर परमार की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था।

गत वर्ष 16 दिसम्बर को आरोपी महीपाल को भी अपना पक्ष रखने के लिए उनके अधिवक्ता को पूरा समय दिया गया था और उन्होंने अदालत में अपना पक्ष भी मजबूती के साथ रखा था। इस वर्ष 7, 23 व 28 जनवरी तथा 3 फरवरी को दोनों पक्षों की फाइनल बहस इस मामले में अदालत ने सुनीथी।

ध्रुव ने किए थे अंगदान

10 दिन तक अस्पताल में जिंदगी व मौत के बीच जूझ रहे धु्रव को मौत ने अपने आगोश में ले लिया था। धु्रव इस दुनिया से जाते-जाते अंगदान कर गया था। इसकी जानकारी उसके पिता न्यायाधीश कृष्णकांत ने उपचार कर रहे चिकित्सकों को दे दी थी। उनके आग्रह पर ही अंगदान की प्रक्रिया पूरी की गई थी।पुलिस की कार्यवाही को सराहा अदालत ने भी इस मामले में पुलिस ने भी पूरे परिश्रम से काम किया, जिसकी सराहना अदालत ने भी की है। पुलिस आयुक्त ने एसआईटी का गठन कर मामले की पूरी जांच कराने के आदेश दिए थे। एसआईटी में पुलिस निरीक्षक सुरेंद्र फौगाट, अमित कुमार, विवेक कुण्डू, आनंद, जयभगवान व उप निरीक्षक नरेश, सहायक उप निरीक्षक बलजीत तथा हैड कांस्टेबल सुमित ने चार्जशीट तैयार कर अदालत में पेश की। इसी के आधार पर अदालत ने सवा साल के भीतर अपना फैसला सुना दिया है।

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